देख मां.. मैं तेरे लिए हाट में से कितना सुंदर, कढ़ाई वाला और सुंदर-सुंदर लटकन वाला ब्लाउज का कपड़ा लाई हूं, अब तू भी इसमें से अच्छा सा ब्लाउज सिलवाना जैसी बाकी सारी औरतें पहनती है, वैसा वाला! हट पगली.. अब मेरी कोई उम्र है ऐसे ब्लाउज पहनने की, और ऐसा नए जमाने का ब्लाउज तो तब् पहनूंगी ना,
जब इसके साथ के लिए अच्छी सी साड़ी भी हो! देख बेटा.. तुझे तो अपनी हालत पता ही है, हम कितनी मुश्किलों से तुझे पढ़ा रहे हैं और घर का खर्च चला रहे हैं और जाने कैसे कैसे इकट्ठा करके तुझे हाट मेले में जाने के लिए मैंने ₹100 दिए थे,
ताकि तू अपनी मर्जी का खा पी सके, कुछ अपने लिए खरीद कर ला सके, जैसी तेरी सारी सहेली लाई होगी! तुने वहां जाकर भी यह पैसे मेरे ऊपर ही खर्च कर डाले, हे भगवान क्या करूं इस छोरी का..? अपने लिए तो कुछ नहीं लाई, बाहर जाकर भी मेरा ही ध्यान करें छोरी !एक काम करते हैं इस ब्लाउज को उठाकर रख देते हैं और जब तेरी शादी होगी तब सिल्वाएंगे, तू देख इसमें कितनी सुंदर लगेगी! अरे मां… यह ब्लाउज बाजार में ₹300 का मिलता है, बड़ी मुश्किल से एक ठेले वाले ने सिर्फ ₹70 का दे दिया, कितनी बहस करनी पड़ी
मुझे उस ठेले वाले से, मां मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता तू ऐसे फटे पुराने ब्लाउज पहनती है,इसको पहन के मां तू भी उन बड़ी-बड़ी मॉडर्न औरतों के जैसे लगेगी.. देख लेना ! तुझे ऐसे डिजाइनर ब्लाउज में देखकर बापू कितना खुश हो जाएगा! चल बावड़ी… अपनी मां से कोई ऐसी ठिटोली करता है क्या..?
और बेटा हमें कोई शौक थोड़ी है फटे पुराने कपड़े पहनने का, पर क्या करें हमारी भी तो मजबूरी है, और एक बात बता.. इसे पहनकर मैं जाऊंगी कहां और जब भी मैं ऐसे ब्लाउज को पहनूंगी, मुझे कितनी शर्म आएगी और लोग क्या कहेंगे.. एक साड़ी तक तो ढंग की पहनती नहीं है और ब्लाउज देखो कैसा फैशन का पहन रखा है,
तू बड़ी मेरी मां बन रही है! अभी 15 की भी पूरी न हुई है, पर देखो तो लक्षण.. पूरी मां बनती जा रही है मेरी! मुझे ना पहनना यह ब्लाउज ,!मां तू चाहती है ना मैं दसवीं में अच्छे अंक लाऊं और तेरा सपना है कि मैं कुछ बन जाऊं तो मां तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी, अब तो यह ब्लाउज तुझे सिलवाना ही पड़ेगा, और एक बात बता ..तू अभी कितने बरस की है.. सिर्फ 35 बरस की है तू! आजकल तो तेरे बराबर की छोरिया के ब्याह होते हैं! पर लाडो तेरा बापू और मैं चाहते कि तू कुछ बन जाए, तो हमारी जिंदगी सार्थक हो जावे!
बन जाऊंगी.. तू चिंता ना कर! लक्ष्मी… दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली और अपने माता-पिता को हद से ज्यादा चाहने वाली लड़की, जो दिमाग से तो बहुत तेज है किंतु वह दिमाग बस उसकी पढ़ाई में ही नहीं लगता, बाकी सारे कामों में खूब लगता है और माता-पिता को बस एक ही चिंता खाई जाती है, काश…
यह अपने पैरों पर खड़ी हो जाए तो हमारे जैसे मेहनत मजदूरी न करनी पड़े और पता नहीं हमारे बाद इस छोरी का जाने क्या होगा, कम से कम इसकी जिंदगी तो आराम से कटे, किंतु लक्ष्मी है कि समझती ही नहीं है! लक्ष्मी को अपनी मां से जिद करते देख फिर मां ने कहा…
देख लक्ष्मी.. जब तू कुछ बन जाएगी, अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी उस दिन में यह ब्लाउज पहनूंगी! अब तो खुश.. किंतु अब तू भी कुछ बनाकर दिखा दे, और बेटी अगर तू कुछ बन जाएगी तो ऐसे एक क्या मैं 36 ब्लाउज सिलवाऊंगी, फिर देखना तेरी मां कैसी लगेगी! ठीक है मां अगर तुम्हारी भी यही जिद है तो मेरी भी यही जिद है और देख लेना
आज से मैं अपना सारा ध्यान सिर्फ पढ़ाई में लगाऊंगी और कुछ बन कर दिखाऊंगी और सचमुच लक्ष्मी ने जैसा कहा वैसा कर दिखाया! 7-8 साल बाद लक्ष्मी अपनी मेहनत और सरकारी प्रयासों से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करके डॉक्टर बन गई,
हालांकि इस बीच में उसका बापू टीवी की बीमारी और सही इलाज न मिल पाने की वजह से चल बसा !अब अकेली मां ने जैसे तैसे करके लक्ष्मी को इतना काबिल बना दिया था! आज शहर के प्रतिभावान बच्चों का सम्मान समारोह था जिसमें लक्ष्मी को भी सम्मानित किया जाना था,
आज लक्ष्मी की मां ने वही कढ़ाई वाला ब्लाउज पहना था, मां ने शायद इसी दिन के लिए इसे सिलवाया होगा! उस ब्लाउज के साथ मां बेटी की जाने कितनी भावनाएं जुड़ी थी और आज जब लक्ष्मी को सम्मान दिया जा रहा था तब लक्ष्मी ने कहा….
यह सम्मान मेरा नहीं है, यह सम्मान तो मेरी मां के त्याग का है जिसने अपने लिए कभी ढंग की एक साड़ी नहीं खरीदी ना ही कभी अच्छा खाना खाया, सिर्फ इसलिए कि मैं अच्छे कपड़े पहन सकूं, अच्छा खा सकूं और अपने पैरों पर खड़ी हो सकूं, आओ मां यह सम्मान सिर्फ तुम्हारे लिए है, मां को तो स्टेज पर जाने में भी शर्म आ रही थी
किंतु जाना भी जरूरी था, लोग लक्ष्मी की मां को देखकर तरह-तरह की बातें बनाने लगे, की देखो एक कामवाली को, जबकि कई लोग गर्व से लक्ष्मी की मां को देख रहे थे की.. देखो कैसे एक कामवाली ने अपनी बेटी को यहां तक पहुंचा दिया!
जब लक्ष्मी का सम्मान पत्र और मेडल लक्ष्मी की मां को दिया गया दोनों मां बेटी की आंखें आंसुओं से भीग गई थी, तब मां ने लक्ष्मी को अपने ब्लाउज की तरफ इशारा करते हुए कहा.. देख… मैंने कहा था ना यह कढ़ाई वाला ब्लाउज में उस दिन पहनूंगी, जिस दिन तू कुछ लायक बन जाएगी, आज मेरी बेटी डॉक्टर बन गई डॉक्टर, आज मैंने वही ब्लाउज पहना है, और आज मुझे यह ब्लाउज पहनकर कितनी खुशी हो रही है मैं तुझे पता नहीं सकती! हां मां मै भी तुझे यह ब्लाउज पहने देखकर अपनी खुशी नहीं रोक पा रही, और फिर से दोनों मां बेटी खुशी से रो पड़े!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
बेटियां 6th जन्मोत्सव प्रतियोगिता (4)