टूटा भ्रम : Moral stories in hindi

रधिया की मां! कहे देता हूं इस बार राधा को स्कूल भेजा क्रिकेट खेलने तो उसे बाद में पीटूंगा, पहले तेरी शामत आ जायेगी। बुधिया ने चीखते हुए अपनी पत्नी सुख्खी से कहा।

सुख्खि भी जैसे ढीठ बन गई थी अपने पति की गीदड़ भभकियां सुन सुन कर।

कहां जाती है अब स्कूल वो?सारे दिन घर में ही तो बैठी रहती है,वो बोली।

बुधिया खुश हुआ ये सुनकर,”चलो!देर आई,दुरुस्त आई,तुझे अक्ल तो आई,लड़की जवान हो रही है,क्रिकेट के खेल के बहाने छोटे कपड़े पहने है ,न जाने कौन कौन गुल खिलाती हो वहां?छोरियों को ये सब शोभा नही देता सुक्खी, बस इसीलिए कह रहा था मैं।”

जब बुधिया चला गया घर से,राधा अपनी मां के पास आई,उसकी आंखों में मोटे मोटे आंसू चमक रहे थे।तो क्या सच्ची में, मै स्कूल टीम की तरफ से क्रिकेट नहीं खेल पाऊंगी मां?उसने पूछा।

कितनी मुश्किल से उसका सिलेक्शन हुआ था स्टेट लेवल पर खेलने का। कभी खाने के लालच में स्कूल भेजना शुरू किया था उसके बापू ने,फिर राधा ने वहां अपनी प्रतिभा दिखाई और उसे क्रिकेट टीम में चुन लिया गया।उसे स्कूल से ही कपड़े,जूते,अच्छा नाश्ता मिलता इस लालच में वो क्रिकेट टीम से जुड़ी रही और नित नए रिकॉर्ड बनाती रही।

उसका बापू बुधिया,हालांकि,उससे खुश था पर उसके साथ बैठने वाले दोस्तों को ये बर्दाश्त न हुआ,वो लगे उसके कान भरने।”कहां लुगाइयों की बातों में आ गया रे बुधिया! स्कूल जाकर खेलने के बहाने तेरी छोरी क्या गुल खिलाती है,तुझे पता है?वहां छोरो के साथ दौड़ लगानी होवे है, कहीं कोई ऊंच नीच हो गई तो मुंह ताकता रह जावेगा!”

दूसरों की बातों से खुद को हांकने वाला बुधिया,भड़क गया और जाकर अपनी बीबी को हड़का दिया उसने।

सुक्खी भी अपने इरादों की पक्की थी।पति से चोरी छिपे अपनी बचत के पैसों से राधा को सब सामान ला कर दिया और स्कूल टीम के साथ बाहर शहर भेज दिया।उसे विश्वास था कि उसकी छोरी एकदिन अपना सपना पूरा  और उनका नाम रोशन करेंगी।

बुधिया ने उसे बहुत परेशान किया,मारा पीटा भी पर वो सब सहती रही।आखिरकार उसकी तपस्या रंग लाई।एक दिन गांव की चौपाल में सब मर्द टीवी के आगे बैठे थे और समाचार आया।

कालाहांडी जैसे छोटे गांव से उठी एक गरीब खेतिहर किसान की बेटी राधा देवी ने देश की महिला क्रिकेट टीम को जीत का सेहरा पहनवाया।उनके शतक ने टीम को जिताने में बहुत मदद की।प्रधानमंत्री ने राधा देवी को अपने हाथों पुरुस्कृत किया।

बुधिया को सब बधाइयां दे रहे थे और वो आंखें फाड़े टीवी पर अपनी बिटिया की तस्वीर देख रहा था,इसी बेटी के खेलने जाने को वो गुल खिलाने जा रही है,कहकर हतोत्साहित करता रहा था,आज भी उसकी मां से वो दुर्व्यवहार कर रहा था लेकिन अपने दृढ़ विश्वास और हौसलों से उन मां बेटी ने अपने लक्ष्यों को पा ही लिया था।आज उसकी बेटी एक मशहूर खिलाड़ी बन चुकी थी।

आपको ये कहानी कैसी लगी, अवश्य बताएं।

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

वैशाली

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!