“अनु !! अनु !! ,” रमाकांत जी घर आते ही चिल्लाए
“क्या हुआ है क्यों इतने गुस्से में बुला रहे उसे? “रमाकांत जी की पत्नी रीमा देवी जी बोली।
“कहां है तुम्हारी लाड़ली बुलाओ उसे “
“क्या हुआ पापा आपके बुलाया? ” (रमाकांत जी और रीमा देवी की बेटी अनु ने आते हुए पूछा ।)
“अनु अब तुम्हारा कॉलेज जाना बंद । “( रमाकांत जी ने फैसला सुनाते हुए कहा)
“क्या पर क्यू पापा मैंने ऐसा क्या किया “? ( अनु ने अपने पिता से पूछा। )
रमाकांत जी – ” बाहर मैं इतनी बातें सुन के आ रहा हु की तुम्हारा किसी लड़के के साथ चक्कर है , लोग तो मुझे सबूत भी दिखा रहे थे जब मैंने उनकी बात का विरोध किया । मैं पूछता हूं किस लड़के के साथ तुम घूमती हो कैफे में कॉफी पीते हो ? “”
” पापा वो मेरे साथ पढ़ने वाला राजेश है पर हमारे बीच ऐसा कोई गलत रिश्ता नहीं है । हमारा कोई चक्कर नहीं है एक दुसरे के साथ । “
” अपनी बेटी पे तो भरोसा करो , दुनिया तो बहुत कुछ कहती है” – रीमा देवी बोली ।
परन्तु रमाकांत जी तो अपना निर्णय सुना कर कमरे में जा चुके थे ।
रात में भी उन्होंने अनु के कॉलेज जाने के आग्रह को माना कर दिया और गुस्से में बोले –
” तुम ना जाने किस लड़के के साथ मेरी इज्जत उछाल रही हो , मैं अब अपनी इज्जत पर एक आंच नही आने दूंगा “
अनु ने गुस्से में खाने के मेज से उठते हुए कहा – ” मैं आपके फैसले के खिलाफ हूं पापा , आपकी किसी गलतफहमी के कारण मैं अपनी पढ़ाई नही रोकूंगी ” ।
“देख लिया तुमने कैसी जुबान चलने लगी है इसकी , सब तुम्हारे लाड़ प्यार का नतीजा है ” – रमाकांत जी ने रीमा देवी पर चिल्लाते हुए कहा।
( रात में उसने अपने मम्मी से पापा को बात करते सुना की अब उसे उसकी बुआ के घर दूसरे शहर भेज देना चाहिए और जल्द से जल्द उसकी शादी के लिए लड़का खोजना चाहिए ।)
अपने पापा और मम्मी की बात सुनके अनु ने राजेश को अगली सुबह घर बुला लिया । राजेश अनु के घर पहुंचा तो सब बैठक में ही बैठे थे । राजेश को देखते ही रमाकांत जी अपनी जगह से खड़े हो गए ।
राजेश – ” नमस्ते अंकल !! मैं राजेश । अनु ने मुझे फोन करके सब बताया तो मैं रुक नही पाया ।
अंकल मैं अनु की क्लास में पढ़ता हूं और मैं एक अनाथ हूं
जब मैं 16 साल का था तब ही मेरे माता पिता की एक दुर्घटना में मौत हो गई और पीछे मै और मेरी एक 10 वर्ष की बहन रह गए। मैंने उसकी जिम्मेदारियां उठाई और उसको अपने मां बाप सबका प्यार देने लगा पर अचानक 1 साल बाद उसको पीलिया हुआ और मैं उसको बचा नही पाया।
मैं अकेला रह गया और अपनी पढ़ाई पूरी कर अपने मां बाप का सपना पूरा करने में लग गया । जब मैं कॉलेज में आया और पहली बार अनु को देखा तो लगा मेरी बहन मुझे वापस मिल गई।
वही चंचलता, वही मासूमियत, और वैसे ही सबको अपना बना लेने वाला आकर्षण। मैंने अनु को सब कुछ बताया और तब से मैं अपनी छोटी बहन अनु में खोजता हूं ।
” हां पापा ! राजेश भैया सच कह रहे है , इन्होंने तो बड़े भाई की तरह कॉलेज के बदतमीज लड़कों से भी मेरी रक्षा की है , मुझे रोज कॉलेज से घर सुरक्षित छोड़ के फिर अपने हॉस्टल जाते है “। ( अनु ने बात पूरी करते हुए कहा )
” मां आपको याद है जब मुझपे बाजार में कुछ लड़के भद्दे कमेंट कर रहे थे , दूसरी सुबह उन लड़कों ने आके मुझसे माफी मांगी क्युकी राजेश भैया ने उन्हें बहोत मारा था “।
“आप लोग को नही पता पर कुछ लड़कों ने मुझपर तेजाब फेंकने की भी कोशिश की थी परंतु भैया ने मुझे बचा लिया , देखो उनका हाथ जल गया है वो मुझे बचाने के लिए जला है। “
“
इन्होने तो हमेशा मुझे बुरी नजर से बचाया है , मुझे हमेशा से एक भाई चाहिए था मां , जब भी दूसरे लड़कियों के भाई उनका बैग स्कूल से लेके घर तक जाते थे और मैं अपना बैग खुद उठाती थी तब सोचती थी कि काश मेरा भी भाई होता । “
“राजेश भैया ने मेरे भाई की हर कमी पूरी की है। ” मैं इनके बिना नही रह पाऊंगी , अपने भाई के बिना नही रह पाऊंगी मैं “। अनु ने रोते हुए कहा।
रमाकांत जी और रीमा देवी की आंखों से आंसू बह निकले।
” देखा मैने कहा मेरी बेटी कभी गलत नही हो सकती ” ( सीमा देवी ने अनु को लाड़ करते हुए कहा )
” बेटा तुम मेरी बेटी का इतना ध्यान रखते हो और हमने तुम्हे गलत समझा , हमे माफ कर देना । ” रमाकांत जी माफी मांगते हुए बोले ।
“नही अंकल माफी मांग कर मुझे शर्मिंदा न करे ” ।
“अंकल आंटी नही पापा और मम्मी , हां राजेश जब तुम अनु के भाई हो तो हमारे भी तो बेटे हुए न बेटा ” ।
” हमारा कोई बेटा नही था पर आज भगवान ने वो इच्छा भी पूरी कर दी । अब तुम यही हमारे साथ रहोगे। ” रीमा देवी ने राजेश को गले लगाते हुए कहा !!!
” पर मां समाज क्या कहेगा ?” राजेश ने हिकिचाहट में पूछा !
” अपने बच्चों के लिए तो मां बाप एक क्या हजार समाज के #खिलाफ जा सकते हैं। प्रकृति का नियम है बेटा कोई साथ देता है तो कोई खिलाफ खड़ा होता है , हम सबको एक साथ खुश नहीं रख सकते। ”
रमाकांत जी ने सारे संसय दूर करते हुए कहा।
“रामाकांत जी ने कानूनी तरीके से राजेश को गोद ले लिया।”
अब राजेश की भी पढ़ाई की जिम्मेदारी रमाकांत जी उठाने लगे और अनु और राजेश साथ में अपने पढ़ाई पर ध्यान दे कर अपना भविष्य उज्जवल बनाने में जुट गए।
देखते देखते समय बीत रहा था अनु और राजेश दोनो ने अपनी शिक्षा पूरी कर एक प्रतिष्ठित पद पर नौकरी पाई।
परन्तु कितनी भी व्यस्तता क्यू ना हो रमाकांत जी का पूरा परिवार साथ बैठ कर खाना खाता है और अपनी अपनी दिनचर्या में क्या क्या किया सब कुछ एक दूजे से बताते है ।
समाज आज भी उनके परिवार पर आपत्ति जताता है , लोग कहते है को आपका ये बना हुआ बेटा काम नही आयेगा परन्तु रमाकांत जी को अपने बेटे पर पूरा भरोसा था ।
वो हमेशा कहते रहते थे की मैं समाज को , किसी के भी कहने पे अपने बच्चों की खुशियों के खिलाफ नही जाऊंगा !।
एक दिन अचानक रामाकांत जी बेहोश हो गए , हॉस्पिटल ले जाने पर पता चला की उनकी लीवर खराब हो चुका है । रीमा देवी का रो रो कर बुरा हाल हो गया ।
राजेश ने हर जगह पता किया कही कोई डोनर नही मिला , सबने लीवर देने के नाम पर मुंह मोड़ लिया ।
राजेश ने अपना लीवर देने का फैसला किया और किस्मत से उसका लीवर रामाकांत जी के शरीर के लिए उपयुक्त था ।
आज दिल के बने रिश्ते ने समाज के बनाए कहावतों कि खून के रिश्ते से बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता ऐसी कही बातों के खिलाफ जाकर अपना फर्ज निभाया।
रामाकांत जी के परिवार पर उंगली उठाने वालों के मुंह अब बंद हो चुके थे ।
अनु के शादी होने के और ससुराल जाने के बाद राजेश की पोस्टिंग दूसरे शहर में हो गई , राजेश ने एक फ्लैट ले अपने माता पिता को साथ लेकर दूसरे शहर चला गया।
रमाकांत जी ने वास्तव मे खिलाफ को एक नए दृष्टिकोण से परिभाषित किया था । जिस कारण राजेश और अनु दोनो भाई बहन एक दुसरे का साथ पा के खुश थे । और रमाकांत जी का परिवार पूरा हो गया था ।
#खिलाफ
– गौरी शुक्ला ।
nice story
Beautiful story