Moral stories in hindi : पवन माँ को लाने गाँव पहुँचा यह क्या ?
दरवाज़े पर ताला लगा हुआ था । उसे आश्चर्य हुआ कि माँ कहाँ चली गई ? उन्होंने ख़बर भी नहीं की है ।
मैं भी अपनी व्यस्तता के चलते माँ को फोन भी नहीं कर सका था। उसने पड़ोसी के घर पर दस्तक दे कर उनसे पूछा कि माँ कहाँ है । उन्होंने कहा कि पवन तुम्हें नहीं पता तुम्हारी माँ रुक्मिणी जी को यहाँ से गए हुए दो महीने हो गए हैं ।
पवन को लगा कि माँ से बात किए हुए मुझे दो महीने से भी ज़्यादा हो गए हैं । पड़ोसी से ही पता लेकर माँ से मिलने के लिए पहुँचा ।
वह सोच रहा था कि मैं भी कितना स्वार्थी हो गया हूँ कि आज तक माँ की ख़बर नहीं ली थी । आज भी जरूरत है इसीलिए आया हूँ वरना कहाँ आ पाता था ।
पिताजी की अचानक एक्सिडेंट के बाद माँ पर दुखों का जैसे पहाड़ टूट पड़ा था । उसने अपने माता-पिता से लडझगड कर बारहवीं तक की पढ़ाई की थी जो आज उनके काम आ गई थी।
उन्होंने अपनी थोड़ी सी ज़मीन को कौल पर दे दिया और खुद वहीं के एक स्कूल में टीचर की नौकरी जॉइन कर ली थी ।
मुझे और बहन को किसी भी तरह की कमी महसूस नहीं होने दी । गाँव की पढ़ाई ख़त्म होते ही शहर में हॉस्टल में रख कर पढ़ाया । बहन संयुक्ता ने पी जी तक की पढ़ाई की थी और उसके लिए बहुत ही अच्छे परिवार को ढूँढ कर धूमधाम से शादी करा दी ।
मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और शहर में ही एक बहुत बड़ी कंपनी में काम करने लगा था । उन्होंने मेरे लिए रिश्ते ढूँढने की बात कही तो मैंने शुचिता का नाम बताया था कि वह मेरे ऑफिस में काम करती है मैं उससे ही शादी करना चाहता हूँ । माँ ने कुछ नहीं कहा और मेरी शादी उससे करा दी । हम जब शहर जाने लगे तो माँ कुछ कहे इसके पहले ही मैंने कह दिया था कि माँ अभी मैंने छोटा सा घर लिया है जैसे ही बड़ा घर लूँगा आपको ले जाऊँगा ।
माँ ने हँसते हुए सर हिलाया जैसे उन्हें पहले से ही यह आभास हो गया था कि मैं उन्हें अपने साथ नहीं ले जाऊँगा ।
संयुक्ता की शादी और मेरी शादी माँ ने बहुत ही धूमधाम से की थी । मैंने उनसे एक बार भी नहीं पूछा था कि इतना पैसा कहाँ से आया है ? उधार तो नहीं ली है आपने मैं कुछ मदद कर दूँ आपकी ना चुप्पी साध ली थी मैंने । माँ ने भी नहीं बताया था कि उनके आर्थिक स्थिति कैसी है ।
मैं शुचिता को साथ लेकर शहर चला गया ।
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के कामेश्वरी