Moral Stories in Hindi : तनु ज्यूडिशियरी की परीक्षा पास कर ली… फोन से और घर आकर बधाई देने वालों का सिलसिला चालू हो गया था.. तनु के साथ साथ मुझे भी बधाइयां मिल रही थी.. अखबार वाले टीवी वाले कोचिंग सेंटर वाले …बधाई देने वाले चले गए तब तनु मेरे गोद में सर रखकर मेरे गले में हाथ डालकर बोली मां ये तुम्हारी मेहनत संघर्ष और हिम्मत के कारण हो पाया है.. वरना आज हम दोनों उसी नरक में जीते जी मर रहे होते… हम दोनो की आंखें भर आई.. तनु थोड़ी देर में निश्चिंत हो कर सो गई.. कितनी मेहनत की है मेरी मासूम बच्ची ने..
और मैं खो गई अतीत में..पच्चीस साल पहले मेरी शादी मोहन से हुई.. अच्छा खाता पीता संपन्न परिवार … दो भाई मां बाप और दादी.. छोटा सा परिवार… मोहन बैंक में नौकरी करते थे. .. मेरे पापा को लगा मेरी बेटी इस परिवार में खुश रहेगी.. और मैं इस परिवार में अपने साथ इंद्रधनुषी सपने लेकर नववधू बनकर आ गई…. धीरे धीरे मुझे समझ में आ गया मैं नरक में आ गई हूं… पापा बीपी और हार्ट के मरीज थे इसलिए कुछ कह नहीं सकती थी..
सुबह से घर में कलह और क्लेश शुरू हो जाता… कभी ससुर जी सास को दो चार हाथ लगा देते.. सास वो गुस्सा मूझपर उतारती… मोहन से शिकायत लगाती और मोहन बेवजह मुझ पर हाथ उठा देते… बाद में पता चला ससुर जी का किसी औरत के साथ अनैतिक संबंध था जिसका विरोधी करने पर सास के उपर हाथ उठा देते.
और सास मेरे उपर अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए मोहन से मेरी शिकायत कर मार पीट करवाती.. शादी के तीन महीने बाद मोहन बैंक से सस्पेंड हो गए.. अब मैं अपशकुनी थी..मोहन सास ससुर सभी मुझे हीं इसका जिम्मेवार ठहराते..पूरे दिन भूखे रोते रह जाती पर कोई खाने को नहीं पूछता.. अजीब परिवार था न किसी के लिए किसी के मन में प्रेम संवेदना ना लगाव..
ईर्ष्या द्वेष और एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़.. ओह… मोहन के लिए पत्नी की परिभाषा थी रात में उसकी जरूरतें पूरी करना और दिन में उसके इशारे पर नाचना और मार गाली खाना.. मोहन का छोटा भाई पढ़ाई के बहाने घर से दूर चला गया था… मेरी शादी में आया था और अगले दिन हीं वापस चला गया.. ऐसे हीं यातना भरे दो साल उस घर में गुजर गए..
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भगवान से मनाती मुझे उठा लो… तभी तनु मेरे जीवन में आ गई… शायद बच्चे का मुंह देख इनका मन बदले पर बेटी नही चाहिए थी इन्हे .. औरत खुद कितना भी दर्द सितम सह ले पर अपने औलाद पर आंच आने नही दे सकती…. मां बेटे मुझे और तनु को हमेशा कोसते रहते…
ऐसे हीं एक दिन तनु को बुखार था मैं पट्टी दे रही थी ठंडे पानी की.. मोहन कमरे में आए और कहा एक मनहूस कम थी जो दूसरी भी ले आई.. नशे में चूर मोहन तनु को मेरे गोद में से धक्का दे दिया.. संभालते संभालते टेबल के कोने से टकरा कर तनु के सर में चोट लग गई और खून बहने लगा.. मैने भी मोहन को जोर से धक्का दिया और कहा #तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई# मेरी बेटी पर हाथ उठाने की.. मैं जा रही हूं अपनी बेटी को लेकर हमेशा के लिए इस नरक से..
और मैं स्टेशन चली गई. .. कुछ पैसे दो तीन गहने बस यही मेरे पास था.. वाराणसी आ गई.. बाबा विश्वनाथ के चरणों में खुद को और तनु को समर्पित कर दिया. क्या कुछ नही किया.. जूठे बर्तन धोए.. खाना बनाने का काम किया.. बस एक हीं जुनून था तनु को पढ़ाना है और जज बनाना है.. फिर छोटे बच्चों के स्कूल में मैं पढ़ाने लगी.. खाली समय ट्यूशन पढ़ाती..
तनु लॉ की डिग्री लेकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लग गई.. मेरे दुख को बहुत गहरे से महसूस करती थी तनु.. और पहली बार में हीं बाजी मार ली मेरी लाडो ने..न जाने कब मेरी आंखें लग गई.…
वक्त कहां से कहां ले जाता है इंसान को.. तनु की पहली पोस्टिंग उसी शहर में हुई जहां मेरा ससुराल था.. मैने वहां जाने से साफ इंकार कर दिया.. तनु ने समझाया मां तुम मेरी हिम्मत ताकत और प्रेरणा हो.. जो काम अधूरा है उसे पूरा करने के लिए तुम्हे मेरे साथ चलना हीं होगा…
तान्या तनु के नाम का बोर्ड.. खुशी से आंखें भर आई और कलेजा चौड़ा हो गया.. पहली बार इतना अच्छा घर शान ओ शौकत… सोमवार से तनु कोर्ट जाएगी..
सुबह सुबह शोरगुल अलसायी सी उठी.. बाहर जा कर देखा गार्ड किसी का हाथ पकड़े बाहर निकाल रहा था और तनु गुस्से में बोल रही थी# तेरी हिम्मत कैसे हुई #गेट के अंदर पैर रखने की मुझे अपनी बेटी कहने की… दुबारा अगर आस पास भी दिखा तो तुम्हारा क्या हस्र होगा समझ लेना… अब माजरा समझ आया.. मोहन बाप का हक जमाने आए थे… और तनु ने औकात दिखा दी… शाबाश तनु मुझे तुम पर गर्व है…
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Veena singh
बहुत सुंदर एवं प्रेरक कहानी
Ati Sundar rachna hmare desh me aisa hi hota h ji
Mere sath bhi aisa hi hua tha
Aaj meri beti doctor h