hindi stories with moral : सब तेरी गलती है, तेरी वजह से आज मेरा बेटा भूखा चला गया, उसने नाश्ता भी नहीं किया और टिफिन भी लेकर नहीं गया, पता नहीं तू उससे किस जन्म का बदला ले रही है? तू अपनी जिद छोड़ क्यों नहीं देती? तूने पूरे घर का माहौल खराब कर रखा है, और ये क्या दिन-रात एक ही रट लगाए हुए हैं कि तुझे फिर से नौकरी करनी है, जैसे तू नौकरी नहीं करेगी तो हम सब भूखे ही मर जायेंगे।” कांता जी गुस्से से बड़बड़ा रही थी।
उधर नीलम रसोई में टिफिन पैक कर रही थी, ताकि राजीव के ऑफिस जाकर दे आये, वो रसोई से निकली तो कांता जी ने उसे फिर से गुस्से से देखा, उसके बढ़ते कदम वापस रूक गये।
वो अपनी सास के पास आई और बोली,” मम्मीजी जब मैंने कोई गलती की नहीं तो क्यों बर्दाश्त करूं? आपको राजीव का गुस्सा नजर आ रहा है, पर अपने बेटे की गलती नजर नहीं आती है, एक महीना हो गया हमारी शादी को, पहले राजीव ने ये कहकर नौकरी करवाने से मना कर दिया कि, अभी हमारी नई-नई शादी हुई है, और फिर घूमना -फिरना, रिश्तेदारों के यहां आना -जाना, शादी ब्याह के कामो में भी समय निकल गया है, और अब तो एक महीना होने को आ गया, अब मुझे फिर से काम पर जाना है, मै अब और छुट्टियां नहीं ले सकती हूं।”
मैंने घर-परिवार के प्रति सब फर्ज निभा दिये है, और आगे भी निभाती रहूंगी पर अब मुझे अपने काम के बारे में भी सोचना है, नीलम ने समझाना चाहा।
“नीलम, तुम नौकरी नहीं करोगी तो क्या हो जायेगा? घर-परिवार संभाल, शादी के बाद लड़कियों को यही सब संभालना होता है, शादी के बाद सब बदल जाता है, सबकुछ बर्दाश्त करना होता है, राजीव ने तब हां कहा था, और अब मना कर रहा है, आखिर पति है तुम्हारा, तुम बात का इतना बतंगड़ क्यों बना रही हो ? कांता जी ने कहा।
“मम्मी जी, मै ये सब बर्दाश्त नहीं कर सकती हूं, राजीव ने मुझसे कहा था कि, उसे मेरे नौकरी करने से कोई परेशानी नहीं होगी, और अब आप भी मना कर रही है, ये तो बात पलटने वाली बात हो गई।
राजीव ने जो गलती की है, मुझसे झूठ बोला है, उस गलती की सजा मै अपने आपको नहीं दूंगी, मेरा निर्णय है और मैंने सोच भी लिया है, मै अपनी मेहनत और अपनी सफलता पर इस तरह पानी नहीं फेरने दूंगी, मैंने इतनी मेहनत करके ये नौकरी हासिल की है,और मैंने तुम्हें साफ कह दिया था कि मै शादी के बाद भी अपनी नौकरी नहीं छोडूंगी, मैंने कुछ भी नहीं छिपाया, नीलम की बात सुनकर कांता जी चुप हो गई, और नीलम राजीव के ऑफिस में जाकर टिफिन दे आई।
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शाम को जब राजीव वापस आया तो नीलम ने तटस्थ होकर अपना फैसला सुना दिया, ” राजीव मै बिना नौकरी के जी नहीं सकती, ये नौकरी ही मेरी आत्मनिर्भरता की पहचान है, और मेरा स्वाभिमान है, मेरी जीने की वजह है, मै इससे दूर नहीं रह सकती हूं।”
तुम्हें, नौकरी नहीं करवानी थी, तुमने झूठ बोला, गलती तुमने की तो सजा मुझे क्यों मिले? मैंने सब सच कहकर ईमानदारी और विश्वास से तुमसे शादी की पर तुमने अपने मन की बात नहीं बताई और मुझे धोखे में रखा, इस तरह तो शादियां नहीं निभती है।”
नीलम की बात सुनकर राजीव सकपका गया, उसे लगा था वो आसानी से मान जायेगी, पर उसे अपनी बात पर फिर से विचार करना पड़ा, उसने सब कुछ देख-समझ कर नौकरी के लिए हामी भर दी।
आज नीलम बहुत खुश थी, आखिर वो अपने हक के लिए बोली और जीत भी गई।
धन्यवाद
लेखिका
अर्चना खंडेलवाल
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