Moral stories in hindi : ममता के बेटे की दो महीने बाद शादी थी ममता सोंचने लगी कैसे इतना काम निपटेगा शादी ब्याह में हजारों काम होते हैं और वो अकेली जान कोई करने वाला नहीं । लेकिन ममता एक सुलझी हुई बहुत समझदार और बहुत मेहनती सब काम को बहुत करीने से करने वाली महिला थी आइए ममता के बारे में थोड़ा सा जानते हैं।
ममता ससुराल में चार देवरानी जेठानी में सबसे छोटी थी । तीन ननदें थी लेकिन सभी उम्र दराज और बूढ़ी थी और सभी दूसरे शहर में रहती थी। इसलिए उनसे कोई मदद तो हो नहीं सकती थी फिर वो लोग काम तो नहीं करती थी नुक्ता चीनी बहुत करती थी इसलिए उनसे तो कोई उम्मीद थी नहीं उनका शादी के समय ही आना बेहतर था । हालांकि ममता चार बहनें थीं लेकिन सबके साथ वही समस्या बच्चों की पढ़ाई घर गृहस्थी वगैरह वगैरह।जिठानियों के लड़कों की शादी में ममता ने खूब बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया
और बहुत तरीके से बहुत सारे काम निपटाए थे लेकिन अब उन्हें भी कोई उम्मीद नहीं थी क्योंकि अब बीमार रहती है। फिर घर के कुछ ऐसे काम होते हैं वो काम आप ही कर सकती है जैसे कौन सा सामान कहां रखना है रसोई कैसे सेट करनी है बहुत सी बातें ।अब ममता को समझ आ गया कि आसपास कोई भी मदद को नहीं दिख रहा है खुद ही सारा काम करना है बेटी भी हैदराबाद में नौकरी करती है वो भी शादी के समय ही आना चाहती है जिससे शादी अच्छे से इंज्वॉय कर सके ।
पतिदेव को घुटने की समस्या है ज्यादा चल-फिर नहीं सकते बस बैठे बैठे फोन से जो कुछ हो सकता है वो कर सकते हैं बस । फिर ममता ने सोंचा जब सब काम मुझे ही करना है तो टेंशन तो है लेकिन लेना नहीं है समझदारी से और प्लानिंग करके काम को निपटाना है । हां शादी के समय का खाना पीना का काम ममता ने अपने भाई को सौंप दिया ।और सबसे पहले घर की साफ सफाई और पुताई को आदमी लगा दिया ममता का घर भी काफी बड़ा था ऊपर नीचे का बहुत समय लग जाता है साफ सफाई में ।
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फिर कौन सा सामान कहां रखना है ये तो बस ममता को ही पता होता है । मुश्किल तो ये थी कि घर का और बाहर का भी सब काम ममता को ही संभालना था । पैकिंग करनी है किसको क्या देना लेना है सब एक जगह रखना पूजा वगैरह का सामान लगाना , क्या खाना नाश्ता बनना है बर्तन बिस्तर अरे पूछों मत बहुत काम । ममता ने सबसे पहले एक डायरी में कामों को लिख लिया और धीरे धीरे एक एक काम करती गई और जो काम हो जाता था उसका कट कर देती थी ।
ममता सोंचने लगी मैंने तो सबके शादी ब्याह में इतना काम किया इतना सबकुछ संभाला अब मेरी बारी कोई नहीं दिख रहा है । ऐसा ही होता है ममता टेंशन फ्री होकर अकेले दम पर सारा काम संभाले हुए थी । आखिर में बेटे की शादी का दिन नजदीक आ गया ममता बहू को घर लाकर बहुत खुश थी
सारी थकान और टेंशन को भूल कर वो बहू की आवभगत में लग गई ।इस तरह काम अच्छे से निपट गया ।और सभी ने जातें जातें ममता को शाबाशी दी कि बहुत अच्छे से अकेले दम पर तुमने काम निपटाया बहुत बढ़िया । ममता ने बहुत ही समझदारी से सारे काम निपटाए वो जानती थी जो कुछ करना है मेरे को ही करना है इसलिए सब तरीके से करती गई ।और अपने पति से बोलती आप टेंशन न ले सब हो जायेगा ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश