Moral Stories in Hindi : “क्या है यार इसमें जो सोनू शादी के लिए मरा जा रहा था, यार ये तो सोनू से करीब पांच साल बड़ी लग रही है, नाक भी फैला हुआ है, शकल में कुछ तो ऐसा नहीं की लव मैरेज करने जैसा कुछ हो क्या यार उसने ऐसा क्या देखा, बेचारा ठगा गया, कम से कम जोड़ी तो अच्छी होनी चाहिए।” सहेली ने अपने छोटे भाई की दुल्हन की फोटो भेजी थी। मैंने फोटो अपनी फैमिली व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजा और बहनों से मिल कर लगी दुल्हन के फोटो की पोस्ट मार्टम करने।
ये मेरा पसंदीदा मशगला था, मैं किसी के शक्लो सूरत में कमी निकालने की कायल नहीं थी लेकिन अगर मैं किसी ऐसे जोड़े को देख लूं जिनका मैच सही न हो तो मैं असहज हो जाती, और बिना किसी के जज्बातों के परवाह किए मैं ये कहने से बाज़ न आती की ये कैसे एक दूसरे के साथ सहजता से रह लेते हैं, अब ये अलग बात है की मेरा ये कहना लोगों को बुरा लग सकता था, लेकिन मुझे अपनी खुन्नस बाहर निकालनी होती सो मैं निकालती, अब भी यही कर रही थी, बात यहीं तक नहीं रही ये फोटो मैंने अपने दोस्तों वाले ग्रुप पर भी लगाया और लिख दिया– “जोड़ी मैच नहीं कर रही।”
एक दोस्त बिदक उठी, कहने लगी तुम्हें बस लोगों में कमियां ढूंढनी है, अच्छी भली तो है, और वैसे भी जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है।
एक दोस्त ने कहा मैंने देखा दुल्हन को अच्छी है, और दहेज तो भर भर के लाई है सब देखा जाता है, मैंने गहरी सांस ली, मानो बिल्ली थैले से बाहर आ गई, ये मेरी उन सहेलियों के नज़रिया थे जिन्होंने कभी स्कूल का मुंह देखा नहीं सो मैं भी ठंडी सांस भर के रह गई, पर इस बात पर डटी रही की मैंने बुराई तो नहीं कि ये कहा की “बेजोड़ जोड़ा है”
किसी के जज्बों की परवाह किए बिना कुछ भी कह देने की आदत हम सब भाई बहनों में थी, बात तो ये गलत थी मेरा भाई भी ऐसे ही मेरी भाभी को चिढ़ा दिया करता भाभी तमतमा कर बोलती– “मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूं, मेरे मां बाबा से पूछना मैं कितनी प्यारी हूं
हूं तो बात हो रही थी बेजोड़ जोड़े की, अब जोड़े तो ऊपर वाला बनाता है, मेरी किस्मत अच्छी थी कि मैं अपने हसबैंड के साथ जहां भी जाती हमारे जोड़ी की तारीफ़ होती, अगर यूं न होता तो हाय मेरा तो दम घुट जाता, मेरी शादी के लिए मैंने इनकी फोटो देखते ही हां कर दी थी, वो अलग बात है कि अम्मा ने कहा था कि ससुराल वाले बहुत पैसे वाले नहीं हैं, मैने कहा– चलेगा बट लड़का मेरे जोड़ का होना चाहिए। अब ये इंसान अपनी अपनी प्राथिमकताएं होती हैं की वो अपने आने वाली ज़िंदगी के लिए क्या क़ीमत अदा कर सकता है, बहरहाल मैं खुश थी, तो बात हो रही थी, उस नई शादी की जो हमारे मुहल्ले में हुई थी….
अब इस बेजोड़ जोड़े को पास से देखने मैं एकदिन पहुंच ही गई, हुआ यूं कि मैं मायके गई थी, अपनी बात भी साबित करनी थी सोचा लगे हाथ चले चलूं, दोस्त के साथ थोड़ी देर बैठने के बाद मैं पहुंची दुल्हन के रूम में फिर यूं हुआ मेरी आंखे चुंधिया गई, बड़े से कमरे में यूं नफासत से सजा फर्नीचर, खिड़की से लटके महंगे कॉटंस, एसी, और यूं सजा सजाया कमरा, हमारे पूरे मोहल्ले में एक भी दुल्हन का कमरा ऐसा नहीं था। दुल्हन बैठी मुझे काजू और नमकीन पेश करती रही। मैंने शाम में व्हाट्सएप ग्रुप पे लिखा “दुल्हन तो बड़ी अच्छी है”। हैरत भी हुई खुद पर की पढ़ी लिखी होने के बावजूद मेरे नज़रियात बदल गए, मैं बचपन से पढ़ने की शौकीन थी एक बार पढ़ा था कि “की खूबसूरत मगर गरीब दुल्हन की ऐसी मिशाल है जैसे कोई आलीशान महल बिना फर्निचर के” तब दिमाग पे बहुत जोर डालने के बाद भी ये बात समझ नहीं आई थी। अब ऐसा लगता है कि किसी भी मकान ले लिए फर्नीचर का होना कितना जरूरी है।
स्वरचित एवं मौलिक
सुल्ताना खातून
सिवान, बिहार
#मैं सिर्फ आपकी पत्नी ही नही किसी की बेटी भी हूँ