Moral Stories in Hindi : रॉय साहब के घर बहुत सालों बाद बेटी पैदा हुई थी । पिछली चार पुश्तों से उनके घर लड़के ही पैदा हो रहे थे । इसलिए जब उनके घर बेटी हुई तो उसके होने की ख़ुशी पूरे परिवार ने बड़ी धूम धाम से मनाई । जब भी चारुलता अपनी बेटी को गोद में लेती ,
तो उसका पाँच साल का बेटा आकर उसकी गोद में बैठ जाता । चारू उसे बहुत समझाती बेटा ये तुम्हारी छोटी बहन है । इसे मेरी अभी ज़्यादा ज़रूरत है । लेकिन जब सूरज नहीं समझता तो चारू उसे डाँट के बाहर भेज देती । जब भी ऐसा कुछ होता तो ,सूरज हर बात पे सबको आजामाता कि यें मुझें ज़्यादा प्यार करते है या लक्ष्मी को ।
घर में जब भी कोई आता तो पहले लक्ष्मी को प्यार दुलार करते बाद में सूरज को । अपने आप को इग्नोर होता देख सूरज के मन में लक्ष्मी के प्रति ईर्षा की भावना पैदा हो गई । जब लक्ष्मी पाँच साल की हुई तो घर में मकरसंक्रांति की तैयारी चल रही थी । सूरज ने सोचा आज भी सब आएगे और मुझे छोड़ लक्ष्मी को पहले उपहार देंगे ।
यह सब सोच उसने लक्ष्मी को छत के ऊपर के कमरें में बंद कर दिया जहां कोई नहीं आता जाता था । उसने सोचा था कि एक घंटे बाद मैं उसे नीचे ले आऊँगा , पर वो अपने खेल और उपहार देखने में इतना व्यस्त हो गया कि लक्ष्मी के बारे में सब भूल गया । जब सब लोग लक्ष्मी को ढूँढने लगे तब उसे याद आया कि मैं तो लक्ष्मी को बाहर निकालना ही भूल गया । अगर अब मैंने कुछ कहा तो मेरी ख़ैर नहीं ,इसलिये वो चुप रहा ।यें उसकी बहुत बड़ी गलती थी ।
अधूरा रिश्ता पूरा हुआ – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi
बहुत ढूँढने के बाद जब लक्ष्मी मिली तो उसकी हालत ठीक नहीं थी । पसीने में लत पत रोए जा रही थी । तभी डॉक्टर को बुलाया गया और सब निश्चिंत हो गए । सूरज डरा सहमा सब पर्दे के पीछे से देख भगवान से बस यही दुआ कर रहा था कि , मुझें इस बार बचा लो आगे से ऐसा नहीं करूँगा ।
तभी रॉय साहब ने सभी नौकरो को बुलाया और पूछा कि लक्ष्मी वहाँ कैसे बंद हुई ????
पता नहीं साहब ! यें सब कैसें हुआ वैसे तो वो कमरा बंद ही रहता है । पर आज त्योहार की वजह से सामान रखने निकालने के चक्कर में हो सकता है , बेबी जी कमरें में बंद हो गई हो । हमे माफ़ कर दीजिए साहब यें सब अनजाने में हुआ है । सब लोग इसे एक बुरा हादसा समझ भूल गए ।
लेकिन कुछ दिनों बाद लक्ष्मी ने अपनी माँ को सब सच बताया । यें सुन वो ग़ुस्से में सूरज के पास गई और उसे एक थप्पड़ रख के दिया । तुम्हारी इतनी हिम्मत और अपनी गलती का अफ़सोस भी नहीं है । जब रॉय को ये बात पता चली तो उसने सूरज को अपने पास बुलाया और पूछा आखिर तुमने ये सब क्यों किया …..
सूरज बोला “पापा जब से लक्ष्मी पैदा हुई है सब उसे ही प्यार करते है , उसे ही प्राथमिकता मिलती है “। मुझें तो सब बाद में प्यार करते है जबकि मैं उससे बड़ा हूँ । ऐसा नहीं है , सूरज ! तुम बड़े हो तुम्हें भी सब मिला है । वो तुम से छोटी है , तो बस थोड़ा उसे लाड़ करते है । इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नहीं है ।
सब बच्चों के साथ ऐसा होता है ।जब कोई छोटा आता है तो उसे भी वो प्यार वो केयर दी जाती है । जो तुम बड़ो को मिली थी । लेकिन तुम बड़े कहलाने के लायक़ नहीं हो । कोई अपनी छोटी बहन के साथ ऐसा करता है । तुमने ऐसा किया तो किया फिर सब छुपाया भी , ये तुम्हारी बहुत बड़ी गलती है जो माफ़ी के काबिल नहीं है । इसलिए मैंने ये फ़ैसला किया है कि अब से तुम हॉस्टल में रहोगे । तकिं तुम थोड़ा सा सुधर जाओ और अपनो का महत्व समझो ।
कुछ दिनों बाद सूरज अपना सामान लिए हॉस्टल जा रहा था । सब बहुत उदास थे पर लक्ष्मी बहुत खुश थी और सूरज से गले मिल कहने लगी अच्छा है भाई , तुम जा रहे हो अब कोई मुझें तंग भी नहीं करेगा ओर अब से सारी चीज मेरी होंगी । यें सब सुन सूरज के मन में और टीस चुभ गई । ये जो भी हुआ बचपन की नासमझी हठ की वजह से हुआ । कई बार रिश्तों में छोटी छोटी बाते नासूर बन जाती है । जो आगे जाकर रिश्तों में
कड़वाहट घोल देती है । इसलिए हम बड़ों को हर बात को बड़ी समझदारी के साथ सुलझाना चाहिए । नाकि रॉय की तरह उनसे पीछा छुड़ाना चाहिए । हॉस्टल भेजने से सूरज में वो बदलाव ना आता । जो वो अपने घर में अपनो के बीच रह समझता । रिश्तों में पड़ी गाँठ को रिश्तों के बीच रहकर ही खोला जा सकता है ।
#वाक्य प्रतियोगिता
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति
# बेटियाँ वाक्य कहानी प्रतियोगिता
#रिश्तों के बीच कई बार छोटी छोटी बातें बड़ा रूप ले लेती है।
Iska 2nd part bhi likhiyega ki uski kuntha dur hui ki nahi
Iska 2nd part bhi likhiyega ki uski kuntha dur hui ki nahi aur laxmi aur suraj ke bich sab thik hua ki nahi