नेहा यार !अब बस भी करो ,एक इंच भी जगह नहीं बची है कार में,रजत झुंझलाते हुए बोला!
मम्मी!क्या पूरा घर ही बांध दोगी क्या?
नीना और विनय के बेटे-बहू नेहा और रजत क्रिसमस की छुट्टियों के बाद वापस जाने के लिए गाड़ी में सामान जमा रहे थे।
” बस सिर्फ एक बैग और ,ये यहाँ पैरों के पास आ जाएगा,नीना अंदर से बैग लेकर आई,हल्की सी प्यार भरी चपत लगा रजत को बोली “बस तू नेहा को गुस्सा मत करना वह तो बहुत मना कर रही थी पर ये अचार उसे बहुत पसंद हैं उसी के लिए बनाए हैं रह जाऐगे तो मुझे बहुत बुरा लगेगा।अरे!ट्रेन-प्लेन से जा रहे होते तब थोड़े ही ना कहती,अपनी कार में क्या दिक्कत है”
नीना दो दिन पहले से ही तैयारियों मे लगीं थी उन्होंने याद कर करके दस किलो मटर छील कर दाने निकालकर नेहा के साथ रख दिये कि वहाँ जाकर अकेली कहां छीलेगी फ्रीज़ करके फ्रिज मे डाल देगी साल भर तक आराम रहेगा।
दो-तीन तरह के मीठे नमकीन नाश्ते,अचार ,थोड़ी-थोड़ी सब्ज़ियां फल,दही और तो और प्याज-टमाटर का मसाला भूनकर भी रख दिया।रजत करेले के नाम पर मुँह बनाता उधर नेहा को करेला बहुत पसंद है इसलिए नीना ने भरवां करेले बनाकर दे दिये कि सर्दी का मौसम है खराब नहीं होंगे।
बच्चे छुट्टियों में आऐंगे इस लिए नीना ने दोनों काम वालियों को एडवांस में छुट्टी दे दी थी ताकि वे लोग उनके आने पर ना बैठ जाएं और बहू को काम करना पड़े।
नीना और विनय की कोशिश रहती कि बच्चों के एक हफ्ते के प्रवास में उनकी मनपसंद की हर चीज़ बनाकर खिला दें।
नीना सुबह जल्दी उठकर किचन का काम निपटा जाए देती जिससे नेहा को किचन में ना लगना पड़े फिर भी नेहा ज्यादा से ज्यादा कोशिश करती कि वो सारा काम कर ले जिससे नीना को काम ना करना पड़े।
तभी विनय की बहन सुनीता अपने भतीजे और बहू से मिलने आई! उन्हें नीना का बहू के लिए इतना ख्याल करना और उसके लिए सामान बनाकर देना एक आँख नही सुहा रहा था।
“अरे! ऐसे सामान तो जाते हुए बेटियों के साथ बांधा जाता है जैसे तुम बहू के साथ बांध रही हो।इतना तो इसकी अम्मा भी ना बांध के देती होगी”।बुआ जी का प्रवचन जारी था।
“भई!तुम्हारा ये फिजूल का लाड़ हमारे समझ ना आ रहा।आगे से आगे करके देती रहोगी तो बहूजी काहे को हाथ हिलाऐंगी।अब ऐसा करो महीने भर का खाना भी बनाकर दे दो ताकि तुम्हारी बहूरिया चैन से बैठी खाया करे।”सुनीता जी हाथ नचा के आँखें निकालकर बोलीं।
नीना उनकी बात को हंस कर टाल गई।
सुनीता विनय की अकेली बहन थीं,भाई की गृहस्थी में कुछ ज्यादा ही दखल रखतीं थी।दरअसल वे अपनी सहेली की बेटी से रजत की शादी कराना चाहती थीं,इसलिए नेहा उनकी आँख में खटकती वे नेहा की हर बात में मीन-मेख निकालती रहतीं।
नीना ने नेहा को पहले ही समझा दिया था कि बुआ जी की बातों को दिल पर ना ले,बस उन्हें कभी जवाब ना दे।
जाते समय नेहा नीना के पैर छूकर उससे लिपट कर रो पड़ी मानो ससुराल से नहीं बल्कि मायके से विदा हो रही हो।
बच्चों को गाड़ी में बैठाकर नीना और विनय की भी आँखें भर आई।
रास्ते से नेहा ने नीना को मैसेज किया”मम्मी! बदले दुनिया सारी तुम ना बदलना”
दोस्तों
ये छोटी छोटी चीज़ें जो हम परिवार का ख्याल रखकर करते हैं परिवार की खुशहाली की नींव हैं।किसी के कहने-सुनने में आकर इस नींव की इमारत को कभी ना गिरने दें।