Moral Stories in Hindi : एक दुख्दाई बीमारी से मुक्ति पाने के बाद काफी विचार विमर्श करने के बाद जब महेश पाल ने अपना निर्णय अपनी तीनों बेटी मोनिका, सोनी, जुही और बेटे मोहित को सुनाया तो चारों गुस्से में तिलमिला उठे थे उनकी बड़ी बेटी मोनिका गुस्से में बोली” पापा आप पागल हो गए हो क्या? जो अपनी जमीन आपने अपनी बहू अर्चना के नाम करदी अरे भाभी तो पराया खून है और हमसे तो आपका खून का रिश्ता है फिर भी आपने अपना निर्णय लेने से पहले एक बार भी हमारे बारे मे नहीं सोचा कि आप कर क्या रहे हैं?
मोनिका की बात सुनकर उन्हें कुछ पुरानी यादें आ गई थी कुछ साल पहले दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी पत्नी का देहांत हो गया था उस दौरान उन पर दो-दो विपदा आन पड़ी थी एक तो पत्नी की मौत का गम और दूसरा उनकी दोनों किडनी खराब हो गई थी जिसके कारण कारण उनका जीना मुश्किल हो गया था तब डॉक्टर ने उनसे कहा “कि यदि आपकी चारों संतान में से कोई एक संतान आपको अपनी किडनी दान कर दे तो आपका जीवन बच सकता है नहीं तो आप कुछ समय के मेहमान हैं
“डॉक्टर की बात जब उसने अपने बेटे मोहित और तीनों बेटियों को बताई और उनसे अपनी किडनी दान करने को कहा तो चारों ने अपनी किडनी दान करने से साफ इनकार कर दिया और फिर अपनी ससुराल में ज्यादा काम का बहाना बनाकर तीनों बेटियां अपने ससुराल चली गई और बेटा ऑफिस में ज्यादा काम होने की बात कहते हुए अपने ऑफिस चला गया तब अपने बच्चों का अपने प्रति ऐसा व्यवहार देखकर महेश पाल की आंखें भर आई थी
क्योंकि इन्होंने अपने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं की थी जिस भी चीज की मांग उनके बच्चे करते थे वह उन्हें तुरंत दिला देते थे वैसे तो उन्हें ज्यादा जीवन जीने की इच्छा नहीं थी परंतु, दोनों किडनी खराब होने के कारण वह अपने बेटे और बहु पर आश्रित हो गए थे जो उन्हें बेहद बुरा लगता था उनकी बहू अर्चना उनकी बहुत सेवा करती थी
उनकी सप्ताह में तीन-तीन बार होने वाली डायलिसिस दवा और खान-पान पर बहुत ध्यान रखती थी जब वह अपने बेटा- बेटी से बात कर रहे थे तब अर्चना वहीं पर थी ससुर को दुखी देखकर वह वह प्यार से उन्हें समझाते हुए बोली ” पापा आप दुखी मत हो हो मैं आपको अपनी एक किडनी दान करूंगी जिससे आप कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो जाएंगे।”
यह सुनकर महेशपाल भावुक होकर बोले” बहु तुम मेरे लिए अपनी किडनी दान मत करो मैं ऐसे ही अपनी जिंदगी के बाकी दिन गुजार लूंगा ” ऐसे कैसे आप अपनी जिंदगी के दिन गुजार लेंगे मैं आपको ऐसे दुख भरा जीवन जीने नहीं दूंगी मैं आज ही डॉक्टर से बात करके अपने सारे टेस्ट करा कर अपनी किडनी आपको दान कर दूंगी” अर्चना ने द्रढ़ता से कहा तो महेश पाल इनकार नहीं कर सके थे और फिर अर्चना ने पति की सहमति लेकर डॉक्टर से बात की फिर अपने टेस्ट करा कर ऑपरेशन के जरिए अपनी किडनी अपने ससुर को दे दी थी
जिसके कारण कुछ ही दिनों में उसके ससुर स्वस्थ हो गए थे और अपना जीवन सामान्य इंसान की तरह जीने लगे थे उनके बेटा -बेटी तो बस उनका हाल-चाल पूछ कर ही अपना कर्तव्य पूरा कर लेते थे परंतु, अर्चना अब भी उनकी बहुत सेवा करती थी उनके पास दो एकड़ जमीन थी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर जब उन्होंने अपनी जमीन उसके नाम करने का निर्णय लिया तो उनके बेटा- बेटी उनसे गुस्सा हो गए थे।
मोनिका की बातें सुनकर महेश पाल बोले” हां बेटी में पागल हो गया हूं तभी तो मैं अपनी जमीन बहू के नाम कर रहा हूं बहू ने तो पराया खून होकर भी मेरा साथ देकर अपना फर्ज निभाया परंतु, तुमने तो मुझे ऐसा गच्चा दिया कि मैं जीते जी भूल नहीं पाऊंगा ऑपरेशन के बाद भी तुमसब मुझे सिर्फ मेहमान की तरह देखने आती थी लेकिन बहू ने एक सेविका रखकर मेरा पूरा ध्यान रखा इसलिए मेरा निर्णय बदलेगा नहीं अगर तुमने बहू के साथ कुछ गलत हरकत करने की कोशिश की तो मैं पुलिस को बुला लूंगा” पिता की बात सुनकर मोनिका और उसकी दोनों बहने शर्मिंदा होकर चुपचाप अपने गंतव्य की तरफ प्रस्थान करने लगी थी।
#खून का रिश्ता
बीना शर्मा
बहुत दिलचस्प कहानी मुसीबत में जो अपना साथ दे, निगरानी करे वही अपना सगा होता है, सिर्फ जन्म लेनेसे नही!