Moral Stories in Hindi : बस बहुत हो गया ,मेरे भी बर्दाश्त की एक सीमा है! तुम सब मेरी अच्छाइयों का नाजायज फायदा उठा रहे हो! मैं भी इंसान हूं कोई मशीन नहीं! मैं भी थक जाती हूं !आखिर कब तक सहन करूं ?आप सभी लोग मुझसे सिर्फ अपने मतलब और स्वार्थ के लिए रिश्ता रखते हो! आज नैना का इतने दिनों से भरा ज्वालामुखी फूट पड़ा!
नैना 35 साल की सुंदर, हर काम में दक्ष, मिलनसार बहू है ,जिसकी 12 साल पहले मानस से शादी हुई थी! भरा पूरा परिवार था ,जिसमें सास-ससुर देवर ननंद और वह स्वयं थी !घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी! कमी थी तो बस यह कि नैना के कोई बच्चा नहीं था!
नैना की शादी के 2 वर्ष बाद ही ननंद श्वेता की अच्छे घर में शादी हो गई और 4 वर्ष बाद देवर कौशल की भी शादी हो गई! शादी के अगले साल ही देवरानी महिमा ने अपने गर्भवती होने की खुशखबरी सुना दी! 9 माह पश्चात महिमा ने एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया! पूरा घर खुशी से झूम उठा! सब ने उसे हाथों ही हाथों में रखा!
नैना तो विशेष रुप से मां बेटी का ध्यान रखती! बच्ची को देखकर नैना की ममता हिलोरे लेने लगी थी! नैना महिमा को बिस्तर से उत्तरने नहीं देती !नैना पर अब काम का बोझ ज्यादा हो गया और मदद करने वाला कोई नहीं था! कहने को तो घर में कामवाली बाई आती थी ,किंतु 6 जनों के परिवार का काम भी तो कम नहीं होता! रात तक सब की फरमाइशे पूरी करते-करते नैना थक कर बिस्तर में कब सो जाती, उसे उठने के बाद ही पता चलता!
सुबह उठते ही किसी को चाय, किसी को दवाई, किसी को नाश्ता, सारे कामों की जिम्मेदारी उसी पर थी! कोई उसकी स्थिति समझना ही नहीं चाहता था? नैना के बीमार होने पर पूरे घर की स्थिति ऐसी हो जाती जैसे घर-घर नहीं कोई धर्मशाला हो! पर इन सब की आदत भी नैना ने ही बिगाड़ी थी! नैना ने आते ही घर की सारी जिम्मेदारियां स्वयं ले ली थी!
एक दिन नैना ने सुना सासु मां …..अपनी बहन से फोन पर कह रही थी …अरे मुझे क्या जरूरत है काम करने की, काम करने के लिए बहुए है ना! और नैना को तो काम करने की वैसे भी आदत है! उसे तो घर का काम करना ही अच्छा लगता है! खाली रोटी तोड़ने थोड़े ही लाए हैं इनको! नैना दर्द का घूंट समझ कर पी गई! ऐसे ही एक दिन देवरानी अपनी मम्मी से कह रही थी.… मम्मी; नैना दीदी जब सब अच्छे से संभाल लेती हैं, तो मुझे काम करने की क्या जरूरत है?
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उनके बच्चे तो है नहीं; तो वह तो फ्री ही रहती है! उनको वैसे भी काम करने का बहुत शौक है! अगर वो 1 दिन को भी कहीं बाहर चली जाए ,तो मेरी तो हालत ही खराब हो जाती है; इसलिए मैं कोई ना कोई बहाना बनाकर उन्हें घर से बाहर जाने ही नहीं देती! उनकी वजह से तो मेरे मजे ही मजे हैं! नैना को सुनकर बहुत दुख हुआ!
1 दिन नैना को तेज बुखार था! उससे घर का कोई काम नहीं हो रहा था !सब घर वालों की स्थिति खराब हो रही थी, क्योंकि किसी को भी घर का काम करने की आदत नहीं थी! शाम होते होते तो नैना की सास ने नैना को आवाज लगाई ….नैना “अगर बुखार उतर गया हो तो चाय तो पिला दे और घर को भी संभाल ले! देख घर की क्या हालत हो गई है”!
मुझसे तो इस उम्र में अब घर का काम होने से रहा! बस अब और नहीं… यही सोच कर नैना बिस्तर से उठ कर सुनाने लगी! आज तक मैंने सबके लिए बहुत किया, किंतु जब मेरी बारी आई तब भी सबको अपने स्वार्थ की पड़ी है? अगर मैं मां नहीं बन पाई तो क्या इसमें भी मेरी गलती है?
अगर मेरे औलाद नहीं है, तो क्या मुझे आराम करने का, या अपने लिए कुछ सोचने का हक नहीं है? मैं तो अगर मर भी रही होती , तब भी सब कहते अरे “अभी बाद में मरना ,अभी तो घर का बहुत सारा काम पड़ा है” मैं भी इंसान हूं ,मशीन नहीं हूं! मैं भी थक जाती हूं! मेरी भी कुछ इच्छाएं हैं!
उसके बाद भी मेरे लिए आपके दिलों में कोई जगह नहीं है ! आज भी सभी को सिर्फ अपनी-अपनी पड़ी है! कितने मतलबी हो आप सब! मैंने आज तक इस घर को और सभी सदस्यों को अपना समझा! किंतु आप लोगों ने मेरे साथ क्या किया!कहते कहते उसका आक्रोश उसके आंसुओं के साथ बहने लगा! सब घर वाले सिर झुकाए खड़े थे; और अपनी करनी पर शायद शर्मिंदा भी हो रहे थे ! और शायद सोच रहे होंगे…. किसी की अच्छाई का इतना फायदा भी नहीं उठाना चाहिए, की रिश्ते भी मतलबी नजर आने लगे
हेमलता गुप्ता
स्वरचित