अविनाश ने दो टूक जवाब दिया- ‘तुम और आर्ची पार्टी में नहीं जाओगी, यह मेरा फैसला है। ‘ और वह ऑफिस के लिए निकल गया। चारूदत्ता सन्न रह गई। आखिर क्या हो गया है अविनाश को? पार्टी में जाने के लिए मना कर दिया।
कितनी उत्सुक थी, वह और आर्ची मिस्टर डिसूजा और उनके परिवार के लोगों से मिलने के लिए। मिस्टर डिसूजा का परिवार अभी एक महिने पहिले ही इस कॉलोनी में रहने के लिए आया है। उनके फ्लेट से आती रंग-बिरंगी रोशनाई, और हर समय गूंजता मीठा संगीत, दरवाजे पर खड़ी मेंहगी गाड़ी, उसे और आर्ची को आकर्षित कर रहै थे, और वे हमेशा उनके घर जाने के लिए लालायित रहती थी।
कल जब मिस्टर डिसूजा ने उन्हें पार्टी का निमंत्रण दिया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। मगर उनके उत्साह पर अविनाश ने पानी फैर दिया। चारूदत्ता गुस्से में भुनभुना रही थी और कह रही थी कि पता नहीं क्या समझते हैं ये अपने आप को?
बस अपना निर्णय सुना दिया। ये पुरूष भी ना…… इस पुरूष शब्द पर उसकी सुई अटक गई…..! सामने देखा तो मॉं की तस्वीर मे मॉं जैसे उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। वह एकटक तस्वीर की ओर देख रही थी और मन अतीत की विथियों में गोते खाने लगा।
उसे याद आया अपना बचपन जब वो पॉंचवी में पढ़ती थी, और एक दिन उछलती कूदती स्कूल से घर पर आई थी। मॉं ने पूछा था-‘क्या बात है चारूदत्ता क्या आज स्कूल में कोई किला फतह करके आई हो क्या? बड़ी प्रसन्न नजर आ रही हो।
‘ उसने इतराते हुए कहा था – ‘प्रसन्नता की बात तो है मॉं। आज हमारी कक्षा में प्राचार्य महोदया आई थी, और उन्होंने कक्षा में सभी बच्चों से पूछा। स्त्री और पुरूष के स्वभाव में क्या अन्तर होता है?
बस मैंने ही हाथ ऊंचा किया था, उन्होंने मुझसे पूछा और मैंने बताया तो उन्होंने मुझे शाबासी दी।’ अच्छा, अब बताओ मेरी समझदार बेटी! तुमने क्या जवाब दिया?’
‘देखो मम्मा मैंने कहा-‘स्त्रिया गुस्सा नहीं करती है, बहुत प्यार करती है, दयालु होती है। पुरूष अकड़ू होते हैं, गुस्सा करते हैं, उनसे डर लगता है।’ फिर मैडम ने पूछा- तुम ऐसा कैसे कह सकती हो?’
मैंने कहा-मेरे घर में मेरी मम्मी और दादी मुझे बहुत प्यार करती है, कभी नहीं डाटती हैं। दादाजी और पापा बहुत गुस्सा करते हैं, उनसे कुछ पूछने मे डर लगता है। मेरा भाई है, वह भी मुझसे हमेशा लड़ाई करता है।
भाई रजत जो छठी कक्षा में पढता था, उसकी बातें सुनकर गुस्सा हो गया। बोला-‘तू हमारी सबकी स्कूल में बुराई करके आ गई। देखो ना मॉं आपकी लाड़ली ने क्या किया है?
माँ ने कहा- ‘बेटा रजत तुम चुप रहो, मैं चारूदत्ता से बात करती हूँ। ‘ अच्छा फिर तुम्हारी प्राचार्य मेडम जी….ने क्या कहा?’
‘कुछ नहीं। बस मेरे सिर पर हाथ रखा और चली गई। ‘
‘ बेटा तुमने कभी सोचा कि तुम्हारे दादाजी और पापा गुस्सा क्यों करते हैं? डाटते क्यों है? उनका स्वभाव सख्त क्यों है?’
‘नहीं मॉं। ‘
बेटा उन पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी होती है, उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वो अगर डाटते हैं तो तुम्हारी भलाई के लिए डाटते हैं, वे तुम्हें गुणवान और आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं।
अगर वे भी दादी और मेरी तरह तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे तो तुम, मनमानी करोगी, तुम्हें सही गलत का विचार ही नहीं रहेगा। बेटा तुम्हारे दादाजी तुम्हें डाटते हैं, तो प्यार भी कितना करते हैं। वे तुम्हारे लिए कितने सारे फल और मिठाई लाते हैं।
पहले तुम्हें खिलाते हैं, फिर खाते हैं। अगर घर में कोई समस्या आती है,और मुझे भी समझ में नहीं आता है, तो मैं तुमसे क्या कहती हूँ, बेटा तुम्हारे पापा को आने दो, वे हमारी परेशानी दूर कर देंगे।
उन पर हमारे भरणपोषण और हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। ऑफिस में भी उन पर कई जवाब दारी होती है, इसके कारण उनका स्वभाव ऊपर से सख्त दिखता है, उन्हें हम सबकी चिन्ता रहती है।
उस दिन विद्यालय मैं तुम्हारा राज से झगड़ा हुआ था,तो तुम्हारे पापा ने कितनी आसानी से सुलझा दिया था। रजत तुमसे घर में लड़ाई करता है, मगर जब तुम बाहर खेलने जाते हो, वह हमेशा तुम्हारी रक्षा करता है।
बेटा! तुम्हें अपने दादाजी, पापा और भैया की अच्छाइयों को भी देखना चाहिए। तुमने तो प्राचार्य महोदया के सामने सबकी बुराई कर दी। क्या तुमने ठीक किया?’
‘ मुझे माफ करदो मम्मा, कल मैं प्राचार्य महोदया के सामने सारी बातें करूँगी।’
‘शाबाश बेटी!’
चारूदत्ता को अपनी माँ की शाबाशी याद आई और विचारों ने पलटी खाई। वह सोचने लगी, अविनाश ने अगर वहाँ जाने के लिए मना किया है तो उसका कोई कारण जरूर होगा। वैसे तो वे कहीं जाने के लिए मना नहीं करते हैं।
वह विचारों में खोई थी तभी आर्ची ने आकर कहा-‘मम्मा आज पार्टी में क्या पहन कर जाऊँगी?’ ‘ बेटा! हम पार्टी में नहीं जाऐंगे। तुम्हारे पापा ने मना किया है। जरूर, कुछ सोच समझ कर ही मना किया होगा।’
आर्ची का मन उदास हो गया। तभी अविनाश का फोन आया-‘ चारू तुम और आर्ची तैयार रहना मैं ऑफिस से घर आ रहा हूँ, आज हम फिल्म देखने चलेंगे।’ रात मे तीनों ने फिल्म देखी, होटल में भोजन किया और घर आ गए।
दूसरे दिन चारूदत्ता को कॉलोनी की औरतों ने बताया कि ‘मिस्टर डिसूजा के यहाँ रातभर पार्टी चलती रही। हम लोग गए थे मगर माहौल इतना खराब था कि हम लोग जल्दी वापस आ गए। शराब पीकर सब ऐसे झूम रहैं थे,कि स्त्री पुरुष के मध्य कोई मर्यादा ही नहीं रह गई थी,
न उन्हें अपने कपड़ो का भान था, न कुछ होश था। हम वहाँ जाकर पछताए, तुम और आर्ची वहाँ नहीं आए तुम्हारा निर्णय सही रहा।’
चारूदत्ता को एक बार फिर अपनी माँ की शिक्षा याद आई। अपने पति पर गर्व हुआ। उसे लगा कि वह और आर्ची अविनाश की नजरों के सुरक्षा घेरे में सुरक्षित है। वे अगर किसी बात के लिए मना करते हैं तो उसका कोई कारण होता है,
ठीक वैसे ही जैसे बचपन में उसके दादाजी और पापा उसे किसी बात के लिए मना करते थे, और जिद करने पर डाट पढ़ती थी।
स्त्री के आसपास पुरूष की सुरक्षा का घेरा होता है और वह सुरक्षित रहती है।
(आज के समय में कुछ लोगों की सोच और मान्यताओं में अन्तर आ गया है,हो सकता है मेरी कहानी किसी को ठीक न लगे,पर अपने-अपने विचार है। आज की नारी सक्षम है।मगर, अगर उसके साथ पुरूष का साथ है
वह किसी भी रूप में हो पिता, भाई, पति, बेटा तो एक सुरक्षा का घेरा आसपास अनुभव होता है। मुझे आप सबकी प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन का इन्तजार है।कुछ गलत लिखा हो तो क्षमा करना)
प्रेषक-
पुष्पा जोशी
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित
#पुरुष
Your views show a backward background of not fitting today.
Women are working all over:
in Police, Military, and Air Force, they are doctors, Teachers, and Engineers. They are in Government. Our President is a woman. There are many Ministers in the Parliament. It would help if you had to change your views being lower.
Please do not spread your views as morals.
बहुत सुंदर विचार ।।
Criticism of one class of people is done here . Are such parties not held in other communities also . Infact it’s more than this . . Don’t Target specific communities but make your stories more secular
Perfect aaj ke atyaadhunik daur me ATI aavshayak hai social media ka dusprbhav itna badh gaya Hai ki USA jaisi country ne bhi meta par case thok diya hai unkempt bachhe bhi buri lat me fans Gaye hain
Aapne sach kaha hai ki ghar ke mard suraksha kavach ki tarah hote hai
Bahut sunder kahani. Ye baat aajkl ladkiyon ko samjhin hogi.