क्या हुआ..? इतने परेशान क्यों लग रहे हैं..?
रानी ने अपने पति राकेश से कहा…
राकेश: क्या करोगी तुम सुनकर..? कौन सा तुम मेरा कर्ज चुका दोगी…?
रानी: कितने चुकाने है…?
राकेश: जाओ और अपना काम करो…! माना कि मेरी हालत अभी ठीक नहीं है… पर तुम्हारी भी इतनी कमाई नहीं है कि तुम मेरा कर्ज चुका दो… मैं देख रहा हूं, जब से तुमने कमाना शुरू किया है… घमंड तुम्हारे सातवें आसमान पर है.. इतनी सी कमाई का इतना घमंड..? पता नहीं मेरे जितना कमाती, तो पांव ज़मीन पर ही ना पड़ते तुम्हारे…
रानी: कमाई थोड़ी हो ज्यादा… पर उसी से अभी हमारा गुजारा तो चल रहा है ना..? और रही बात मेरे घमंड की, वह तो आप भी जानते हैं कि आपके भी थे कभी.. आप अपने घमंड में इतने व्यस्त थे के बेफिजूल के खर्चे करते चले जा रहे थे… उस वक्त मेरी बात आपको कहां भाती थी..? तब आपको अपनी कमाई पर बड़ा घमंड था… सिर्फ दोस्त यार में व्यस्त.. आज मुझे आपके वही दोस्त यार नजर क्यों नहीं आ रहे हैं..?
बड़ी कमाल की बात है ना… पत्नी अगर पति के कमाई पर गुजारा करें, तो पति बड़े घमंड से कहता है कि, मैं कमाता हूं.. जो चाहे वह करूंगा इस घर में… और जब पत्नी कमाई कर, इमानदारी से घर खर्च चलाएं तो, उसका घमंड बताया जाता है…
राकेश: देखो रानी..! मेरा दिमाग पहले से खराब हुआ पड़ा है.. इसे और मत खराब करो… मानता हूं उस वक्त था मुझे घमंड… और हो भी क्यों ना..? मुझे कुछ भी विरासत में नहीं मिला… सब कुछ खुद के बलबूते पर किया था…
रानी: देखिए..! यह तो अच्छी बात है कि आपने सब कुछ अपने बलबूते पर किया.. पर घमंड में आकर सब कुछ डूबा भी तो दिया… घमंड इंसान को अंधा, गूंगा और बहरा बना देता है… जब सोने के लंका का राजा, रावण का घमंड टीक नहीं पाया.. फिर उसके आगे हम और आप तो कुछ भी नहीं..
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राकेश: वाह..! कर्ज को चुकाने का तो पता नहीं, पर अच्छा खासा भाषण देकर अपनी पुरानी भड़ास शुद समेत वसूल कर लिया तुमने..
रानी: नहीं.. यह मैंने भड़ास नहीं, अपनी बात कहीं… आगे समझना या ना समझना आपकी मर्जी… फिलहाल का कर्ज बताइए..?
राकेश: 1 लाख तो कल ही देने हैं.. बाकी और भी है, जो कि यह मिलने पर चुका दूंगा.. कहो है इतना..? कहां से होगा..? तुम औरते तो बस आटे दाल में उल्झी क्या जानो..? हम मर्द कितने परेशानियों से गुजरते हैं…
राकेश यह सब कह ही रहा होता है कि, रानी लाकर उसे 1 लाख दे देती है… ₹1 लाख देखकर, राकेश की तो बोलती ही बंद हो जाती है…
फिर वह कहता है… इतने रुपए तुम्हारे पास कैसे..? मुझे नहीं पता था कि तुम्हारे सिलाई बुनाई से इतनी कमाई हो जाती होगी..? या फिर अपना कोई गहना बेच दिया..?
रानी: ना ही यह मेरे कमाई के पैसे हैं और ना ही मैंने अपना कोई कहना बेचा… यह आपके ही पैसे हैं, जो मैंने बचाई थी कभी… क्योंकि जब आप अपने घमंड के नशे में अपनी कमाई लूटा रहे थे, मैं उसी वक्त इसे बचाने में लगी थी… क्योंकि मुझे तो हमारा भविष्य तभी दिख रहा था…
राकेश: इसका मतलब उस वक्त वह जो तुम मुझसे शॉपिंग के लिए पैसे मांगती थी.. वह तुम..?
रानी: घर की औरतों को पैसों के लिए हमेशा सुनना पड़ता है.. पर वह अपने लिए सबसे आखिर में सोचती है.. उसे दिया गया पैसा, वह इन दिनों के लिए ही संभाल कर रखती है… पर फिर भी उसे रुपए देने से पहले कितना कुछ सुनाया जाता है… अगर वह एक नई साड़ी की मांग करें तो, उसे कहा जाता है कितनी साड़ियां तो है अलमारी में, पर वही अगर दोस्तों ने पार्टी के लिए कहा, तो मैं कमाता हूं, तो क्या मैं अपने लिए ना जीऊं..? आप लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि, पत्नी भी आपके लिए ही जी रही है..? हमें थोड़े से पैसे ज्यादा मिलने पर, उसकी बचत करने के लिए, उसके गहने बनवा लेते हैं, ताकि वक्त आने पर उसे इस्तेमाल किया जा सके… क्योंकि पैसे सभी को पता है, कि खर्च हो जाने हैं.. पर वह भी हमारा लालच कहलाता है…
राकेश: माफ कर दो मुझे रानी..! सच में मुझे तो ऐसी पत्नी पर घमंड करना चाहिए था, पर मैं उस चीज के लिए घमंड करता रहा, जो स्थाई है ही नहीं.. आज यहां तो कल वहां…
रानी: फिर घमंड की बात कही आपने..?
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राकेश: अरे..! मैं तो तुम पर घमंड करने की बात कर रहा था…
रानी: उसे नाज़ कहते हैं, घमंड नहीं..
फिर दोनों हँस पड़ते हैं… रानी की दी हुई सीख से राकेश ने वापस से वह मुकाम हासिल कर लिया… और फिर दोनों एक दूसरे पर नाज़ करते हुए, खुशहाल जीवन बिताने लगे..
धन्यवाद
स्वरचित/मौलिक/अप्रकाशित
#घमंड
रोनिता कुंडू