ससुराल में सास के बाद सबसे इंपोर्टेंट और खतरनाक जो प्राणी पाया जाता है वो ननद होती है, ननद का घर में महत्वपूर्ण स्थान होता है, माता पिता की ओर भाई की तो लाडली होती ही है, भाई की शादी के बाद माताजी के मन में इनके लिए कुछ अतिरिक्त स्थान और प्यार की मात्रा बढ़ जाती है।
ननद के कामों की व्याख्या करें तो ननद दो प्रकार की पाई जाती हैं, एक अच्छी प्यारी साथ देने वाली ननद, एक फिल्मों की खलनायिका के रूप वाली ननद, जिसकी तीखी नाक पर हमेशा गुस्सा और जबान पर जले भुने शब्द ही होते हैं,
अच्छी ननद अपनी मां को भाभी की अच्छाई के बारे में बताएगी, और बुरी ननद ताक लगाए बैठी रहेगी कि, कब भाभी से गलती हो और मां से वो जाकर चुगली करे।
अच्छी ननद के आने पर भाभी बहुत खुश होगी, खुश होकर स्वागत करेगी, अच्छे तोहफे देगी, और अच्छी ननद खुश होकर तोहफे स्वीकार करेगी, खुश होकर अपने घर जाएगी, बुरी ननद कभी भी संतुष्ट नहीं होगी बल्कि नाक मुंह बनाकर, हर चीज में कमियां निकालेगी, भाभी भी उसके जाने के दिन गिनेगी।
अच्छी नंद भाभी के हर काम में सहायता करेगी, उसे इसी घर के सदस्य की तरह व्यव्हार करेगी, पर बुरी ननद भाभी को दूसरे घर से आई हो का ताना देकर अहसास कराती ही रहेगी
अच्छी ननद और भाभी एक दूसरे से हर दिल की बात करेंगी, अच्छी ननद, हमेशा मां से तारीफ करेंगी , भाभी को अपना बनाने की सलाह देगी, साथ भाभी ही देगी मम्मी, हम तो दूर है कहेगी, पर बुरी ननद, सबसे ज्यादा अपने को ही अपना
समझने पर जोर देगी, मां को भाभी के नजदीक कभी होने ही नहीं देगी।
इस प्रकार ननदों के प्रकारों की व्याख्या की है, कृप्या सभी अपना अपना विश्लेषण करें की उनका कौन सा प्रकार है जिससे भाभी खुश होकर कहे, ननद हमारी बड़ी सयानी न की दुखी होकर और चिढ़कर कहे, ननद हमारी बड़ी सयानी।