सुधा ने आकर रंभा के सामने लड़कों के पाँच-छ, फोटो रख दिए।
रंभा ने पूछा “भाभी यह क्या है ?”
जवाब मिला “आपके लिए यह फोटो भेजे गए हैं ,आप तय कर लें आपको कौन पसंद है ।यह सभी लड़के अच्छे घरों के,अच्छी पोस्ट पर,जॉब करने वाले और सुंदर सुशील हैं।अब आपकी मर्जी आप किसे पसंद करेंगी।”
रंभा ने सरसरी निगाह से सभी फोटो देखे ।
सुधा (अपनी भाभी )से बोली “भाभी आप को सब पता है फिर भी आप मुझको यह फोटो क्यों दिखा रही हैं? मैं सुकांत को पसंद करती हूँ,और अपना जीवन साथी भी उसे ही बनाऊंगी यह मेरा निर्णय है।”
सुधा ने चुपचाप फोटो उठाकर लिफाफे में रख लिये फिर रंभा से बोली “रंभा मेरी प्यारी बहन तुमने जिसे पसंद किया है वह तुम्हारे साथ ही पढ़ाई कर रहा है कब उसकी शिक्षा खत्म होगी कब नौकरी लगेगी तब तक क्या तुम उसका इंतजार करती रहोगी, फिर सुकांत का परिवार भी निम्न मध्यमवर्गीय है उसकी दो बहनें भी विवाह के योग्य हैं। जिम्मेदारियां उस पर बहुत हैं ।मैं नहीं समझती तुम उससे विवाह कर खुश रह पाओगी तुम्हारी भलाई इसी में है कि इन फोटो में से किसी एक को पसंद कर लो,मम्मी पापा भी तुम्हारा विवाह करके चैन से रह सकेंगे।”
रंभा ने सुधा की बातों को अनसुना कर अपना पर्स लिया और बाहर अपनी सहेली के घर चली गई।
रंभा दो भाइयों की अकेली बहन, बहुत लाड़-प्यार से पली ,दो भाई, दोनों उससे बड़े थे। दोनों भाई अच्छी पोस्ट पर थे। दोनों का विवाह हो चुका था छोटे भाई की पोस्टिंग शहर से बाहर थी,घर में केवल मम्मी-पापा, बड़ा भाई और उसकी पत्नी सुधा थे ।रंभा मम्मी पापा की बहुत प्यारी थी।
वह जो भी चाहती मांगती,उसे सब मिल जाता था। इस समय वह इंग्लिश में एम ए फाइनल कर रही थी। सुकांत उसका मित्र भी उसी कॉलेज में उसके साथ था ।दोनों मिलते,कभी काफी हाउस जाते ,कभी किसी गार्डन में, और इस तरह मिलते मिलाते कब हम दोनों के बीच प्यार पनप गया,शायद उन्हें भी पता नहीं चल पाया।सुकांत एक साधारण परिवार का लड़का, उससे बड़ी दो बहने थीं। जिनके विवाह होने थे।आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण दोनों केवल हायर सेकेंडरी तक ही पढ़ पाईं।
सुकांत एम ए फाइनल में पढ़ रहा था ।घर की स्थिति देखते हुए सुकांत का विवाह करना अभी बहुत मुश्किल था।
परिवार में एक शादी होनी थी जिसमें रंभा के मम्मी पापा को शादी अटेंड करने शहर के बाहर जाना पड़ा तथा भाई को ऑफिस के काम से दूसरे शहर टूर पर जाना पड़ा।घर में केवल रंभा और सुधा थीं ।
ठंड के दिन थे रात करीब 11:00 बजे होंगे,चारों तरफ सन्नाटा था ,ठंड की वजह से सभी लोग अपने घर में थे।
घर में अचानक सुधा को कुछ आवाज सुनाई दी।उसे लगा कोई बाहर दरवाजा खोल रहा है, पहले तो उसे डर लगा फिर उसने रंभा को आवाज दी।
रंभा ने कहा “कोई नहीं है भाभी,मैं हूं।”
” इतनी रात को तुम क्या कर रही हो? सुधा ने पूछा और यह पूछते हुए सुधा ,रंभा के कमरे की और गई ।वहां उसने देखा कि रंभा सूटकेस लिए कहीं जाने को तैयार खड़ी थी।
” यह क्या है रंभा,इतनी रात को कहां जा रही हो और क्यों ?मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है ।मम्मी पापा भी नहीं है ,तुम्हारे भाई भी नहीं है ,तुम्हारा इरादा क्या है? मुझे साफ-साफ बताओ।” कहकर सुधा ने रंभा को खींच कर पलंग पर बिठा लिया ।
रंभा ने अपना सिर नीचे कर लिया और बोली “भाभी मैं सुकांत के पास जा रही हूँ, मुझे रोको मत ।”
“अच्छा !इस सूटकेस में क्या है ?
“मेरे कुछ गहने और कुछ रुपए ,साथ ही मैं अपने कपड़े, बैंक की पासबुक लेकर जा रही हूँ ।”
“अच्छा तो यह इरादे हैं आपके। सुकांत को पता है?”
“नहीं ।”
“अरे उसे नहीं पता !तो तुम जा कहाँ रही हो?
“सुकांत के घर नहीं “।
“फिर ?”
“मैं अपनी सहेली के घर जा रही हूँ । फिर वहाँ सुकांत को बुलाकर हम लोग शादी की प्लानिंग करेंगे, मुझे पूरा विश्वास है, आप मेरा साथ दोगी और शायद भैया मम्मी पापा को भी हमारी शादी से कोई एतराज नहीं होगा”।
” सुकांत अभी पढ़ रहें है। उनकी बड़ी बहने शादी योग्य हैं।सुकांत के मम्मी पापा को पता है ?”
“मुझे नहीं मालूम।”
मेरी प्यारी ननद रानी,आपको कुछ भी पता नहीं है और आप अपनी सहेली के घर अपनी शादी की प्लानिंग के लिए जा रही हो। चुपचाप पलंग पर बैठो और मेरी बात सुनो, सुकांत अच्छा लड़का है घर परिवार भी अच्छा है। आर्थिक परेशानियां जरूर हैं उनके यहाँ।थोड़े दिन सब्र करो। दोनों अपनी पढ़ाई पूरी कर लो फिर जॉब ढूंढो। तुम्हारे और सुकांत के पैरों के नीचे मजबूत जमीन हो जाए तब विवाह की सोचना। मैं उस समय बिल्कुल नहीं रोकूंगी और तुम्हारे भाई से,मम्मी पापा से तुम्हारे इस विवाह की रजामंदी की प्रार्थना करूंगी।पर इस समय इस रात के वक्त तुम कहीं नहीं जाओगी।”
चुप हो गई रंभा । सोचने लगी,भाभी ठीक कह रहीं हैं।भ
उनकी बात में दम तो है ।हमारे पांव के नीचे ठोस जमीन हो,तभी हम दोनों खड़े हो सकते हैं। मुझे उनकी बात माननी चाहिए ।
वह पलंग से उठी और भाभी के गले लग गई ,”भाभी आप बहुत अच्छी हो ।आज आपने मुझे एक नेक सलाह दी ।मैं सुकांत से यही बात कहूँगी । हम दोनों अपनी पढ़ाई और नौकरी के बाद ही विवाह की बात सोचेंगे। तुम मेरी तरफदारी करोगी ना मम्मी पापा से और भैया से ।”
“जरूर, क्यों नहीं?बड़ी सयानी है मेरी ननंद रानी, मैं उसका भला क्यों नहीं चाहुँगी? तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारी पसंद की होगी यह मेरा वादा है।”