अरे..इस लड़के के हाथों में तो “12 मार्च 2023” तक “नौकरी का योग” है ही नहीं, कुंडली में “शनि की महादशा” चल रही है.. शास्त्री जी ने अमोल की कुंडली देखकर कहा..
और यह सुनकर अमोल ठहाके मारकर हँस पड़ा..
अरे शास्त्री जी कुंडली ज़रा ठीक से देखिए, अमोल एक होनहार छात्र है, अभी उसने कॉमर्स से कॉलेज में टॉप किया है, अभी आए दिन ही कितनी ही कम्पनियां उसे कैम्पस सिलेक्शन में ही जॉब ऑफ़र कर चुकी है, वह तो पूना के प्रसिद्ध कॉलेज से MBA करना चाह रहा है, इसलिए अभी जॉब नहीं कर रहा है, वरना “नौकरी” का ऑफर तो उसके हाथों में ही रखा है।अमोल की माँ सुनीता ने व्यग्र होकर कहा।
बहन जी जो उसकी “नियती” में लिखा है, वही पढ़कर बता रहा हूँ, नियति का लिखा तो भगवान भी नहीं बदल सकतें, तभी तो ईश्वर होते हुये भी राम को 14 वर्ष का वनवास भोगना पड़ा, अपनी माँ देवकी और वसुदेव के होते हुये भी भगवान कृष्ण को यशोदा और नंद के सानिध्य में ग्वालों जैसा बचपन गुजारना पड़ा..
शास्त्री जी के अकाट्य तर्कों के सामने सुनीता निरुत्तर हो गई थी। ऐसा नहीं था कि उसे शास्त्री जी की ज्योतिष विद्या पर विश्वास नहीं था, लेकिन अपने होनहार बेटे को MBA होने के बाद भी दो-तीन वर्ष घर पर बैठना पड़ेगा, यह बात वह हज़म नहीं कर पा रही थी, वरना इससे पहले तो शास्त्री जी की कही हर बात पत्थर की लक़ीर की तरह सच ही साबित होती थी।
यह बात जून 2018 की थी, अमोल की बड़ी बहन अंजना के लिये आये रिश्ते की कुंडली मिलाने के साथ साथ सुनीता ने सोचा कि अमोल की भी कुंडली दिखा दूँ, इसलिए वह शास्त्री जी के पास आई हुई थी. खैर..अंजना की उसके भावी पति योगेश से साथ कुंडली में 28 गुण मिल रहे थे, रिश्ता अच्छे घर से था , और वह लड़का योगेश भी रेल्वे में इंजीनियर था..इसलिए सुनीता और उसके पति महेश जी जो कि स्वयं भी रेल्वे में बड़े अधिकारी थे, ने योगेश के साथ अपनी पुत्री अंजना के रिश्ते को हामी भर दी।
★
3 महीनों बाद ही विवाह की तारिख तय हो गई थी, अमोल भी MBA करने पुणे चला गया था, इन सब गहमागहमी में सुनीता अमोल के “12 मार्च 2023 ” तक जॉब न लगने की बात भूल भी गई थी..
इस कहानी को भी पढ़ें:
बिदाई – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi
3 महीने बाद महेश जी ने धूमधाम से अपनी पुत्री अंजना का विवाह योगेश के साथ कर दिया..
इधर योगेश भी पहले सेमेस्टर से ही उस प्रतिष्ठित MBA संस्थान में टॉप करने लगा..दो वर्ष का कोर्स था, और कुल 8 सेमेस्टर थे, बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां सातवें सेमेस्टर होते ही कैम्पस इंटरव्यू करके MBA पूर्ण होने से पहले ही जॉब ऑफर कर देती थी, इसलिए योगेश ने वही MBA संस्थान चुना था।
लगातार तीनों सेमेस्टर टॉप करके अमोल अपने सुनहरे भविष्य के प्रति आश्वस्त था कि तभी देश मे “कोरोना महामारी” ने दस्तक दे दी.. मार्च 19 को पहले “लॉक डाउन” के बाद जो लॉक डाउन का सिलसिला शुरू हुआ तो अमोल को वापस अपने शहर बिलासपुर आना पड़ा..स्कूल, कॉलेज, ऑफिसेज सभी बन्द कर दिये गये, कोरोना के बढ़ते क़हर के मद्देनजर, लगभग 3 महीने बाद सभी स्कूल कॉलेज को ऑनलाइन स्टडी और “वर्क फ्रॉम होम” के निर्देश दे दिए गये थे..
घर पर अपने मम्मी-पापा के साथ एन्जॉय करतें हुये ऑनलाइन स्टडी करना अमोल को बहुत भा रहा था, उसने लगातार पांचवें और छठवें सेमेस्टर में भी टॉप किया.. सातवें सेमेस्टर की तैयारी करतें हुये अमोल आश्वस्त था कि इसमें भी टॉप करतें ही उसे कोई न कोई मल्टीनेशनल कंपनी हांथोहाँथ जॉब ऑफर कर देगी…
लेकिन ऐसा नहीं हुआ..अमोल ने एक बार फिर टॉप किया लेकिन इस बार कोई कम्पनी किसी कैंडिडेट के कैम्पस सेलेक्शन के लिये आई ही नहीं, क्योंकि एक तो कोरोना टाईम में कम्पनियों ने अपनी कॉस्ट कटिंग के लिये नये रिक्रूटमेंट करना बन्द कर दिये थे, और दूसरा अमोल की फील्ड “कंज्यूमर ड्युरेबल् इंडस्ट्रीज” की थी, लिहाज़ा अत्यावश्यक वस्तुओं के सिवाय मार्केट में सभी सेक्टर्स में जबरदस्त मंदी का माहौल था।
फ़ाइनल सेमेस्टर होने के बाद भी कोई कंपनी कैम्पस सिलेक्शन को नहीं आई, यहाँ तक कि MBA का ऑनलाइन सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी अमोल को कोई जॉब्स नज़र नहीं आये..
वर्ष 2021 मध्य चल रहा था, अमोल ने अपना रिज्यूम सभी नौकरी साइट्स पर ऑनलाइन डाल रखा था, मग़र कंही से भी जॉब ऑफर तो क्या इंटरव्यू कॉल्स तक नहीं आ रहे थे।
अमोल तब हताश हो गया जब गिनी चुनी कंज्यूमर ड्युरेबल्स की ओपनिंग्स में उस जैसे टॉपर को प्रिफरेंस न देकर, फ्रेशर्स जो कि अभी सातवाँ ही सेमेस्टर दिये थे, को कैम्पस से चुना गया।
अमोल पर टॉपर होने के बावजूद भी बिना इंटरव्यू के ही असफ़ल का ठप्पा लग चुका था, हर कम्पनी या तो फ्रेशर्स को जॉब दे रही थी, या एक्सपेरिएंस्ड कैंडिडेट. दुर्भाग्य से MBA टॉपर होकर भी अमोल इन दोनों ही श्रेणियों में नहीं आ रहा था।
इस कहानी को भी पढ़ें:
जो बोया वही पाया – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi
★★
कहतें हैं न कि बड़े से बड़ा अभिमानी व्यक्ति भी ईश्वर के सामने तभी झुकता है, जब उसकी सारी कोशिशें बेकार हो जाती हैं..अमोल की माँ सुनीता को शास्त्री जी की बात याद आ गई..”अमोल को 12 मार्च 23″ के पहले जॉब का योग नहीं है.. नियति का खेल तो शुरू हो चुका था..किसी ने अमोल को कहा कि घर पर 11 बुधवार गणेश जी का व्रत रखो जॉब मिल जायेगा..
अमोल ने पूरे मनोयोग से 11 बुधवार गणेश जी का व्रत रखा पूजा आरती की.. और सचमुच अमोल को इंटरव्यू कॉल आ गया.. ऑनलाइन इंटरव्यू में सिलेक्ट होने के बाद अमोल को फाइनल इंटरव्यू के लिये बेंगलुरु जाना था.. अमोल का इंटरव्यू अच्छा गया, उसका सिलेक्शन भी हो गया अगले सप्ताह से अमोल को मुंबई में नौकरी जॉइन करना था,
अमोल मन ही मन शास्त्री जी की भविष्यवाणी का मज़ाक उड़ा रहा था, कि बिलासपुर घर वापस आते ही अमोल में कोरोना के लक्षण पाये गये, टेस्ट पॉज़िटिव निकला था, अमोल को 14 दिन के लिये क्वारन्टीन रहना पड़ा और नई कम्पनी ने उसकी जगह दूसरे कैंडिडेट को सिलेक्ट कर लिया। अमोल का हाथ आया जॉब चला गया।
हताश अमोल का अब तो नियति पर विश्वास बढ़ गया, उसने किसी के कहने पर 21 गुरुवार व्रत रखें, अमोल पूरे 21 हफ्ते सकारात्मक रहकर ईश्वर की आराधना में लगा रहा, इस बार फिर चमत्कार हुआ, 21 वे गुरुवार को ही अमोल को एक इंटरव्यू कॉल आया अमोल पूरे मनोयोग से उसकी तैयारी में जुट गया, मग़र पहले दौर के इंटरव्यू के बाद ही अमोल को रिजेक्ट कर दिया गया।
एक बार पुनः हताशा के गोते लगा रहे अमोल को इस बार उसकी माँ ने हनुमान चालीसा पढ़कर 21 मंगलवार करने को कहा, अमोल के पास इसके सिवाय कोई चारा भी नहीं था..अमोल ने पूरे भक्तिभाव के साथ 21 मंगलवार के व्रत रखे .आश्चर्य की बात यह थी कि इस आखिरी मंगलवार को भी अमोल को एक इंटरव्यू कॉल आया,
हफ्ते भर में उन्होंने ऑनलाइन इंटरव्यू लिया, अगले हफ्ते फ़ाइनल इंटरव्यू के लिये सिलेक्टेड कैंडिडेट का चुनाव करना था जो किसी वजह से होल्ड पर रख दिया गया.. अमोल आशाभरी नज़रों से रोज अपनी ईमेल आईडी चेक करता मग़र कोई भी ईमेल उसे नहीं आया..इस तरह वर्ष 2023 भी आ गया मग़र अमोल को जॉब न मिला.. इस बीच अमोल दूसरे इंटरव्यू भी देता गया मगर उसे कंही भी जॉब न मिली।
आखिरकार 1st मार्च 23 को अमोल को कॉल एवम मैसेज आया कि कुछ “अपरिहार्य कारणों” की वजह से कम्पनी ने फाइनल इंटरव्यू के लिये कैंडिडेट सिलेक्शन होल्ड पर रखा था, यदि आप अब भी इस जॉब के लिये इक्छुक हैं तो 12 मार्च 23 को मुंबई कॉरपोरेट ऑफिस में आकर अपना इंटरव्यू दे सकतें हैं।
12 मार्च 23 की तारीख सुनकर अमोल पूर्णतः आश्वस्त हो गया कि हो न हो यह इंटरव्यू उसी के लिये है, आखिर नियती के अनुसार उसका बुरा वक्त खत्म जो हो चला है.. अमोल जोर शोर से पूरी तैयारी करके इंटरव्यू के लिये मुम्बई रवाना हुआ, उसके मम्मी पापा भी आश्वस्त थे कि यह जॉब अमोल को ही मिलेगी.. अमोल मन ही मन सभी देवताओं को जिनके उसने व्रत रखें थे का आभार व्यक्त कर रहा था।
आखिरकार 12 मार्च के दिन अमोल पूरी तरह से तैयार होकर उस कम्पनी के कॉर्पोरेट ऑफिस में इंटरव्यू देने चला गया, हालांकि वहाँ उसी पोस्ट के लिये और भी कैंडिडेट्स थे, मगर अमोल तो अपनी नियती के प्रति आश्वस्त था कि आज उसका ही दिन है, उसने पूरे जोश से इंटरव्यू दिया…मग़र अफ़सोस, इस बार भी अमोल का सिलेक्शन नहीं हुआ.. किसी अन्य कैंडिडेट को उसके अनुभव की वजह से प्राथमिकता दी गई।
इस कहानी को भी पढ़ें:
” माँ हम क्यों नुकसान सहें – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi
★★★
अमोल टूट गया था, उसे लगा कि वह अपने माता पिता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है, अभी कितनी आस से उसके मम्मी पापा उसके जॉब लगने की प्रतीक्षा कर रहे होंगें, पिताजी तो मिठाई मंगाकर भी रखे होंगे, मगर वह तो नाकामयाब ही हो गया..क्या करें वह, क्या किसी लोकल ट्रेन के नीचे कटकर जान दे दे… हताशा के गोते लगाते अमोल शाम तक जुहू बीच पर खड़े होकर समुद्र की आती जाती लहरों को देखता रहा.. उसके घर से मम्मी पापा के फोन आते रहे मगर उसने नहीं उठाया..
आखिरकार अमोल ने निश्चय किया कि वह सिद्धि विनायक मन्दिर जाकर भगवान से ही पूछेगा कि उसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हो रहा है। जब अमोल मंन्दिर पहुँचा, उस समय गणेश जी की आरती हो रही थी, हज़ारों भक्त तालियां बजाते हुये आरती गा रहे थे,
मगर अमोल एक किनारे मंदिर के पिलर से टिककर निर्विकार भाव से गणेश भगवान की मूर्ति को देखता रहा, आरती खत्म भी हो गई पण्डित जी ने खुद होकर उसे प्रसाद दिया मगर उसने प्रसाद ग्रहण नहीं किया..उलट जोर जोर से चीखते हुये कहने लगा..क्यों ग्रहण करूँ मैं यह प्रसाद, यह कोई सिद्ध ईश्वर नहीं है,
मैंने 11 बुधवार रखें, मुझे जॉब नहीं मिला, 21 गुरुवार रखे फिर भी जॉब नहीं मिला, फिर 21 मंगलवार रखे तब जाकर एक इंटरव्यू कॉल आया मग़र जॉब अब भी नहीं मिला, बोलो अब मैं क्या जवाब दूंगा अपने माता पिता को? अमोल के चारो तऱफ वहां आये दर्शनार्थियों की भीड़ जमा हो गई थी।
★★★★
पण्डित जी तो उसे कुछ न बोले लेकिन उस भीड़ से निकलकर एक बुजुर्ग व्यक्ति अमोल के पास आकर शांति से उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला क्या तुम यह सोचते हो कि जॉब तुम्हें तुम्हारे क्वालिफिकेशन और स्किल की जगह तुम्हारे बुधवार, गुरुवार या मंगलवार का व्रत रखने की वजह से मिलेगी?
इस कहानी को भी पढ़ें:
संयुक्त परिवार में टोका -टाकी ज़रूरी है पर एक शिक्षा और परवाह भी है। – मोहित महेश्वरी : Moral Stories in Hindi
अमोल ने कहा नहीं सर मैं तो अपने कॉलेज में टॉपर था, फिर पुणे के प्रसिद्ध MBA कॉलेज से भी टॉप था, मगर कोरोना महामारी की वजह से कोई इंटरव्यू कॉल्स ही नही आये, अब जो जॉब है वो या तो फ्रेशर्स को कैम्पस से ही ऑफ़र करके मिल रहे हैं या एक्सपेरिनस्ड कैंडिडेट्स को मिल रहे है.. अब मैं कहाँ जाऊँ? यह देखिए मेरे सर्टिफिकेट्स.. और रिज्यूम , क्या कमी है मुझमें बताईये तो जरा?
उस व्यक्ति ने शांति से उसी मन्दिर प्रांगण में बैठकर अमोल का रिज्यूम देखा, उसके सर्टिफिकेट्स देखे, फिर मुस्कुराते हुये उसे कागज पर एक एड्रेस लिखकर देते हुये बोला, कल 11 बजे अंधेरी वेस्ट में इस ऑफिस पर पहुंच जाना, तुम्हें जॉब मिल जायेगा।
अमोल हैरान परेशान उस व्यक्ति को तब तक देखता रहा जब तक कि वह व्यक्ति दर्शनाभिलाषीयों की भीड़ में गुम होकर निकल नहीं गया।
तभी अमोल की माँ का फोन आया, वह परेशान हो रही थी कि अमोल ने दिनभर से फ़ोन क्यों नहीं किया, अमोल ने उसे झूठ बोलते हुये कहा, माँ इंटरव्यू में बहुत कैंडिडेट्स थे देर शाम तक इंटरव्यू चला अभी फ्री हुआ हूँ, कल रिजल्ट का पता चलेगा।
अगले दिन अमोल उस बुजुर्ग व्यक्ति के दिए एड्रेस पर अंधेरी वेस्ट स्थित ऑफिस पर जाकर देखता है कि वह तो देश की अग्रणी “फूड प्रोसेसर” बनाने वाली कंज्यूमर ड्युरेबल्स कम्पनी का कार्पोरेट ऑफिस है ।
अमोल को याद आता है कि उसने तो उस बुजुर्ग का नाम भी नहीं पूछा था, इसलिए उसने झिझकते हुये रिसेप्शनिस्ट से पूछा, मैडम आज यहाँ कोई इंटरव्यू चल रहा है क्या?
रिसेप्शनिस्ट ने चौंकते हुये कहा, नहीं तो, पिछले साल भर से हमारे यहाँ कोई वेकेंसी ही नहीं है क्यूंकि इस कम्पनी को कोई छोड़ना ही नहीं चाहता..
अमोल ने एक बार पुनः हताश होकर उस रिसेप्शनिस्ट से पूछा यहाँ पर कोई 55 साल के करीब बुजुर्ग काम करतें हैं क्या जो गोरे से है, सिर पर थोड़ा कम बाल हैं जिनके?
इस पर रिसेप्शनिस्ट ने गुस्से से झल्लाकर कहा, देखिये मिस्टर, इस ऑफिस में 450 से ज्यादा वर्कर काम करतें हैं सिक्योरिटी गार्ड से लेकर चीफ मैनेजर तक ऐसे कितने लोगों का हुलिया आपके बताये अनुसार मिलता होगा, बेहतर है कि आप पूरी जानकारी लेकर आएं अन्यथा हमारा समय व्यर्थ न करें।
अमोल को ख़ुद की ही बेवकूफी पर गुस्सा आ रहा था, कैसे वह एक अजनबी के कहने पर इतनी बड़ी कम्पनी के ऑफिस में आ गया कि उसे जॉब मिल जायेगा, यहाँ तो वेकेंसी ही नहीं है, क्या इंटरव्यू होगा और क्या जॉब मिलेगा?
इस कहानी को भी पढ़ें:
साधारण सासुमां की असाधारण कहानी – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi
अमोल निराश होकर अभी उस कम्पनी कैम्पस से बाहर निकल की रहा था कि वह रिसेप्शनिस्ट उसके पास तक भागी-भागी आई और बोली अरे सर , आपको हमारे MD आशुतोष सर बुला रहें हैं..
अमोल हैरत से उस रिसेप्शनिस्ट के पीछे पीछे एक आलीशान चेम्बर के बाहर खड़ा हो गया जहाँ रिसेप्शनिस्ट ने उसे अंदर जाने को कहकर खुद अपनी जगह वापस चली गई।
अमोल उस दरवाजे को अंदर धकेलकर बोलता है..
May I come in Sir..?
हाँ आओ अमोल, अंदर आ जाओ..अमोल हैरत से देखता है, यह तो वही बुजुर्ग जो उसे कल शाम सिद्धि विनायक मन्दिर में मिला था , अरे यह तो इतनी बड़ी फ़ूड प्रोसेसर कम्पनी का मेनेजिंग डायरेक्टर हैं!! अमोल मन ही मन सोचता है।
सर, माफ़ कर देना, कल मैं आपको पहचाना नहीं था, इसलिए मैं कुछ का कुछ उटपटांग कह रहा था.. अमोल ने घबराहट में कल की बात का ज़िक्र किया।
और तुम वह सब बड़बड़ाहट न करतें तो मैं हज़ारों की उस भीड़ में तुम्हारे प्रति आकर्षित कैसे होता? MD आषुतोष सर ने अमोल से सवाल किया?
माफ़ करना सर मैं बहुत ज़्यादा हताश हो चुका था, इसलिए ईश्वर और नियति पर बहुत विश्वास करने लगा था, दरअसल एक बेवकूफ ज्योतिषी ने मुझे कहा था कि 12 मार्च 23 से पहले मेरा जॉब का कोई योग नहीं है, कल 12 मार्च ही था इसलिए मैं उस कम्पनी के इंटरव्यू के प्रति आशावान था, मैं मूर्खो की तरह कभी गणेश भगवान,
कभी दत्त भगवान तो कभी हनुमान जी को पूजता रहा, लेकिन आज मै समझ गया हूँ कि उस सब से कुछ नहीं होता ..कोई ईश्वर और नियती वगैरह कुछ नहीं होता, मेरा क्वालिफिकेशन और स्किल ही मुझे जॉब दिला सकता है। अमोल ने चापलूसी करते हुऐ आशुतोष सर की कल की बात को तवज्जो देने ले लिये सुर में सुर मिलाया।
तुम्हारे पास तो यह क्वालिफिकेशन दो वर्ष से था, फिर तुम्हें जॉब क्यों नहीं मिला? तुम इसे कैसे कह सकते हो कि ईश्वर कुछ नहीं करता है.. इतने भीषण कोरोना के प्रकोप से तुम सकुशल सपरिवार बच गये हो क्या यह कम है, कोरोना टाइम में फील्ड जॉब करने वाले कितने वर्कर्स मौत के मुँह में समा गये थे, अंदाज़ा भी है तुम्हें,
हो सकता है तुम्हे उस खतरे से सुरक्षित बचाने के लिए नियति ने तुम्हें अब तक जॉब न दिलाया हो? यदि वह ज्योतिषी झूठ होता तो ठीक 12 मार्च को ही क्यों तुम मुझसे टकराते? तुम्हारे मन मे इतनी व्यथा न होती तो तुम भी उस मंदिर में अन्य भक्तों की तरह दर्शन करके चले आते, तुम्हारे गुस्से से चिल्लाने की वजह से ही तो मेरा ध्यान तुम पर गया, वरना आज तुम यहाँ कैसे होते,
वह भी छोड़ो मैं अपने इतने व्यस्त समय को निकालकर सिर्फ उसी समय वहाँ क्यों था? कभी सोचना इस बात को..नियती में जो लिखा होता है उसे कोई नहीं टाल सकता, ईश्वर नियति भले न बदल सके मगर वह एक आस जगाकर रखता है जो हमें हमारी नियती के संघर्ष को सरल बनाने में मदद करता है।
खैर, तुम्हारे लिये मैं एक अतिरिक्त “असिस्टेंट मार्केटिंग मैनेजर” की पोस्ट का एक्सपोंशन करने का नेशनल हेड को इंस्ट्रक्शन दे रहा हूँ, तुम अगले सप्ताह से ही जॉब जॉइन कर सकते हो।
अमोल को उस दिन से नियति और ईश्वर के साथ साथ कर्म पर भी अटूट विश्वास हो गया।
======================
अविनाश स आठल्ये
स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित
#नियति