बहु-बेटी – डॉ रश्मि सक्सेना

अर्चना के दो बेटे थे तो आराम से उनकी परवरिश की ।जब बड़े बेटे की नौकरी लग गई तो उन्होंने उसकी शादी के लिए लड़कियां देखना शुरू किया।बड़े बेटे मोहित की शादी सुरभि से की ।जब बहु आई तो उन्होंने उसे बेटी की तरह रखा सुरभि ने इंजीनियरिंग करी थी अभी उसे एम बी ए करना था अर्चना और उसके पति अनिल जी ने उसे  एम बी ए करने में बहुत मदद की। सुरभि भी अर्चना जी को मां की तरह मानती थी।सुरभि की बैंक में जॉब लग गई सभी बहुत खुश हुए।अर्चना जी के दूसरे बेटे ने भी इंजीनियरिंग कर ली उसकी भी अच्छी नौकरी लग गई तभी घर में खुशियों की दस्तक हुई ,सुरभि मां बनने वाली थी डॉक्टर को दिखाया तो पता चला जुड़वा बच्चे है ,अर्चना और अनिल जी ने सुरभि का बहुत खयाल रखा।मोहित सुरभि का पति बेफिक्र होकर टूर पर जा पाता था।माता पिता के साथ रहने से उसे सुरभि की फिक्र नहीं होती थी।कुछ समय बाद सुरभि ने जुड़वा बच्चों बेटी मनु और बेटे वेद को जन्म दिया , वेद कमजोर था तो अर्चना जी को उसका ज्यादा ध्यान रखना पड़ता था।उन्होंने घर के काम के लिए सहायिकाएं रख ली थी और बच्चो का ध्यान वो रखती थी।सुरभि ने भी बैंक की नौकरी छोड़ दी थी ताकि अकेली मम्मी परेशान न हों।बेटी मनु तो दादी और पापा मोहित की दीवानी थी और बेटा वेद दादाजी और मम्मी सुरभि का।ऐसे ही चल रहा था की अचानक कोरोना ने अनिल जी को पकड़ लिया ।छोटे बेटे मृदुल की शादी के कार्ड बाटने में जाने कैसे अनिल जी कोरोना प्रभावित हो गए ,अर्चना जी घबराकर रोने लगीं तब सुरभि ने कहा मम्मी घबराइए नहीं हम सभी है पापा की देखभाल करेगें ,आप बच्चो को सम्हालना मैं और मोहित पापा की देखभाल करेगें और उसने पास में ही नानी नाना का घर खाली पड़ा था उसे साफ करवाया और उसमे अनिल जी को एक कमरे में रखा दूसरे कमरे में वो और मोहित थे ,सुरभि ने पूरी तरह से अनिल जी की देखभाल की और अनिल जी ठीक हो गए ।मृदुल की शादी कुछ दिनों बाद अच्छे से संपन्न हुई उसमे अनिल जी बोले मेरी बेटी ने मेरी बहुत अच्छे से देखभाल की और मुझे ठीक किया ।सभी बोले आपकी बेटी ! अर्चना जी बोली _हां हमारी “बहु बेटी” ।

मौलिक / स्वरचित 

डॉ रश्मि सक्सेना

विशाखापत्तनम

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