अंशु के ऑफिस पहुंचते ही ,कालू चाय वाला आ गया।
चाय पियो गरम गरम चाय पियो।
अरे आज तो सुबह सुबह ही,क्या बात है।
मैडमजी आज से रोज इसी टाइम चाय मिलेगी।
कालू बहुत हसमुख स्वभाव का था छोटा सा बच्चा था।
हालाकि रंग गहरा था।पर सारे दिन अपने स्वभाव से सबका मन जीत लिया
एक दिन अंशु ने कालू से पूछा “अरे पढ़ने लिखने की उम्र में काम क्यों करते हो”?
“मैडम जी अपने बस की बात नहीं है “।आप तो चाय पियो। कह कर कालू ने बात टाल दी। बात आई गई हो गई ।
एक दिन कालू अपने साथ अपनी छोटी बहन को ले आया।
अंशु ने पूछा “अरे कालू ये कोन है ,प्यारी सी गुड़िया” कालू बोलता उससे पहले ही उसकी बहन बोलना शुरू हो गई।”आंटी मेरा नाम सौम्या है ,पता है ,आज मेरा जन्मदिन है।इसलिए भैया ने नई फ्रोक पहनाई है।और मुझे आज मेले मै घुमाने भी ले जाएगा”।अंशु के मुंह पर मीठी सी मुस्कान आ गई। कालू भी ये कहता हुआ देखो। “मैडम मिर्ची है ना मेरी बहन ,चल थोड़ी देर तू यही रुक, आंटी के पास रहना मै काम निपटा कर फटाफट आता हूं”। तुरंत चाय अंशु की टेबल पर रख रवाना हो गया।
सभी ऑफिस के कर्मचारी उस नन्ही बच्ची की भोली भोली बातो मै मंत्र मुग्ध हो गए ।
अंशु ने भी ओन लाइन केक का ऑर्डर दे दिया और एक गिफ्ट मंगवा लिया।
सभी कर्मचारियों को इकट्ठा कर के केक कटवाने लगी ।
चाय की कैंटीन पर श्याम जी ने कालू को बुलवाने का फोन कर दिया।
लेकिन कालू अभी नहीं आया था,श्याम जी बोले मै बुला कर लाता हूं वरना तो ऑफिस की छुट्टी का टाइम हो जाएगा।
थोड़ी देर में श्याम जी ने आकर बताया कि कालू तो केंटीन के काम से कहीं गया है।
अब सौम्या भी खेलती खेलती थक गई ।अंशु ने सोचा चलो बच्ची से केक तो कटवा लेते है।ये भी खुश हो जाएगी और केक कटवा दिया। सौम्या बहुत खुश थी। ताली बजा बजा कर उछल रही थी।
अंशु ने सौम्या के हाथो में गिफ्ट दे दिया।
अब तो वह सब कुछ छोड़ बड़े उत्साह से गिफ्ट को खोलने में लग गई।
श्याम जी ने सौम्या से पूछा अरे सौम्या आज मम्मी से खाने में क्या बनवाया है ?
सौम्या ने गिफ्ट खोलते खोलते बड़ी लापरवाही से जवाब दिया”मेरे मम्मी पापा नहीं है।बस भैया ही मेरा सारा काम करता है।मैने दो दिन से जिद्द करी जब मुझे ये फ्रोक लाकर दी है “वो अपने बहाव में बोले जा रही थी।ऑफिस के कर्मचारी उसे आश्चर्यचकित होकर एकटक देख रहे थे।कालू दो साल से चाय पीला रहा है।उसने कभी ये दर्द बया नहीं किए।हमेशा हसता मुस्कुराता रहता है ।
अचानक केंटीन का मालिक वहां आया।
ओर श्याम जी के कान मै कुछ कह कर फटाफट वहां से चला गया।
श्याम जी भी परेशान हो गए।और अंशु को आकर बोले मैडम जी अब आज इस बच्ची को अपने घर ले जाना पड़ेगा ।
अंशु चौक गई क्यों?
बस आप ले जाइए प्लीज।
अंशु के पैरो तले जमीन खिसक गई
सोचने लगी।कुछ तो गड़बड़ है।
पर फिर सौम्या को लेकर अपने घर चल दी।
सौम्या भी इतनी घुल मिल गई थी। अंशु के साथ आराम से चली गई।घर जाकर उसने अपने पति व सास ससुर को सौम्या के बारे में बताया।
अंशु के पति जो पैशे से डॉक्टर थे ।उन्होंने श्याम जी को फोन कर सारी घटना की जानकारी ली।
पता चला कि कालू का एक्सिडेंट हो गया है। वो हॉस्पिटल मै है।
अंशु के पति विनोद हॉस्पिटल के लिए रवाना हो चुके थे। सौम्या अंशु के बेटे के साथ खेलते खेलते सो गई।
वो नन्ही अबोध हर बात से अंजान थी।
घर का प्रत्येक सदस्य चिंतित था।
अंशु के ससुर जी ने विनोद को फोन पर कहां “बेटा रूपए को मत देखना बच्चे को देखना धन दौलत तो हाथ का मेल है फिर आ जाएगी, बचा लो इस बच्चे को।”
कोशिश कर रहे है, पापाजी आप आराम कीजिए जब तक कालू ठीक नहीं होगा मै घर नहीं आऊंगा।
हा ,बेटा छोटी बच्ची को देख कर मन भर आता है।
उधर कालू की तबीयत बिगड़ी जा रही थी। बहुत कमजोर जो था।खून भी काफी बह गया था।अंशु के स्टाफ का प्रत्येक सदस्य आज कालू के साथ खड़ा था।
सुबह होते ही कालू को थोड़ा थोड़ा होश आने लगा।
होश आते ही धीरे धीरे बस एक ही नाम ले रहा था _
“सौम्या”
विनोद ने कालू के सिर पर हाथ फेरा और कहने लगे
“सौम्या आपकी मैडम के साथ है ओर मजे मै है।बस अब आप ठीक हो जाओ फिर घर चलते है।”
पर कालू को होश कहां था?
सुबह उठते ही सौम्या भी भैया को नहीं देखकर रोने लगी।उसे अंशु ने समझाया कि भैया किसी कार्य से बाहर गया है।आपके लिए बहुत सारी चीज लाएगा, बच्चो को ओर क्या चाहिए हो गए खुश।
तीन चार दिन बाद कालू धीरे धीरे स्वस्थ होने लगा
अब खतरे से बाहर था।अंशु सौम्या को मिलाने हॉस्पिटल ले आई। ” मेरी प्यारी गुड़िया तो एकदम बदल गई। सौम्या भी दौड़कर कालू के चिपक गई।
कालू
अंशु की तरफ हाथ जोड़कर बोला मैडम जी हम इस लायक नहीं। मै इसको इतने सुन्दर कपड़ों मै , ओर साफ सुधरा नहीं रख सकता।
उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी भाई, तुम दोनों मेरे पास रहोगे ,इस सौम्या को तो मै गोद ले रहा हूं,पेपर्स तैयार करवा लिए है। ओर रही आपकी बात आपको मेरे बड़े भाई मिलो इनसे मि. अशोक गोद ले रहे है।दरअसल इनके बच्चे नहीं है। विनोद जी बोल पड़े।
ये सब सुनकर कालू के सिर पर चिंता के रेखाएं दिखने लगी हाथ जोड़कर रो पड़ा” सर आप की सोच तो अच्छी है ,पर मै, मेरी बहन बिना नहीं रह सकता।मै जैसे तैसे इसे पाल लुंगा आप चिंता ना करे।
विनोद जी हस पड़े अगर हम ये कहे की आप दोनों ही साथ साथ रहेंगे तो?
” तब तो मैडम जी चाय पियो से छुटकारा मिल जाएगा” कालू ने हसते हुए जवाब दिया।
तुरंत अंशु बोली मि कृष्णा तब आप बोलेंगे चाची चाय लाओ ,नाश्ता लाओ…. हे ना, वहां उपस्थित सभी लोग ताली बजाने लगे साथ ही कालू बेटा बधाई हो सौम्या के साथ साथ मम्मी पापा ,चाचा_ चाची ,दादा,दादी और एक भैया भी मिल गया।
और हा अब तुम कालू नहीं हो अब तुम्हारा नाम कृष्णा है।ये रहे आपके मम्मी ,पापा और हम चाचा,चाची प्यारी सी सौम्या के मम्मी ,पापा कहते कहते अंशु ने सौम्या को गोद में उठा लिया।
कालू उर्फ कृष्णा बेड से नीचे उतरा और बोला मैं आप सभी का एहसान कभी नहीं भूलूंगा।अरे बेटा ये सारी प्लानिंग तो आपके दादा जी दादी जी की है।इनसे आशिर्वाद लो।
सब खुश हो गए गोदनामा की ऑपचारिक्ता पूरी कर ली गई ।दोनों बच्चो को अच्छे स्कूल मै एडमिशन दिला दिया। सच कहते है अपना व्यवहार अच्छा रखो,किसी का बूरा मत सोचो , ऊपर वाला जब भी देता,देता छप्पर फाड़ कर ।
20 वर्ष बाद वही कृष्णा M.B.B.S कर डाॅक्टर बन गया और सौम्या ने RAS की परीक्षा पास कर ली।
#एक_रिश्ता
दीपा माथुर