मम्मी जी “”
मम्मी जी”””
अवन्तिका के कानो में मधुर स्वर सुनायी दिया “”
अवन्तिका ने आंखे खोलने की कोशिश की “”
पर ताप की अधिकता के कारण आंखे न खोल सकी “
अवन्तिका “”” कौन””
कोमल हाथो ने उसके माथे को स्पर्श किया ”
उस छुअन में कुछ नये अहसास की अनुभूति हुई””
अरे कौन, “””” अस्पष्ट कराहते हुऐ बोली अवन्तिका!
मम्मी जी मै” जूही “””
ओह “”” आ जाओ मेरे पास ” दोनों हाथों को आगे बढा दिया अवन्तिका ने””
जूही आगे बढकर अवन्तिका के सीने में दुबक गयी!
अवन्तिका से लिपटते ही ” जूही ” उठकर खडी हो गयी!
अरे मम्मी जी ” आपको तो बहुत फीवर है!
जूही घबराते हुऐ बोली “
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अवन्तिका “” चिंता न करो बेटा सब ठीक हो जाऐगा “”””
ऐसे कैसे ” ठीक हो जाऐगा ” आप आराम कीजिए हम आते हैं!
चिंता की लकीर खींच गयी जूही के माथे पर”
जूही तेजी से दलान की ओर बढ गयी!
अवन्तिका को हल्की हल्की ठंड लगने “” सर्दी का मौसम, उसपर उम्र का तकाजा ” रजाई हल्की लगने लगी!
अभी कुछ ही क्षण बीते थे की, कदमों की आहट ने अवन्तिका को चौकन्ना कर दिया “
उसने जरा सा रजाई खीची , उसे सामने जूही नजर आयी ” जो उसके पंलग के काफी करीब आ चुकी “
उसके हाथ में कागज का पैकेट था!
मम्मी जी ” आप सो गये क्या ” जूही ने पूछा “
नही “”
अवन्तिका कराहते हुऐ बोली “
ये गोली है,”
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अवन्तिका की नजर दवाई के रैपर पर पडी ” पैरासिटामाल ” उसके मुहं से अचानक से निकल गया “
जी मम्मी ” अभी यही मिल पायी ”
मासुमियत से जूही बोली “
अरे ” ऐसा नहीं है बेटा, वायरल फीवर के लिए, यही दवा कारगार है” अवन्तिका ने सफाई दी “
जूही ने सहमति में गर्दन हिलायी””””
कुछ देर में अवन्तिका नीदं के आगोश में चली गयी!
और जूही अतीत में “
पांच साल की जूही ” आंगन में खेल रही थी ” उसकी नजरो के सामने अचानक उसका अतीत घूमने लगा!
की अचानक से कुछ महिलाऐ रोने लगी ” जूही को कुछ समझ न आया ”
रूदन इतना तेज था की, बालमन उसी दिशा की ओर आकर्षित हो गया “
जूही के नन्हे कदम तेजी से बाहर की ओर बढ गये!
कुछ लोगों ने उसे रोकने की कोशिश पर वो न रूकी “
कुछ आगे जाकर वो ठिठक गयी “
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सामने मां फूलो के बिस्तर पर सोयी हुई थी!
पास ही छोटे बिस्तर पर, नन्हा शिशु “””
तो क्या मां भाई को लेकर आ गयी’
उसके चेहरे पर मुस्कान तिर गयी ” वो आगे बढी ” उसे बीच में ही रोक लिया गया!
मां देखो न ” ये लोग ” भाई को छूने नही दे रहे ” जूही मां की ओर लपकी “
इसे पकडो कोई महिला तेजी से चीखी”
नही मुझे मां के पास जाना है”””
जाना है “”” छोडो छोडो “””
जूही “””” जूही क्या हुआ बेटा ” होश में आओ”
मां मुझे छोडकर मत जाओ”” जूही ” अवन्तिका से चिपक गयी!!
हा नही जाऊंगी ” अवन्तिका की घबराहट भरी आवाज सुनायी दी”” जूही की स्थिति देखते हुए ” अवन्तिका का बुखार उडन छू हो चुका था!
जूही ने आंखे खोली तो”अवन्तिका के जान में जान आयी!
अवन्तिका पर नजर पडते ही, सुबक उठी जूही “
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माँ “” आप ठीक तो है न”
हा बेटा देखो ” बिलकुल ठीक हूँ ” अवन्तिका का गला भर्रा गया, शायद इसी ममता स्नेह की चाहत थी उसे “
अवन्तिका के बेटी न थी ” बस एक मात्र बेटा था ” राघव “जिसमें अवन्तिका की जान बसती” अवन्तिका की परवरिश संस्कार मे राघव सभी ” विसंगतियों से अछूता था!
अब तक जूही ने अपना चेहरा अवन्तिका के आंचल में छुपा लिया था!
शायद उसे नीदं आ गयी थी!
अवन्तिका एक महिना पीछे की ओर चली गयी!
एक महिना पहले ही राघव का विवाह, बडे ही धूमधाम से जूही के साथ सपन्न हुआ था!
अवन्तिका कही न कहीं अंदर से डर रही थी!
की नयी बहू, पता नही किस नेचर की होगी ” कही वो परिवार मे न घुलमिल पायी तो” उसे राघव की भी चिंता थी!
राघव सीधा सादा शान्त प्रकृति का है!
लाल चनिया चोली में ” नयी बहू जूही, अप्सरा लग रही थी “
जो देखता, उसी के मुहं से तारीफ, के दो शब्द जरूर निकलते “
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चावल से भरे कलश पर ठोकर मारकर कर गृहप्रवेश किया था जूही ने “सबके नजरे उसके पैरो पर थी!
पर जूही हिरनी सी, राघव की ओर देख रही थी! और राघव अवन्तिका की ओर””
शायद माँ को तसल्ली देना चाहता था “”
की माँ मै” हमेशा तेरा रहूंगा “”
पर अवन्तिका हैरान थी ” की जूही कही मे न सोच ले ” की राघव मम्मस ब्वाय है!
उसने आंखों के इशारे से संकेत किया की मै ” ठीक हूँ!
इसी कशमकश में एक हप्ता निकल गया!
जाने अंजांने ” राघव से दूरी बनाती गयी” पर अवन्तिका “”जूही की सुगंध से न बच सकी””
जैसे जैसे समय बीतता गया”” जूही, अवन्तिका की लघु सगिनी बनती गयी ”
उसे आज पति प्रकाश की याद आयी!
जो जीवन साथी बनकर, सहारे के रूप में अपना अंश ” राघव के रूप में उसकी कोख में देकर ” जाने कहाँ लापता हो गया था! बाईस साल से एकाकी जीवन जिया था ” अवंतिका ने” ऐसा नहीं की प्रकाश के बाद उसके जीवन में कोई आया नहीं “
जाने कितने लोगों ने हाथ थामने की कोशिश की, “””
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उसकी चाहत पर कोई खरा न उतर सका “”
और आज जब कोई सच में इस उम्र में दस्तक दे गया ” तो अवन्तिका खुद को सम्भाल न सकी ”
और समा गयी अपनी चाहत की बाहों में “
उफ जूही ने क्या सोचा होगा “””
अवन्तिका ने अपना सिर पकड लिया “”
जूही उसके बारे में पूछेगी तो वो क्या जबाब “”
सोचते सोचते वो कब खो गयी उसे पता नही चला!
माँ “”” राघव ने अवन्तिका को पुकारा “
अवन्तिका ने आंखे खोली ”
सामने ही राघव खडा खडा था!
माँ ये सब क्या चल रहा है ” अच्छा हुआ जो जूही ने सबकुछ बता दिया “””
राघव की बात सुनकर अवन्तिका की आवाज हलक में फंस गयी!
उसने इधर उधर देखा ”
अरे ये कहाँ हूँ मै”””
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मम्मी जी “””” जूही की आवाज में जादू था”
अवन्तिका ने पीछे मुडकर देखा “”
जूही के साथ खड़े शख्स को देखकर बुरी तरह चौंक गयी* अवन्तिका “””
मम्मी जी बधाई हो “” जूही के चेहरे पर मुस्कान थी!
वो आगे बढी ” और अवन्तिका का हाथ थामकर पीछे वापस उस शख्स की ओर मुड गयी!
अवन्तिका तो जैसे बेजान हो गयी “
और जूही के साथ पैर घसीटते हुए चल पडी “”
अब तक राघव भी उनके करीब आ गया था!
पापाजी इधर आईऐ”” जूही ने ठिठोली की””
जूही की बात सुनकर, अवन्तिका को लगा, की अब जीवन खत्म कर ले!
मम्मी जी आईऐ न ” मैने आपका रिश्ता तय कर दिया “””
किससे पूछकर, इस बार तल्ख़ी से बोली अवन्तिका “” ये अधिकार दिया किसने तुम्हें “””
आपकी लघु जीवन संगिनी ने””
माँ इसमें गलत क्या है ” आपने मेरे पीछे अपना पूरा जीवन स्वाहा कर लिया “
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अब मै नहीं चाहता की आप एकाकी जीवन जिए”
पर बेटा समाज क्या सोचेगा “””
अवंतिका ने गंभीरता से अपनी बात रखी “”
मुझे परवाह नहीं ” राघव ने जबाब दिया!
और फिर कुछ समय बाद, क्लाइमैक्स बदल चुका था!
पहली बार, बहू ने दरवाजे पर कलश रख कर सास का गृहप्रवेश करवाया!
आज एक बार फिर ” अवन्तिका “” ने जूही को गले लगा लिया , अब एक नहीं एक ही घर में दो दो दो लघु संगिनी थी!
समाप्त रीमा महेंद्र ठाकुर