” बुआ आप कब आई और ये लोग कौन है ?” अभी अभी स्कूल से आई आन्या बैठक मे मेहमानों को देख सीधे रसोई मे पहुंची और वहाँ अपनी बुआ सारिका को देख पूछने लगी।
” तू आ गई स्कूल से मान्या कहाँ है जाओ दोनो जल्दी से कपड़े बदल लो मैं अभी आती हूँ !” ट्रे मे नाश्ता सजा रही सारिका बोली और बाहर चली गई।
बारह वर्षीय आन्या हैरान थी ऐसे कौन मेहमान है जिन्हे वो लोग नही जानते बुआ ने भी नही कहा कि कपड़े बदल कर मेहमानों के पास आ जाओ मम्मा थी तो हमेशा यही कहती थी। आन्या ये सोचती हुई अपने कमरे मे पहुंची जहाँ उसकी छोटी बहन मान्या बेड पर लेटी थी ।
” दीदी मुझे भूख लगी है !” बहन को देख मान्या बोली।
” तू जल्दी से कपड़े बदल मैं कुछ खाने को लाती हूँ अभी !” ये बोल आन्या ने फटाफट कपड़े बदले और रसोई की तरफ भागी क्योकि भूख तो उसे भी लगी थी फिर उसे थोड़ी उत्सुकता भी थी मेहमानों के बारे मे जानने की रसोई से बैठक नजदीक जो थी।
” हां तो हम ये रिश्ता पक्का समझे फिर !” आंन्या ने रसोई मे आते ही ये आवाज़ सुनी उसने बाहर झाँक कर देखा मेहमान उठ चुके थे ।
” जी बिल्कुल !” बुआ के ये कहते ही मेहमान चले गये बुआ बहुत खुश नज़र आ रही थी पापा भी खुश ही थे । आन्या को कुछ समझ नही आ रहा था ये सब क्या है।
असल मैं आन्या और मान्या दोनो बहने है दोनो की मम्मी की मृत्यु अभी छह महीने पहले ही कोरोना से हुई है । तबसे दोनो की देखभाल को एक आया रखी हुई है और बीच बीच मे सारिका चक्कर लगा जाती है क्योकि दोनो के दादी दादा भी नही है इसलिए कोई ओर तो है नही जो उनकी देखभाल करे। इधर कुछ दिनों से सारिका भाई की दूसरी शादी करवाने के लिए लड़की तलाश रही थी और आज उसी लड़की के घर वाले आये थे। आन्या उन्ही के बारे मे जानना चाहती थी इसलिए वो रसोई के दरवाजे से झाँकने लगी।
तभी बुआ सब बर्तन उठा रसोई मे आई।
” बुआ ये कौन थे बताओ ना !” आंन्या ने फिर पूछा।
” बेटा तुम्हे पता है तुम्हारी नई मम्मी आने वाली है !” बुआ खुश होते हुए बोली और उसे खाना दिया।
” नई मम्मी क्यो ?” आंन्या एक दम बोली।
” बेटा तुम्हारे पापा तुम्हे अकेले कैसे संभालेंगे फिर मुझे भी अपना घर देखना इसलिए नई मम्मी लाएंगे हम जिससे वो तुम दोनो को पाल सके !” बुआ ने समझाया ।
” पर बुआ हमें नई मम्मी की क्या जरूरत !” आन्या बोली।
” तू चल मैं समझाती हूँ …देख तुम्हारे पापा नौकरी करते पीछे से कामवाली आंटी तुम्हारे काम करती जब नई माँ होगी तो तुम घर आओगी तो वो तुम्हे खाना बनाकर खिलाएगी !” बुआ उसे कमरे मे ला बोली।
” बुआ मेरी सहेली है उसके पापा भगवान जी के पास चले गये पर उसके घर वाले तो उसके नए पापा नही लाये उनकी तो मम्मी ही जॉब भी करती और उनकी देखभाल भी करती है । उनसे तो कोई नही कहता कि तुम्हारे लिए नये पापा लाएंगे !” आन्या बोली मान्या तब तक सो चुकी थी तो बुआ ने उसे उठा खाना खिलाया।
” देखो बेटा एक औरत सब कर सकती है पर आदमी नही वो कमा सकते पर बच्चे नही पाल सकते घर नही संभाल सकते उसके लिए एक औरत की जरूरत होती ही है !” बुआ ने समझाया।
” पर बुआ जब एक औरत इतना कुछ कर लेती आदमी नही फिर बच्चो के नाम के साथ माँ का नाम होना चाहिए ना पापा का क्यो ?” आन्या बोली।
सारिका एक पल को आन्या को देखती रह गई नन्ही सी बच्ची ने कितनी बड़ी बात कह दी थी ।
” बेटा यही तो बात है कि एक हूँ यानि माँ बच्चे पाल सकती है नाम नही दे सकती और एक आदमी यानि पिता नाम दे सकता है पर बच्चे नही पाल सकता !” सारिका कहने को तो बच्ची से कह गई पर वो भी जानती थी ये एक कठोर सत्य है एक औरत बच्चे को जन्म देने के लिए उसके पालन पोषण के लिए सब करती है फिर भी बच्चों को नाम पिता का मिलता है । हालांकि अब समय बदल रहा है पर फिर भी बच्चे की पहचान पिता के नाम से ही ज्यादा होती माँ के नाम से नही ….ऐसा क्यो ?
फिलहाल सारिका ने तो अपने दिमाग़ से इस प्रश्न को बाहर निकाला क्योकि अभी उसे आन्या और मान्या को नई माँ के लिए तैयार करना था।
पर दोस्तों शायद इस क्यो का जवाब कही नही है । क्या आपके पास है ?
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल