“अरे कृतिका तुमने अपने रूम का क्या हाल बना रखा है?”
सीमा कमरे में कदम रखते ही नाराज हो कर बोली। कृतिका सीमा और आलोक की सत्रह साल की बेटी है। जो इंजीनियरिंग की कोचिंग कर रही है। वो झुंझला गई। “मम्मा मुझे अलग-अलग बुक्स से पढ़ना पड़ता है। इसलिए इधर उधर फैल जाती हैं।”सीमा बाहर आकर धम्म से सोफे पर बैठ गई।सास उसे देखते हुए बोली”क्या हुआ”? तुम्हें कितनी बार कहती हूं इस लड़की को लड़कियों वाले लक्षण सिखाओ पर तुम दोनों किसी की सुनते कहां हो। लड़की है
आखिर जाना तो पराये घर है। सीमा सोचने लगी मांजी सच तो कह रही है। पापा के लाड़ प्यार ने इसे कुछ ज्यादा ही बिगाड़ दिया है।अपना कोई भी काम ठीक से नहीं करती है। अब इसे सबक सिखाना पड़ेगा। “कृतिका इधर सुनो”दादी ने आवाज दी। कृतिका दादी के रूम में आकर खड़ी हो गई। तुम पढ़ती अलग रूम में हो।सोती दूसरे में हो। जहां पढ़ती हो वहीं सोया करो। सारे कमरों में मत फैल जाया करो।
कृतिका बोली दादी मेरे रूम में बुक्स फैली होती हैं। इसलिए वहां नहीं सो पाती फिर नींद मुझे उसी कोने में आती है।जहां बचपन से सोती हूं। सीमा को गुस्सा आ गया तो जब इस घर से शादी हो कर जाओगी तो क्या वो कोना अपने साथ लेकर जाओगी?हद है तुम्हें कोई बात समझ ही नही आती।इतने में आलोक वॉकिंग से वापस आ गये।
कृतिका पापा के पास जाकर खड़ी हो गई। उसका चेहरा देख कर आलोक समझ गये दोनों सास बहू उनकी बिटिया रानी के पीछे पडे़ हैं।सारी बातें सुनने के बाद उन्होंने कहा मां और सीमा तुम दोनों क्या चाहते हो कि वो अपने रूम में सोये। पापा प्लीज मुझे वहां पर नींद नहीं आती।
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आलोक ने उसे अपने पास बिठाकर उसका माथा चूमा इस घर का सिर्फ एक कोना ही नहीं ये सारा घर तुम्हारा है। जहां जी चाहे जैसा मन करे वैसे रहो। सीमा गुस्से से कहने लगी हां शादी के बाद ये उस कोने को अपने साथ ले जाएगी न। नहीं अपने साथ “सुकुन” ले कर जाएगी मां बाप के घर का। “आइ लव यू पापा” कह कर वो मम्मी को देख कर मुस्कराई और अपने रूम में चली गई।
ऐसा क्यों कहा आपने?हम तो दुश्मन हैं उसके सीमा बोली। इसलिए कि इस घर से जाने के बाद भी उसकी यादें,उसका अहसास इस घर के कोने कोने में बना रहे। उसे आजाद रहने दो।कहते हुए उनकी आंखों में आंसू भर आए थे। क्या तुम दोनों की यादों में अपने मायके की कोई पसंदीदा जगह नहीं थी। दोनों सास बहू खामोश हो कर उन्हें देख रहे थे।
बेटियों को मां बाप का घर छोड़कर जाना ही पड़ता है। जब तक बेटियां मां बाप के घर होती हैं। उन्हें भरपूर प्यार दें। क्या पता कैसा घर परिवार मिले। मायके में मिला प्यार उन्हें हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देगा।
मेरी प्यारी सखियों दुनिया की ऐसी रीत है कि लड़कियों को मां बाप का घर छोड़कर पराये घर जाना ही पड़ता है ।सब कुछ मायके में ही छूट जाता है रुठना, मनाना,जिद, अल्हड़पन, आजादी,संगी,साथी, साथ तो बस यादें रह जाती हैं। न मां का झूठा गुस्सा साथ होता है न पापा का वो असीमित प्यार क्योंकि तब रुठने पर न तो कोई मनाने वाला होता है,न पसंद ,नापंसद पूछने वाला,बेफिक्री का अहसास भी मायके में ही रह जाता है।
शादी के बाद ही पता चलता है कि आगे सब रिश्ते मतलब से चलेंगे।
“ये ब्लाग हम सबके मायके के नाम पर” चलिए आज कुछ यादें ताजा करें और अपनी यादें एक दूसरे के साथ बांटें।
आप सबका अपने मायके में कोई न कोई पसंदीदा जगह या फेवरेट कोना होगा। बताएं।
आपको मेरा ब्लाग कैसा लगा अपनी राय जरुर दें।
चित्र गूगल से साभार)
© रचना कंडवाल