वाह अपने बेटे की क्या कीमत लगाई हैं© ममता गुप्ता

आज प्रमिला को लड़के वाले देखने आ रहे थे इसलिए प्रमिला की माँ वंदना उसे समझा रही थी कि…

 

देख प्रमिला कल तुझे लड़के वाले देखने आ रहे,तो तू लड़के वालों के सामने ज्यादा न बोलना,वो जो भी तुझसे सवाल करे  सिर झुकाकर जवाब देना, औऱ हाँ तू उनसे कोई सवाल जवाब करने मत लग जाना… क्योंकि सवाल जवाब करने का हक केवल लड़के वालों को हैं…लडक़ी वालो को नही।। तू मेरी बात ठीक से समझ रही हैं ना.. । बड़ी ही मुश्किल से रिश्ता मिला है, वरना कितने ही रिश्ते देखे सभी ने तेरे सांवले रंग को देखकर रिश्ता तोड़ दिया था,औऱ सुन कल ही मैं तेरे लिए गोरे होने की क्रीम लेकर आई हूं, उसे जरूर लगा लेना ताकि लड़के वालों के सामने तेरा रंग थोड़ा सा गोरा दिखे, औऱ लड़का तुझे पसन्द कर ले..!माँ वंदना ने प्रमिला को समझाते हुए कहा।।

 

प्रमिला जानती थी कि माँ का चिंता करना स्वभाविक हैं..!! हर माँ बाप को जैसे ही बेटी बड़ी होने लगती है, उसकी शादी की चिंता सताने लगती है..औऱ माँ की सबसे ज्यादा चिंता जब बढ़ जाती है तब बेटी का रंग सांवला हो,क्योंकि आजकल सभी को सुंदर बहू चाहिए होती हैं…!! प्रमिला ने मन ही मन सोचते हुए कहा-माँ!! आप चिंता क्यो करती है,औऱ अब वो जमाना थोड़ी रहा है की लड़के वाले देखने आए औऱ लड़की कुछ न बोले, जैसे लड़के वालों को सवाल जवाब करने का हक है,वैसे ही लड़की वालों की हक होता हैं कि अच्छे से सवाल जवाब करके रिश्ते के लिए सन्तुष्ट होने का औऱ मुझे जरूरत नही क्रीम के पीछे अपनी नेचुरल ब्यूटी को छुपाने की गर किसी को मेरे इस सावले रंग के साथ मुझे स्वीकार करे तो ठीक वरना मुझे भी किसी समझौते पर शादी नही करनी।। प्रमिला ने कहा।।

 

अब तू मुझे ये बड़ी बड़ी ज्ञान की बातें ना सीखा बस जो तुझसे कहाँ हैं वैसा ही करना… बस यह रिश्ता हाथ से निकलना नही चाहिये..अब मुझे कल की तैयारियां करने दे..माँ वंदना ने कहा।

 

अगले दिन प्रमिला को लड़के वाले देखने के लिए आये..!

 

प्रमिला तैयार होकर जब अपने कमरे से बाहर आई तो माँ ने आखिर टोक ही दिया… अरे !! मैने तुझसे बोला था ना कि गोरे होने वाली क्रीम लगा लेना,तूने फिर मेरी बात अनसुनी कर दी…माँ ने गुस्सा करते हुए कहा।।




 

अरे!! मेरी प्यारी माँ मैने आपसे कितनी बार कहा हैं कि मुझे बनावटी सुंदरता पसन्द नही है, मुझे मेरे इस सांवले रंग से बहुत ही प्यार है, औऱ मुझे ऐसे ही ख़ुशी मिलती हैं, आप चिंता मत करो…।।  प्रमिला ने कहा।।

प्रमिला चाय की ट्रे लेकर जब लड़केवाले के सामने गई तब वो सिर झुकाकर नही बल्कि अपने स्वाभिमान के साथ गई..सभी को चाय सर्व की औऱ हाथ जोड़कर प्रमाण किया।।

 

लड़के वालों की तरफ से आए लड़के के माँ बाप प्रमिला को एक नजर से ही देखे जा रहे थे…औऱ दोनो आपस मे कान में फुसफुसा रहे थे…!

प्रमिला की माँ ने बात छेड़ते हुए कहा-मेरी बेटी घर के सारे कामो में निपुण हैं औऱ साथ ही इसे कड़ाई बुनाई व सिलाई का कार्य भी आता हैं, औऱ पढ़ाई में तो अवल्ल हैं ही,अभी इसने एम. एड.का फॉर्म भरा है..!! माँ प्रमिला के बारे में बतंर लगी।

लड़का जो प्रमिला को देखने आया उसका नाम विजय था।।

अब विजय भी प्रमिला से सवाल जवाब करने लगा..की क्या तुम शादी के बाद आगे पढ़ना चाहूंगी.? क्या तुम मेरे माँ बाप की सेवा कर पाओगी।। तुम सरकारी जॉब या प्राइवेट जॉब कौनसा करना है..!! विजय ने सवाल किया।।

 




प्रमिला ने कहा-मैं शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हूं.. औऱ जॉब भी करने की इच्छा है, कोई जरुरी नही की सरकारी नोकरी ही हो प्राइवेट नोकरी भी क़रने मे भी औऱ रही माँ बाप की सेवा की बात तो गर आप मुझे सपोर्ट करेंगे तो जरूरर करूँगी औऱ शादी के बाद बहू औऱ बेटे दोनो की ज़िम्मेदारी होती है, माँ बाप की सेवा करना केवल बहू की नही..प्रमिला ने जवाब देते हुए कहा..!!

(माँ बार बार प्रमिला की तरफ इशारा कर रही थी चुप रहने का)

हे भगवान ये लड़की तो कैसे चकर चकर बोलती हैं,विजय की माँ ने मुँह बनाते हुए कहा।।

 

विजय को प्रमिला पसन्द थी…लेकिन उसके माता पिता ने कहा-देखो मोहनलाल लाल जी तुम्हारी बेटी का रिश्ता कई जगह से टूट चुका है, सांवले रंग के कारण…!! अब प्रमिला को हमारे घर की बहू बनाने में हमे कोई एतराज नही है..लेकिन लेंन देंन कि भी बात हो जाती तो अच्छा रहता।। आप तो जानते ही बेटे को पढ़ा लिखाकर सरकारी नोकरी करवाई है.. पढाई लिखाई का खर्चा औऱ भी कितना खर्च हो जाता है.. शायद आप मेरी बात अच्छे से समझ रहे होंगे…विजय के पापा दुर्गाप्रसाद जी ने कहा।।

 

आप जो कहेंगे मैं देने को तैयार हूं…बताइये आपकीं क्या क्या मांगे है। प्रमिला के पिता ने हाथ जोड़ते हुए कहा।।

 

यह शब्द सुनकर विजय के माता पिता के चेहरे पर खुशी सी छा गई…उन्होंने कहा देखो जी वैसे तो हमारी कोई मांग नही है औऱ जो कुछ भी दोगे वो अपनी बेटी को दोंगे इसलिए गलत मत  समझना… बस घर का सारा सामान,दस तौला सोना औऱ 15 लाख नक़द..विजय के पापा दुर्गा प्रसाद ने कहा।।

 

नही!! नही पापा मुझे यह सब नही चाहिए… मुझे तो प्रमिला जैसी सुशील व संस्कारी जीवनसाथी चाहिए जो अपने प्यार प्रेम से मेरे घर को रौशन कर दे… विजय ने कहा।।




तू चुप कर..तुझे समझ नही है अभी की रिश्ता कैसे तय होता हैं। बीच मे ही विजय की मम्मी ने कहा।।

 

प्रमिला उन लोगो की मांग सुनकर विरोध करते हुए बोली-“ओह्ह तो आप लोग मेरे इस सावले रंग की कीमत लगा रहे हैं, या फिर तुम लोग अपने बेटे की कीमत लगा रहे हो…!! तुमको इतना सब देने से अच्छा है, मैं जीवन भर अपने माँ बाप की सेवा करुँ औऱ उनके साथ ही रहूं…! तुम लोगो ने मांग कर दी कि यह सब चाहिए कभी सोचा है बेटी के बाप को यह सब देने के लिए अपने जीवन भर की कमाई लगानी पड़ेगी… औऱ फिर बाद में आप लोगो की औऱ मांगे बढती ही जाएगी..इसलिए

मुझे तो मेरे माता पिता से यह कुछ भी नही चाहिए। औऱ मुझे आप जैसे लालची लोगो के यहाँ बहू बनकर जाना स्वीकार नही है…कही औऱ जाकर अपने बेटे की बोली लगाना।।

प्रमिला ने सीधे मुँह जवाब दिया।।

 

तुम हद से ज्यादा बोल रही हो लड़की…जरा अपनी शक्ल आईने में देखना..तुझे कोई भी लड़का शादी करने के लिए राजी नही होगा। विजय के पिता ने कहा।।

तभी विजय ने भी प्रमिला का साथ देते हुए कहा-“मुझे प्रमिला पसन्द हैं.. औऱ मैं प्रमिला से शादी करूंगा औऱ मुझे दहेज के रूप में सिर्फ औऱ सिर्फ आप लोगो का प्यार अपनापन से भरा आशीर्वाद चाहिए…!! मेरे लिए प्रमिला सर्वगुण सम्पन्न जीवनसाथी हैं, जो अपने लिए अपने परिवार के लिए लड़ सकती है…औऱ मैं  दहेज के रूप में अपने  जमीर को मरने नही दूंगा।

गर मैं शादी करूंगा तो प्रमिला से करूंगा अन्यथा नही करूंगा।। विजय ने भी अपना फ़रमान सुनाते हुए कहा।।

विजय के मुँह यह सब सुनकर प्रमिला को विश्वास नही हुआ औऱ वो भी खुश थी कि चलो आज भी दुनिया मे ऐसे लोग है जो दहेज लेने के पक्ष में नही है, औऱ सबसे बड़ी बात की मेरे इस सावले रंग से प्यार है।। प्रमिला भी विजय को मन ही मन अपना जीवनसाथी मान चुकी थी।

 

विजय दुर्गा प्रसाद की इकलौता बेटा था.. इकलौता बेटे की बात भला पिता कैसे टाल सकते थे..अपने बेटे के फैसले के आगे पिता को अपनी मांगे वापस लेनी पडी… औऱ कहा मेरे लिए तो बेटे की खुशियों से बढ़कर कुछ नही…!! हमे भी प्रमिला पसन्द हैं…।। विजय के पिता ने माफी मांगते हुए कहा।।

प्रमिला औऱ विजय की रिश्ता तय हुआ औऱ कुछ दिन बाद उनकी शादी हो गई…प्रमिला औऱ विजय एक दूसरे को जीवनसाथी चुनकर खुश थे क्योंकि जीवनसाथी ऐसा होना चाहिए जो गलत बातो के विरोध में आपका साथ दे… गलत को गलत औऱ सही को सही करने की हिम्मत रखता हो..!! औऱ दोनो के विचार मिलते हो.।।

 

©ममता गुप्ता

अलवर राजस्थान

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