“रेणु, चलो, जल्दी तैयार हो जाओ |आधे धंटे में हम निकलेंगें |” रेणु की सास शोभा देवी ने जोर से कहा और खुद तैयार होने अपने कमरे में चली गई |
रेणु ने सुना पर वह अपने पलंग पर ही बैठी रहीं |उसे जाने का जरा भी मन नहीं था |वह अपनी जगह से जरा भी नहीं हिली |उसका तन स्थिर था पर उसका मन तेजी से अतीत की ओर दौड़ रहा था |
तीन बहन और एक भाई, चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी रेणु |बचपन से ही उसे यही सिखाया गया कि अच्छी लड़कियां बडो़ का हर बात मानती है विरोध नहीं करती |उसने अपने मायके में पिता और भईया की सब बात मानी या उससे मनवाया गया |
हर छोटी बड़ी बात उसे बडो़ के मन से ही करना पड़ा |यहाँ तक की वह खूब पढ़ना चाहती थी, अपना कैरियर बनाना चाहती थी, पर उसे इसका मौका न दिया गया |ग्रेजुएशन पूरा करते ही उसकी शादी कर दी गई |वह एक अच्छी बेटी बनी |अपने ससुराल आ गई |ससुराल में उसे यह सिखाया गया कि अच्छी बहू और अच्छी पत्नी अपने सास, ससुर और पति की सब बात मानती है, विरोध नहीं करती |वह एक अच्छी बहू बनी |ससुराल में सबकी बात मानती रही |शादी के एक साल बाद उसे एक बेटी हुई और शादी के तीन साल बाद वह पुनः गर्भवती हुई |अब सब चाहते हैं कि वह अपनी जांच करवाये ताकि पता चल सके कि इसबार उसके पेट में लड़की है या लड़का |अगर लड़की है तो वह अपना र्गभपात करवा ले |इसीलिए उसे चलने को कहा जा रहा था | वह ऐसा नहीं चाहती थी |
“अरे, तुम अभी तक बैठी हो |तैयार नहीं हुई? ” शोभा देवी कमरे में आते हुए बोली |
“मुझे नहीं जाना है |” रेणु धीरे से बोली |
“पर, क्यों ? “
“क्योंकि मुझे जांच नहीं करवाना है |”
“फिर पता कैसे चलेगा ? “
“मुझे कोई पता नहीं करवाना है |मैं नहीं जाऊंगी |” रेणु जोर से बोली |
“अरे ये क्या बात हुई |पहली बार हमने कहा था क्या | एक लड़की तो हो ही गई |अब क्या इसबार भी लड़की होने दें | एक लड़का तो होना ही चाहिए | चलो जल्दी तैयार हो |” शोभा देवी चिल्लाने लगी |
“क्या हुआ मां, क्यों हल्ला कर रही हो ? ” रेणु का पति राजेश कमरे में आते हुए बोला |
“रेणु मान ही नहीं रही मेरी
बात |चल ही नहीं रही | अब तुम ही समझाओ इसे |” शोभा देवी गुस्से में बोली |
“क्या हुआ रेणु, तुम माँ की बात क्यों नहीं मान रही |चलो जांच करबा लो |हो सकता है इसबार लड़का ही
हो |फिर तो कुछ करवाना ही नहीं पडेगा |दो ही तो बच्चे चाहिए हमें |एक लड़का तो होना ही चाहिए |” राजेश उसे समझाते हुए बोला |
“मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बच्चा लड़का है या लड़की |मुझे बस इतना पता है कि यह मेरी संतान है |बस यही मेरे लिए काफी है | मैं इसकी माँ
हूँ |मैं सबके कहे अनुसार करती गई और सबकी नजरों में एक अच्छी बेटी बनी, अच्छी बहू, अच्छी पत्नी बनी |अब मैं एक अच्छी माँ बनूँगी |इसे कुछ नहीं होने दूंगी |अब तो मैं विरोध करूंगी| इसके लिए मै किसी की कोई बात नहीं मानूँगी |”रेणु जोर से बोली |
“मेरे घर में यह सब नहीं चलेगा | तुम्हें मेरी बात माननी ही पड़ेगी |” शोभा देवी फिर चिल्लाने लगी |
“तो फिर मैं यह घर ही छोड़ दूंगी |” रेणु खडी़ होकर राजेश से बोली -“क्या, आप भी यही चाहते हैं? कैसे पिता हैं आप? लड़का हो या लड़की, होगी तो आपकी संतान ही न | आपकी भी तो दो बहनें है ं , दो बुआ हैं |आपकी माँ भी तो चार बहनें है | मैं भी तो लड़की हूँ |क्या पशु-पक्षी, या कोई भी जीव अपनी संतान में भेदभाव करते हैं? फिर आप इंसान होकर क्यों? मुझे नहीं रहना ऐसे घर में जहाँ रहने के लिए मुझे अपने संतान की बलि देनी पडे |मै जा रही हूँ |”रेणु रोने लगी |
“कोई कहीं नहीं जायेगा |बहू तुम ठीक कहती हो |तुम आराम से यहाँ रहो |आज मैं भी तुम्हारी सास का विरोध करूँगा |” रेणु के ससुर ने कमरे में आते हुए जोर सै कहा |
“मुझे भी रेणु की बातें ठीक लग रही है |इस बात पर मैं भी माँ का विरोध करूँगा |” राजेश बोल पड़ा |सब शोभा देवी की ओर देखने लगे |
“फिर मै भी अपने बुरे विचारों का विरोध करती हूँ |मुझे भी रेणु की बाते सही लग रही है |” शोभा देवी धीरे से बोली | रेणु ने तो सोचा ही नहीं था कि उसके विरोध करते ही सारी बातें
ठीक हो जायेगी |
उसने सास ससुर के पैर छुए |
“तो फिर इसी बात पर मैं सबके लिए गर्मागर्म अदरक वाली चाय और पकौड़े बनाती हूँ |” रेणु हंसते हुए बोली
“मेरी अच्छी बहू |” शोभा देवी उसे गले लगाते हुए हंसने लगी और इस हंसी में राजेश और उनके पिता ने भी साथ दिया |पूरा घर हंसी से भर गया |