आप सब लोग अपने घर जाये । डाक्टर साहब को कोई ज़रूरी काम आन पड़ा है इसलिए वो चले गये । आप सब को कल देखेंगे.. पिछले एक घंटे से बैंच पर बैठे सीमा और आकाश का ध्यान अचानक से चपरासी ने अपनी ओर खींचा ।आकाश और सीमा कुरुक्षेत्र से दिल्ली अपने किसी दोस्त की सलाह मानकर होम्योपैथी के डाक्टर को दिखाने आये थे ।
पिछले कई सालो से आकाश अपने सिर दर्द की बीमारी से परेशान था । कुरुक्षेत्र में कई डाक्टरों को दिखाया लेकिन कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा । होमियोपैथी के इस डाक्टर का बड़ा नाम सुनकर आये थे । लेकिन यह क्या वो तो आज वापिस जाने की तैयारी के साथ ही आये थे और अचानक से सब कुछ कल पर चला गया । भले ही सीमा अपनी आदत अनुसार कभी कोई मजबूरी ना आ जाए तो थोड़ा अगले दिन की तैयारी करके चली थी ।क्लीनिक से बाहर निकल कर सोचने लगे कि अब कहाँ ज़ाया जाये ।
होटल में ठहरना बहुत महँगा पड़ सकता है । बात तो बस एक रात की है यह सोचकर आकाश और सीमा अपने एक चचेरे भाई के यहाँ ठहरने पहुँच गये । अचानक से आये मेहमानों को देख कर रोहित और मीरा पहले तो हड़बड़ाये से लेकिन जल्दी संभल गये ।
बड़े अच्छे से रोहित ने उनका स्वागत किया । मीरा को जलपान की तैयारी के लिए कहा । शाम के पाँच बज चुके थे । मीरा समय के मुताबिक़ चाय और कुछ स्नैक रख कर वापिस रसोई में चली गई । चाय पीकर सीमा भी रसोई में मीरा के हाथ बँटवाने के उद्देश्य से चली गई । लेकिन मीरा ने कहा दीदी रहने दीजिए मैं कर लूँगी । ख़ैर रात का भोजन खा लेने के बाद आकाश और सीमा सोने की जगह का इन्तज़ार करने लगे ।
कमरे के अंदर से पति पत्नी कीं अजीब सी आवाज़ें आ रही थी । सीमा और आकाश दोनों एक दूसरे की ओर देख रहे थे कि हमने यहाँ आकर कोई गलती तो नहीं कर दी । थोड़ी देर में रोहित ने कहा आप सो जाइये कमरा तैयार है । वो दरअसल बच्चों का कमरा है और ये बच्चे आप तो जानते ही हैं कि सब बिखेर कर रखते हैं । सीमा और आकाश ने बहुत कहा कि वो बाहर ड्राइंग रूम में सोफ़े और पलंग पर सो जायेगे पर वो नहीं माने।
बिस्तर पर पहुँचते ही नींद कब आई पता ही ना चला । अचानक से सीमा की आँख शोर की वजह से खुली तो देखा मीरा अलमारी से कुछ निकाल रही हैं । शायद बच्चों के कपड़े निकाल रही थी ।घड़ी में वक़्त देखा तो छः बजे थे । सीमा सोचने लगी एक बार आने से पहले दरवाज़ा ही खड़का लेती ।पति देव दिनचर्या से फारिक हुए तो सीमा नहाने चली गई ।
लेकिन जैसे ही सीमा बाहर तो थोड़ी झेंपी मीरा हाथ में वाइप्स लेकर खड़ी थी । सीमा ने तुरंत उसके हाथ से वाइप्स ले लिया और जब बाथरूम साफ़ करके बाहर आईं तो दंग रह गई उनका बिखरा हुआ सामान एक मेज़ पर पड़ा था और पलंग पर नई चद्दरें बिछी थी । सीमा थोड़ी देर उसी पलंग पर बैठ गई और सोचने लगी कैसा वक़्त आ गया है लोग रखते पीछे है और निकालने की कितनी जल्दी करते हैं । यह सब जो उसने किया एक दो घंटे ठहर कर भी कर सकती थी । रिश्तों में थोड़ा सम्मान मर्यादा ऐसे वक़्त में बहुत ज़रूरी है । जहां शालीनता सब्र दिखाने की ज़रूरत होती है वहीं लोग अपनी नासमझी की वजह से फूहड़ता दिखाते हैं । मेहमान ज़्यादा समय के लिए नहीं आते बहुत आवश्यक है उन्हें सहजता और अपने पन का अहसास कराये । बारह बजे निकलने का उनका इरादा था लेकिन वो नौ बजे ही उस घर से निकाल आये ।
स्वरचित रचना
अभिलाषा कक्कड़