” कैसा है अब मंथन को ? अच्छा हुआ समय पर अस्पताल पहुंच गए,हमारा तो सुन कर ही दिल बैठा जा रहा है कि इतनी कम उम्र में हार्ट एटैक कैसे हो गया ? चिंता मत करो सब जल्दी ही ठीक हो जाएगा, वैसे भी सब है ना तुम्हारे साथ में …!!” शर्मा आंटी ने मुझे यानिकि रीमा को कहा पर उनकी नजर स्कूटर पार्क करते हुए मेरे जेठ जी के ऊपर ही टीकी हुई थी ।
मैं इतनी नासमझ तो नहीं हूॅं कि वो क्या कहना चाहती है फिर भी अपने आप को संयमित कर लिया और होठों पर हल्की सी मुस्कान बिखेरते हुए कहा,” जी आंटी जी, आप बड़ों के आशीर्वाद से पहले से बेहतर है वो ।”
मेरा जवाब सुनकर वो थोड़ी सी परेशान हो गई फिर भी मुझे ढांढस बंधाते हुए कहा,” कुछ काम हो तो बताना ” तब तक लिफ्ट भी आ गई थी और मेरे जेठ जी भी …!!
मैं यानिकि रीमा और उसके जेठ जी जैसे ही लिफ्ट के अंदर गए शर्मा आंटी ने बाल्कनी में बैठी उनकी खास सहेली विमला आंटी को पुकारते हुए कहा,” देखा विमला, क्या जमाना आ गया है? अपने जेठ जी के स्कूटर के पीछे बैठ कर बिना घूंघट किए कैसे बिंदास हो कर अस्पताल जा रही है। ना शर्म है और ना ही लिहाज और तो और मर्यादा नाम की तो कोई बात ही नहीं है ” शर्मा आंटी ने कहते हुए अपने हाथों को ऐसे नचाया की देखने वाले को साफ़ साफ़ पता चलें कि वो कैसी बातें कर रही है ।
” हां भई,अब जमाना बदल गया है ।जेठ, देवर, ननदोई ये सब के साथ मिलकर घूमने भी जाया जाता है और नाचा भी जाता है । मर्यादा आप के और हमारे जमाने में हुआ करती थी,जेठ, ननदोई के सामने बोलना तो क्या घूंघट में से चेहरा दिखाई भी नहीं देता था । अब नए जमाने की नई सोच मर्यादा और लाज शर्म के नाम पर ना जाने क्या क्या करती है” विमला आंटी जी ने आंखों को नचाते हुए कहा ।
दोनों इतने जोर से बोल रहीं थीं कि उसकी यह बातें रीमा और उसके जेठ जी के अलावा पूरे बिल्डिंग को सुनाई दे रही है, रीमा का हाल तो पहले से ही बेहाल था अपने पति की नासाज़ तबियत को लेकर…!! अब ऊपर से यह नकारात्मक बातें जो उसके दिल दिमाग को दहलाने के लिए काफी थी । आंखों में आसूं को बड़ी मुश्किल से रोकते हुए वो अपने कमरे की ओर भागी।
मेरे जेठ जी यानिकि रीमा के जेठजी को भी यह बात सुनकर झटका सा लगा कि लोग कैसे हैं ? अपने आप को हमारे हितैषी कहने वाले हमारे पीठ पीछे कैसी बातें करते हैं । शाम को जब रीमा ने कहा कि,” भैया आप अस्पताल अकेले चले जाईए, मैं ऑटो रिक्शा या कैब से आ जाऊंगी ।”
“ठीक है ” कहते हुए रीमा के जेठजी यानिकि चिराग घर से निकल तो गए पर मन में ठान लिया कि उस लोगों की नकारात्मक सोच को बदल कर सकारात्मक सोच में लाना है और चिराग को उन लोगों का मुंह बंद करने का मौका दूसरे दिन ही मिल गया। जब चिराग,मंथन को डिस्चार्ज कराने के लिए अस्पताल से पैसे लेने के लिए अकेला वापस आया ।
तभी विमला आंटी जी उसे मिल गई, हालचाल पूछने के बहाने उन्होंने चिराग को अकेला पाकर साथ में रीमा को ना देखकर उग ने बड़ी सहजता से कहा,” आंटी,आज मेरा भाई डिस्चार्ज होने वाला है तो उसके लिए पैसे जमा कराने के लिए पैसे लेने आया हूॅं । आंटी जी, शायद आप खुश नहीं हुई यह सुनकर की मेरी छोटी बहन रीमा का सुहाग सही सलामत है ।
सकी वजह जानने की कोशिश की ।
चिराग भी हाथ आया मौका कहॉं छोड़ने वाला था और आज तो बिल्डिंग में गणेश जी की मूर्ति आने वाली है तो उसका स्वागत करने बिल्डिंग के हर सदस्य मौजूद थे ।
चिरा
आंटी जी, क्या किसी के स्कूटर के पीछे बैठने से मर्यादा का भंग होता है तो आपको तो मैंने कई बार आप की ऑफिस के सहयोगी के पीछे बैठे हुए देखा है तो फिर आप की मर्यादा और लाज शरम का क्या ? मर्यादा और लाज शरम तो देखने वाले की आंखों में और सोचने वाले के दिमाग में होती है । मर्यादा के कई पैमाने होते हैं आंटीजी, पर आप कौन सी मर्यादा में रहकर बात या व्यवहार करते हैं वो आप की सोच को बताते हैं।
यूं मर्यादा के नाम पर किसी के जज्बातों से खेलने की बजाय उसका हौंसला बढाए और हिम्मत दें जो उसके लिए बहुत जरूरी है ना कि ऐसी दिल तोड़ देने वाली बातें। रीमा और मैंने कौन सी मर्यादा का भंग किया है जरा बताइए । क्या एक बहन एक भाई के स्कूटर के पीछे नहीं बैठ सकती ? उसमें कौन सी मर्यादा भंग होती है ?
आप लोग ऐसे नकारात्मक पहलू पर सोचने की बजाय आप लोगों ने उसके सकारात्मक पहलू को यदि सोचा होता तो शायद आज आपको खुद की नजरों में गिरना नहीं पड़ता। अगर सोचा होता कि रीमा ऑटो रिक्शा से या कैब से जाती तो सामने वाला व्यक्ति कैसा होगा और रात दिन यूं अकेले अकेले आने जाने पर उसकी स्थिति कैसी होती ? इससे अच्छा तो है कि वो अपने बड़े भाई समान जेठजी के साथ आती जाती है तो सेइफ भी है और उसे शारीरिक कष्ट के मानसिक रूप से भी उबरने की शक्ति मिलती है ।
जितना उसे और मुझे मंथन के हार्ट एटैक नहीं हिला दिया था उससे ज्यादा आप की बातों ने हमें तोड़ दिया है। आइंदा से ऐसी नकारात्मक सोच को जाहिर करने से पहले उसके सकारात्मक पहलू पर भी गौर फरमाइएगा ” हाथ जोड़कर चिराग ने कहा तो बिल्डिंग वालो के साथ साथ विमला जी और मिसिस शर्मा सोचने पर मजबूर हो गई ।
सभी को सोचने पर मजबूर कर चिराग चला गया अपने भाई को लेने ।
दोस्तों,कई बार हम किसी को देखते ही के नाम पर मर्यादा उसके नकारात्मक पहलू पर सोचना शुरू कर देते हैं पर हमें हमेशा नकारात्मक पहलू से पहले उसके सकारात्मक पहलू पर विचार करना चाहिए।
#मर्यादा
स्वरचित और मौलिक रचना ©®
भाविनी केतन उपाध्याय
धन्यवाद,