कठपुतली – मंगला श्रीवास्तव

सीमा अपने फ्लेट की गैलरी में बैठी सकूँन से चाय पी रही थी।

आज वह *आजाद* हो गई थी  एक कठपुतली नुमा जिंदगी से।

वह शादी के बाद बहुत खुश थी वह अच्छे प्यार करने वाले सास ससुर ,सुंदर उच्चपद आसीन पति राजीव को पाकर।

पर कुछ दिनों बाद ही उसकी खुशी काफूर हो गई ,कारण राजीव का अजीब सा व्यवहार था।

राजीव घर मे अपनी इच्छाएं सब पर थोपते थे।

वह चाहे खाने से लेकर कही जाने की हो या कपड़े खरीदने से लेकर पहनने व घर की शॉपिंग  से लेकर किसी के यहाँ शादी या अन्य समारोह में जाने की हो। हर जगह उसकी मर्जी ही चलती थी।

जब उसने अपनी सास से पूछा तो उन्होंने बताया शादी के बहुत दिनों बाद राजीव का जन्म हुआ था।

हम दोनों उंसके बचपन से ही उसकी हर बात मानते छोटी से छोटी चीजे चाहे वह घर की हो या बाहर की क्यों ना हो उसकी पसन्द से लेते थे।

धीरे धीरे यह बात उसकी आदत में शुमार हो गई…,अब उसको यही लगता है कि वही सब कुछ सही डिसीजन लेता है इस कारण  आज हम उसकी हर बात मानने पर मजबूर है बेटा। उसका विरोध करते है तो वह घर सिर पर उठा लेता है।

सीमा ने एक दो बार प्यार से उसको समझाना चाहा पर नतीजे कुछ नही निकला बल्कि राजीव सीमा से बोला यह मेरा घर है समझी मेरी मर्जी से चलेगा और तुमको भी वैसे ही रहना होगा जैसे मम्मी व पाप रहते है ।

वह मन मसोस कर रह गई ,




वह भी बस अम्मा बाबूजी के लिए क्योंकि वह उनको घुटते हुए देखती थी।

उनकी दादा दादी बंनाने की इच्छा भी मन मे रह गई क्योंकि राजीव अभी बच्चा नही चहाते थे ।

शादी के दो साल के बाद उसके सास ससुर दोनो ही एक के बाद एक कुछ ही समय में  गुजर गए।

अब तो सीमा को दिन काटना भी मुश्किल लगने लगा था। पहले तो अम्मा व बाबूजी के साथ उसका वक्त कट जाता था।

 वह एम.ए बीएड करी हुई थी

उसने एक स्कूल में आवेदन भर दिया राजीव को बिना बताये  और वह सिलेक्ट भी हो गई थी।

क्योंकि वह जानती थी राजीव को यह पसन्द नही आयेगा की वह जॉब करे वह शादी के पहले ही मना कर चुका था कि उसको जॉब वाली लड़की नही चाहिये।

 एक दिन उसने राजीव को अच्छा मौका देख अपना निर्णय धीरे से बता दिया।

और वही हुआ जिसका उसको डर था….. सुनते ही राजीव एक दम भड़ककर बोले इस घर की औरतो को बाहर निकलकर नौकरी करने की परमिशन नही है।

कभी अम्मा को देखा था घर के बाहर जाते हुए खबरदार जो आज के बाद फिर यह बात करी तो,मुझसे बुरा कोई नही होगा समझी।

आज वह रो पड़ी थी ….उसने तुंरन्त ही अपनी सहेली को  जिसने उसको स्कूल में इंटरव्यू दिलवाया था..फोन लगाया और

अपने कपड़े बैग में डाल अम्मा बाबूजी का छोटा फोटो लिया और घर से निकल गई।

आज ही वह इस फ्लेट में आई थी।

उसने अम्मा बाबूजी के फोटो को लगाकर हाथ जोड़ कर कहा मुझको माफ कर दीजिए अम्मा बाबूजी…, मैं आपके बेटे के साथ  रहकर *कठपुतली* के समान जीवन नही जी सकती थी ।

मंगला श्रीवास्तव इंदौर

स्वरचित मौलिक लघुकथा

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