सभी देशवासियों को हिन्दी -दिवस की शुभकामनाएँ!आज 14 सितम्बर का दिन हमारे देश में हिन्दी-दिवस के रुप में मनाया जाता है।हिन्दी सिर्फ हमारी भाषा ही नहीं,बल्कि हमारी पहचान भी है।आज 60 करोड़ से ज्यादा लोग हिन्दी का इस्तेमाल करतें हैं।आजादी मिलने के बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान-सभा ने एकमत से हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने का निर्णय लिया था।इसमें महात्मा गाँधी,जवाहरलाल नेहरु,डाॅ राजेन्द्र प्रसाद का प्रमुख सहयोग था।कवि भारतेन्दु ने बहुत पहले ही हिन्दी की महत्ता से देशवासियों को सजग करते हुए कहा था-
“निज भाषा उन्नति अहै,सब भाषा को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के,मिटत न हिय को शूल।।
विविध कला,शिक्षा,अमित,ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसी से लैस करहू, भाषा माहि प्रचार। ।”
निज भाषा की जरूरत को समझते हुए 1950 में संविधान के अनुच्छेद 343(1)द्वारा भारत की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी को दर्जा दिया गया। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध से 1953 से प्रत्येक वर्ष हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए 14 सितम्बर को हिन्दी-दिवस मनाया जाता है।2006 से विश्व हिन्दी-दिवस भी मनाया जाने लगा।
हिन्दी दुनियाँ में बोली जानेवाली चौथी प्रमुख भाषा है।चीन की मंडारिन भाषा विश्व में प्रथम स्थान पर है।द्वितीय स्थान पर स्पेन की स्पेनिश भाषा है।तृतीय स्थान अंग्रेजी को प्राप्त है।हिन्दी को चतुर्थ स्थान पर ही संतोष करना पड़ा है।इसका प्रमुख कारण है हिन्दी के प्रति देशवासियों का उपेक्षित व्यवहार। हमारा देश 200 वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा,इस कारण हमारी मानसिकता अंग्रेजी भाषा से पीछा नहीं छुड़ा पाई है।
हमारी हिन्दी बहुत ही सरल भाषा है।यह पढ़ने और समझने में बहुत ही आसान है।यह भाषा वैज्ञानिक कसौटी पर भी बिल्कुल खरी उतरती है।हिन्दी भाषा के उच्चारण में जो लिखा जाता है,वही पढ़ा भी जाता है।हिन्दी को राजभाषा घोषित करने पर गैर हिन्दी भाषियों द्वारा इसका विरोध किया गया,जिसके कारण अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा घोषित किया गया,जिसका परिणाम ये हुआ कि हिन्दी अंग्रेजी से पिछड़ती चली गई। हिन्दी को अपने ही देश में अपनों से विरोध का सामना करना पड़ता है।
भारत के अधिकांश भागों में हिन्दी बोली और समझी जाती है।176 विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है।20 से ज्यादा देशों में हिन्दी का इस्तेमाल होता है।93% भारतीय युवा हिन्दी यूट्यूब पर हिन्दी में वीडियो देखते हैं।94%दर से डिजिटल मीडिया में हिन्दी सामग्री की माँग बढ़ रही है,परन्तु हमारे देश की विडंबना है कि हिन्दी राजभाषा तो है,पर राष्ट्रभाषा का दर्जा अभी तक नहीं प्राप्त कर सकी है।भारत देश के नागरिक होने के कारण हमारा कर्तव्य बनता है कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा दिलाने का संकल्प करें,जिसके लिए हम अपनी बोलचाल और कामकाज की भाषा में अधिक-से-अधिक हिन्दी का प्रयोग करें।
आज भी हमारे देश में हिन्दी पढ़नेवाले को हेय दृष्टि से देखा जाता है।इसका प्रमुख कारण हमारी शिक्षा-नीति है,जिसमें अंग्रेजी का वर्चस्व छाया हुआ है।हमें मिलकर ऐसे प्रयास करने होंगे कि हिन्दी-मीडियम से पढ़नेवाले खुद को ठगा हुआ न महसूस करें,तभी सही मायने में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त हो सकेगा।हिन्दी की बढ़ती हुई लोकप्रियता देखकर हमें उम्मीद है कि हिन्दी जल्द ही हमारी राष्ट्रभाषा कहलाएगी।
समाप्त।
लेखिका-डाॅ संजु झा