हे भगवान ना जाने क्या देख कर मैंंने इस आदमी से शादी की! मेरी तो ज़िन्दगी ही बर्बाद हो गई, जब देखो तब लडाई झगड़ा अपने अलावा किसी और की पड़ी ही नहीं है इनको। मैं भी पूरा दिन ऑफिस में दिमाग खपाती हूँ तब जाकर चार पैसे कमा पाती हूँ। फिर घर जाकर खाना पीना बच्चे सबको देखो! मैं भी तो इंसान हूँ यार!
रागिनी गुस्से में बोलती जा रही थी। ऊपर से मकान और गाड़ी का लोन। ये दोनों लोन उतर जाए तो मैं भी नौकरी छोड़ कर थोड़ा चैन लूँ। रागिनी जब अपना पूरा गुस्सा निकाल चुकी तब शांति ने समझाया, “तू भी जानती है रागिनी मनन खराब इंसान नहीं, तू मन से मत लगा कोई बात चल अब काम पर ध्यान दे।” रागिनी ने भी मनन के तानों को एक तरफ रख कर काम पर ध्यान लगा दिया।
शांति से अपने मन की हर बात कह लेने के बाद रागिनी का दिल बिल्कुल हल्का हो गया था। वैसे भी रोज की सी बात थी ये। चाहे प्रेम विवाह हो या आप दोनों ने परिवार की सहमति से विवाह किया हो शादी के बाद के कुछ साल सभी के जीवन में बेहद रंगीन होते हैं। दिन में चार बार एक दूसरे को आई लव यू बोलना, प्रेम पूर्ण आलिंगन, तोहफे लाना, पति देव का पत्नी को अचानक कोई सरप्राइज देना, दोस्तों से मिलना जुलना बड़ी रंगीन सी लगती है दुनिया। महिलाओं के जीवन में अचानक से सोलह श्रृंगार अपनी जगह बना लेता है।
लाल गुलाबी रंगों में सजी पत्नी को देख कर पति का आंखों ही आंखों में प्यार जताना, एक दूसरे को यूँ ही निहारते जाना… रोमांस और रोमांच से भरे ये पल कब हाथ से सरक जाते हैं पता ही नहीं चलता। गृहस्थी की चक्की में पिसते पिसते सौलह श्रृंगार छूटने लगते हैं। आई लव यू बोले भी जमाने बीत जाते हैं। बच्चों के आने से एकांत के पल भी कम होने लगते हैं। घर की जिम्मेदारी निभाते पति देव अक्सर गिफ्ट देना भूल जाते हैं।
शुरुआत के समय जिन गलतियों या कमी को नज़रअंदाज़ किया करते थे अब वही बातें आंखो में खटकती हैं। पति पत्नी के बीच अक्सर नोक झोंक भी होने लगती है। ऐसी ही छोटी सी नोक झोंक के बाद गुस्से और झुंझलाहट में रागिनी घर से निकली थी। रागिनी और मनन दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन अक्सर रूठने के बाद मनाने का समय ही नहीं होता था दोनों के पास सो खुद ही झगड़ा भूल कर दोनों आगे बढ़ जाते थे।
रागिनी अपनी दफ्तर की सहेली शांति के बहुत करीब थी सो अपने मन की हर बात उससे कह लेती थी। रागिनी शांति को जैसा समझती थी वो वैसी थी नहीं। रागिनी और मनन की अंत रंग बातें उसने ऑफिस में ही काम करने वाले मैंनेजर सुरेश तक पहुँचा दी थी। सुरेश एक गिरे हुए चरित्र का व्यक्ति था जैसे ही उसे भनक लगी कि रागिनी का रिश्ता कुछ ठीक नहीं चल रहा तुरंत ही वह रागिनी से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करने लगा। एक दिन अपने कैबिन में बुला कर उसने रागिनी का हाथ पकड़ने की कोशिश की रागिनी के विरोध करने पर सुरेश उसको अपने पद की धौंस दिखाने लगा। “ज्यादा नाटक मत करो मैं जानता हूँ तुम्हें इस नौकरी की कितनी जरूरत है, वैसे भी तुम्हारे पति को तुम्हारे जैसे हीरे की कदर ना सही हम हैं ना तुम्हें तराशने के लिए” सुरेश के भद्दे द्विअर्थी बोल उसके कानो में जहर घोल रहे थे, लेकिन सच में ये नौकरी छोड़ देने की स्थिति में भी तो नहीं थी रागिनी! चाह कर भी वो सुरेश के गालों पर थप्पड़ नहीं जड़ पायी और उसी समय ऑफिस से निकल गई। रागिनी का चेहरा आंसुओ से तर था।
मन में कितने ही सवाल कौंध रहे थे। खुद से घिन आ रही थी। उस आदमी ने घटिया नियत से मुझे छुआ भी कैसे, क्यू मैं जवाब नहीं दे सकी उसकी गलत हरकत का! लेकिन अगर ऑफिस में उसने मेरे बारे में कुछ गलत फैला दिया तो! मुझे जॉब से निकलने पर मजबूर कर दिया तो क्या होगा। रागिनी ने सबकुछ भूल जाना ही ठीक समझा। कैब घर के दरवाजे पर रुकी तो घर के बाहर ही मनन को खड़ा पाया रागिनी ने। “अरे तुम आज लेट आने वाली थी तो इन्फॉर्मेशन तो देनी थी ना”, मनन ने नाराजगी जताई।
रागिनी कुछ बोले बिना ही अंदर दाखिल हो गई थी। रागिनी ने सोचा था कि मनन को कुछ नहीं बताएगी लेकिन उसकी सूजी हुई आंखो को मनन इग्नोर नहीं कर पाया। रागिनी का हाथ थाम कर मनन ने पूछा तो रागिनी पिघल गई। आंखों में आंसू भर कर उसने सारी बात कह सुनाई। अगले दिन मनन और रागिनी दोनों ऑफिस के लिए निकले। मनन ने लिखित में मैंनेजर के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी। उसके बाद रागिनी को कहा कि सबके सामने सुरेश को एक थप्पड़ लगाए। ऑफिस में काम करने वाली और भी महिलाओं ने रागिनी को देख कर हिम्मत दिखाई और सुरेश की बेहूदी भद्दी टिप्पणियों के बारे में आगे आकर खुल कर बताया। शिकायत मिलने पर मैंनेजमेंट ने सुरेश को बाहर का रास्ता दिखा दिया।रागिनी सम्मान पूर्वक अपनी नौकरी करने लगी। शायद मनन ने इतनी हिम्मत नहीं दी होती तो वह या तो नौकरी छोड़ देती या फिर सहती रहती सुरेश का शोषण।
रागिनी ने मनन से उसके प्यार को ना समझने के लिए माफी मांगी। मनन ने भी अपना गुस्सा बेवजह ही रागिनी पर निकालने के लिए उससे सॉरी बोल दिया।रिश्ते पर जमी गलत फहमी की धूल साफ होते ही दोनों को एक दूसरे के लिए प्रेम दिखाई देने लगा था।बेशक एक दूसरे को प्यार जताए एक जमाना गुजर गया हो लेकिन विपरीत परिस्थितियों में एक दूजे के लिए मजबूती से खड़े रहना और अपने जीवन साथी पर भरोसा रखना भी तो प्रेम ही है।
दोस्तों पति पत्नी के रिश्ते की नोक झोंक को कभी इतना बड़ा ना होने दे कि कोई तीसरा बीच में अपनी जगह बनाने लगे। अपने मित्रों और हितैषी से भी अपनी अंत रंग बातें सोच समझ कर ही शेयर करे। कहीं ऐसा न हो कि आपकी अंत रंग बातें पूरे समाज के लिए मनोरंजन का साधन बन जाए। अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में हो सके तो ढिंढोरा पीटने से बचें। कब कौन कहाँ घात लगाए बैठा हो क्या पता। आपको कितना लोन चुकाना है, या आपको शादी में कितने तौला सोना मिला ऐसी बातें जग जाहिर करना अक्सर भारी पड़ता है। और सबसे जरूरी बात यह कि अपने ऊपर होने वाले शोषण के खिलाफ आवाज जरुर उठाएं। विश्वास रखिए आपके अपने हमेशा आपके साथ हैं बस पहला कदम आपको उठाना होगा। किसी के भी दबाब में ना आए बस आपकी गरिमा को भंग करने वाले को मुह तोड़ जवाब दे। अगर आप सही है तो आपको डरने की कोई जरूरत नहीं। बदनामी के डर से ऐसी घटनाओं को बढावा न दे। कहानी के लिए आपके विचार आमंत्रित है।
सोनिया कुशवाहा