” ज़िंदगी से लड़कर कथिर से कुंदन बन गई” – भावना ठाकर ‘भावु’
Post View 4,104 वंदना आज कलेक्टर की कुर्सी संभालने जा रही थी, उस सम्मान में एक समारोह रखा गया। पूरा हाॅल बड़े-बड़े अधिकारियों और कुछ रिश्तेदारों से खिचोखिच भरा हुआ था। वंदना खोई-खोई दोहरे भाव से जूझ रही थी गरीबी, ससुराल वालों की प्रताड़ना घर-घर जाकर खाना बनाकर पाई-पाई जोड़कर पढ़ना वगैरहे एक-एक घटना किसी … Continue reading ” ज़िंदगी से लड़कर कथिर से कुंदन बन गई” – भावना ठाकर ‘भावु’
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