ज़िंदगी की क़ैद से! – डॉ कविता माथुर

Post View 795 “परे हटो, मत परेशान करो मुझे, जाओ उड़ जाओ।”, उन नन्हे-नन्हे शलभों पर चिल्लाते हुए बुरी तरह खाँसने लगा था दिलदार सिंह । “पानी पी, पानी पी ”, बाहर खड़े गार्ड की आवाज़ पर कोने में रखी सुराही से पानी पीने के लिए उठा तो जर्जर घुटनों ने जवाब दे दिया और … Continue reading ज़िंदगी की क़ैद से! – डॉ कविता माथुर