ज़िंदगी के रंग – ऋतु अग्रवाल

Post View 25,751  ” माँ! इधर आओ ना।” मंजरी ने पूरे घर में शोर मचा रखा था।       “क्या बात है? पूरा घर सिर पर उठा रखा है।” आशा साड़ी के पल्लू से हाथ पोंछती हुई बाहर आई तो मंजरी ने उसे पकड़कर गोल गोल घुमा दिया।         “अरे! रुक तो! मुझे गिराएगी क्या? पगली!”आशा ने मंजरी … Continue reading ज़िंदगी के रंग – ऋतु अग्रवाल