Post View 1,135 “तुमसे कुछ नहीं हो सकता। तुम इतना भी नहीं कर सकती।” कहते हुए सचिन सारे पेपर्स और बैग लेकर जोर से दरवाज़ा बंद करते हुए आफ़िस के लिए निकल गया। वो तो चला गया मगर ये शब्द जयश्री के कानों में अब भी गूँज रहे थे। वो घर के मंदिर के सामने … Continue reading ज़िम्मेदारी – मधु झा
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