“ज़िम्मेदारी” – ऋतु दादू : Moral Stories in Hindi

सौम्या और सौरभ के विवाह को पांच वर्ष हो गए थे, ससुराल में सास, ससुर, पति एवं एक विवाहित ननद है । सौम्या अपने घर की जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभा रही थी,

सास ससुर को पूरा मान सम्मान देती, धीरे धीरे घर की जिम्मेदारी भी उसने अपने ऊपर ले ली थी। दो दिन पहले वह अपने मायके में अपने मां पिताजी से मिलने गई थी , जबसे लौटी कुछ विचलित सी थी।

शाम की चाय पीते हुए अपने पति सौरभ से चर्चा करने लगी, आजकल भाभी का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है,इसलिए वो घर और मां,पिताजी पर उचित ध्यान नहीं दे पा रही हैं

,भैया की भी दुकान का काम थोड़ा मंदा चल रहा है, इसलिए मां पिताजी अपनी स्वास्थ्य संबंधी जांचे भी टालते जा रहें हैं। सौम्या ने थोड़ा रुक कर कहा कि सोच रही हूं कि,

मां पिताजी को कुछ दिन के लिए यहां बुला लू, उन्हें भी अच्छा लगेगा,उनकी जांच इत्यादि भी करवा देंगे । यह सुनते ही सौरभ बोल उठा,

अरे ये जिम्मेदारी तो तुम्हारे भैया की है,मै अपने माता पिता की ज़िम्मेदारी भी उठाऊ और तुम्हारे माता पिता की भी ? यह सुन सौम्या कुछ बोलने ही जा रही थी

कि उसकी सासू मां ने कहा,सौरभ किस झूठे गुमान में जी रहे हो तुम? कि तुम हमारी ज़िम्मेदारी संभाल रहे हो? हमने तुम्हें पढ़ा लिखा कर इस लायक बनाया है

कि तुम आज अच्छा कमा रहे हो, सौम्या के माता पिता ने भी उसे इस लायक बनाया है कि वह कहीं अच्छी नौकरी करके कमा सके

परन्तु यदि दोनो घर से बाहर कमाने निकल जायेगें तो घर, बच्चे और हमारी उचित देखभाल कैसे होगी,यह सोचकर सौम्या घर संभालती है।

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उसने तो कभी भी अपने माता पिता और हममें फर्क नहीं समझा।सिर्फ पैसा कमाने से ही ज़िम्मेदारी नहीं उठाई जाती, क्या ,तुम्हे पता है, मुझे और तुम्हारे पिताजी को कौन सी दवा कब लेनी होती है,

हमें भोजन में क्या खाना है और क्या नहीं खाना? अगर एक दिन के लिए भी सौम्या घर से बाहर चली जाती है तो ये घर अस्त व्यस्त हो जाता है।

कहना, बड़ा ही आसान लगता है कि एक कप चाय पिला दो पर तुम्हे पता है कि हमारे घर में तीन तरह की चाय बनती हैं, तुम्हारे पिताजी गुड़ की चाय पीते है,

मै फीकी पीती हूं और तुम शक्कर वाली और सौम्या, वह बेचारी तो जो मिल जाए वह पी लेती है क्योंकि उसे अगले कार्य की चिंता ज्यादा होती है।

लोग बेटे की आस ही इसलिए करते हैं कि उसके विवाह के बाद उन्हें हमेशा के लिए एक बेटी मिल जाती है, उनकी अपनी जन्मदाई बेटी को तो दूसरे घर की ज़िम्मेदारी निभानी होती है।

सासू मां सौम्या से बोली,बेटा तुम्हारे माता पिता का तुम्हारे घर आने का पूरा हक है। अपनी भाभी से कहना कि वह अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दे ,

वह ठीक रहेगी तभी तो अपने बच्चो और बड़ों का ख्याल रख पाएगी। सौरभ को भी अपनी गलती का अहसास हो गया था ,उसने आगे बढ़कर सौम्या से माफी मांगी

और फोन करके सौम्या की मां से इसरार कर रहा था कि वह भी तो उनका बेटा है कुछ दिन उसके पास भी आकर रहें। और सौम्या मन ही मन सोच रही थी कि “एक माफी ने बिगड़ने से पहले रिश्ते सुधार दिए।”

ऋतु दादू

इंदौर मध्यप्रदेश

# एक माफी ने बिगड़ने से पहले रिश्ते सुधार दिए।

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