जमीन तो बिकनी ही थी – नीलम नारंग

Post View 600 मोहना कनाडा से आई शमशेर की चिठ्ठी पढ़ कर गुरदित को सुना रहा था | गुरदित की आँखों में ख़ुशी और दुःख के आंसू एक साथ बह रहे थे | चिठ्ठी के  शब्द कम सुनाई दे रहे थे  अतीत की बातें ज्यादा याद आ रही थी | “शमशेर ओ शमशेर कहाँ है … Continue reading  जमीन तो बिकनी ही थी – नीलम नारंग