hindi stories with moral :
मीना एक बार और सोच ले , तू आई॰पी॰एस॰ ऑफ़िसर बन गयी है , गाऊँ में अपना ट्रांसफ़र क्यू करा रही है , मीना कि माँ मीना को बार – बार समझाने में लगी थी ।
मीना- माँ जब आपने मेरी शादी गाऊँ में रहने वाले आकाश से कि तब नही सोचा आपने , अब मुझे क्या करना है और क्या नहीं ये मैं खुद तय कर सकती हूँ , मुझे अपने अच्छे बुरे कि पहचान है ….. मेरे लिए क्या सही और क्या ग़लत है ये मैं जानती हूँ …….
मीना कि माँ – पर बेटा तू गाऊँ में रहेगी कैसे …… यहाँ तुझे इतना बड़ा घर मिला है …. तू दामाद जी को यही बुला ले ….
वैसे भी गाऊँ में उनके पास कोई काम तो है नहीं बस खेती में लगे रहते है ……..गाय भैंसों में लगे रहते है …….
मीना- माँ बस कर क्यू इतना बोल रही है …. तुझे लगता है आकाश यहाँ आएँगे , अपनी माँ को छोड़ कर …..
मीना कि माँ – क्यू नहीं आएँगे ….. तू बुला तो वो ज़रूर आएँगे , यहाँ कौन सा काम करना पड़ेगा …….वो तो बैठे बैठें भी खा सकते है , और सास के पास हर महीने पैसे भिजवा दिया करना ,,,
मीना – नहीं माँ नहीं आप आज तक अपने दामाद को समझ नहीं पाई है ……..अपनी माँ कलिए उन्होंने सरकारी नौकरी तक छोड़ दिया था ….. क्यूँकि उन्हें कही और जाना पड़ता ….. वो कभी नहीं आएँगे और ये मेरी कमाई बैठ कर खाने वाले इंसान नहीं है । ये तो मेहनत करके मुझे भी खिला सकते है , और माँ जी को तो छोड़ कर कभी नहीं आएँगे ।
मीना कि माँ – अच्छा अच्छा समझ गयी पर बेटा तू गाऊँ में रहेगी कैसे …….?
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मीना – माँ तुम अब परेशान मत हो , मैं कोशिश करूँगी …….
अपने आप रहने कि आदत हो जाएगी …
मीना कि माँ- अच्छा ठीक है मैं भी एक दो दिन के लिए चलूँगी तुम्हारे साथ …….
एक हफ़्ते बाद मीना अपनी माँ के साथ गाऊँ पहुँची …. वहा पर पुरा गाऊँ और पुलिसकर्मी खाखी वर्दी में मीना को सैलुट करने में लगे थे ……….. तभी वहा भीड़ के बीच से आवाज़ आयी ….. ओड़ि मीना तू आ गयी ….वो आगे कुछ कहती उससे पहले ही पुलिस वालों ने उन्हें रोक दिया …………..
मीना कि माँ- ये आवाज़ कहा से आ रही है ………कौन गवाड़ है …..जो एक ऑफ़िसर को नाम से पुकार रही है । इन्ही जैसे लोगों के लिए ये कहावत बनी है ……( गाऊँ बसा नहीं माँगने वाले पहले ही आ गए )
मीना- माँ बस करो ये कोई गवाड़ नहीं है , मेरी प्यारी सासु माँ है …..कोंस्टेबल हटो साइड मुझे उनके पास जाने दो ।
मीना कि माँ – मीना तू पागल हो गयी है क्या …. तू यही रह तू इस गाऊँ में ऑफ़िसर बन कर आयी है तुझसे मिलने वालों की लाइन लगेगी , तू क्यू जा रही है कही भी …….
मीना- बस माँ बस ……पागल सायद आप हो गयी हो ।
आज आपको बड़ी चिंता होने लगी
मेरे आई॰पी॰एस॰ बनते ही आपके तो तेबर ही बदल गए ,
आप भूल गयी होंगी सब कुछ पर मैं नही भूली हूँ , आप तो मुझे पढ़ाना भी नही चाहती थी ,……… वो तो आज मैं अपनी सासु माँ और पति कि वजह से पढ़ पायी…..आपने तो पढ़ाई छुड़ा कर मेरी शादी करा दी थी …. जब मैं यहाँ आयी और अपनी इच्छा बताई तो आकाश ने मना कर दिया था ….पर यही है जिन्होंने मेरा साथ दिया ……. आज आप इन्हें गंवार बोल रही है …..गवाड़ो वाला काम तो आपने किया है ।इन्होंने तो मुझे पढ़ाया है …….
अच्छा …….अच्छा अब अपनी माँ कि बेजती कराएगी क्या …… मीना कि माँ मीना को चुप करवाते हुए ।
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मीना अपनी माँ कि बातों को इग्नोर करते हुए सासु माँ के पास पहुँच जाती है ….. सासु माँ का पैर छूकर …….माँ आप
कैसी है ।
मीना कि सास- मैं ठीक हूँ मीना …. चल घर चल
मीना- हाँ माँ जी चलिए ……माँ। तुम भी चलो ……
दोनो को जाते देख मीना कि माँ झट से बोली …..अरे मीना तेरे इस नए वाले क्वाटर का क्या होगा …. यही इसी घर में रहते है ….
मीना- नही माँ मैं अपने घर जाऊँगी……. जहां मेरे अपने रहते है ।
मीना कि माँ – फिर मैं कहा रहूँगी …. इस नए घर में मैं ही रुक जाती हूँ …..
मीना – कोंस्टेबल- माँ को अभी शहर जाने वाली बस में बीठा देना ……
कोंस्टेबल- ओक मैडम …
मीना कि माँ – बुदबुदाते हुए ….. मैं यहाँ रुकने आयी थी और ये है कि ……….हुऊ ………मीना मैं बस से जाऊँगी , तू अपने कोंस्टेबल से बोल कर इस गाड़ी से भिजवा दे ।
मीना- नही माँ ये सरकारी गाड़ी है मैं इसका सार्वजनिक उपयोग नही कर सकती ….. कोंस्टेबल तुम शहर जाने वाली बस में बीठा कर आओ ………मैं अपने घर जा रही हूँ ।
मीना कि माँ बुदबुदाते हुए वहा से चली जाती है ।
और मीना अपनी सास के साथ अपने घर चली जाती है ।
कामिनी मिश्रा कनक
फ़रीदाबाद
#गाउँ या # गाँव, कलिए या के लिए, इत्यादि, वर्तनी अशुद्ध होने से कहानी का आनंद और प्रवाह ख़त्म हो जाता है|