ये गलती न होगी दुबारा – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मिन्नी जा भाग कर चार कप चाय बना ला “सुमन ने अपनी बेटी मिन्नी से कहा।
“मम्मी मै फेल हो जाऊँगी, इस तरह आप काम करवाओगी “मिन्नी चिढ़ कर बोली। पास बैठे सुकेश जी चौंक पड़े..

. बोले “ये बात तो कोई और भी बोला था, कुछ साल पहले…..मुझे छुटकी याद आ गई “।सुकेश जी का छुटकी से विशेष लगाव किसी से छुपा नहीं था।

“अब इसमें बुआ को याद करने क़ी क्या बात है,”मिन्नी बोली

“याद इस लिये आई क्योंकि कुछ साल पहले तेरी छुटकी बुआ भी यही…कहती थी, इसी अंदाज में..अम्मा से, क्यों अम्मा आप को याद है छुटकी की ये बात “पास बैठी अपनी अम्मा से सुकेश जी बोले।

आइये पहले छुटकी के बारे में जान ले, सुकेश जी छः भाई -बहन थे, भाई चार और बहन दो थी एक उनसे बड़ी और एक सबसे छोटी, जिसे प्यार से सब छुटकी कहते थे।छुटकी सिर्फ अम्मा -बाबूजी की ही लाड़ली नहीं थी, सारे भाई -बहन भी छुटकी को बहुत प्यार करते थे।

 छुटकी भी कम बदमाश नहीं थी, शरारत करने में सबसे आगे रहती थी, पर क्या मजाल कोई उस पर हाथ उठा लें, अम्मा की पैनी नजर हमेशा छुटकी की हिफाजत करती थी।
अम्मा का पल्लू पकड़ कर घूमने वाली छुटकी की शादी का रिश्ता जब आया तो घर वाले हैरान हो गये,बोले “छुटकी तो अभी बहुत छोटी है “

तब बड़ी बुआ अम्मा से बोली “क्या छोटी है, पूरे उन्नीस साल की हो गई, तुम लोगों की आँखों पर पर्दा पड़ा है, अरे बड़की को भी तो सोलह -सत्रह साल में निपटा दिये थे तुम लोग, रिश्ता बहुत अच्छा है, छोड़ोगे तो पछताओगे “

एक बार घर में बड़ो की मीटिंग हुई, पितृविहीन कन्या के लिये अच्छे रिश्ते की अहमियत समझ,एक दूसरे को समर्थन दें, छुटकी की शादी का प्रपोजल स्वीकार कर लिया गया। हालांकि फिर भी एक संशय था पता नहीं लाड़ -प्यार में पली छुटकी ससुराल में सामंजस्य कैसे बिठा पायेगी।

छुटकी चाहते हुये भी अपनी शादी का विरोध नहीं कर पाई। शायद लड़कियाँ कितनी भी हिम्मती बने पर अपनी शादी के बारे में बड़ो से उस समय बात नहीं करती थी,आँखों में बड़े -बड़े आँसू लिये पति संग छुटकी ससुराल चली गई। शरारती छुटकी का इस तरह मौन होकर चले जाना सुकेश को ही नहीं अम्मा को भी बेध गया।

पहली बार जब छुटकी पगफेरे के लिये आई तो बहुत शांत थी , शरारती पुड़िया के नाम से पहचान बनाने वाली छुटकी कम बात करने लगी। बहुत पूछने के बाद मुँह खोला “सासु माँ कहती है लड़कियों -बहुओं को ज्यादा बात नहीं करनी चाहिए न हमेशा हँसना चाहिए, वे भी हमेशा डांटते है “।

 अम्मा की ऑंखें भर आई। उनके घर में भी चार बहुयें है, पर ये बंधन तो उन्होंने किसी पर नहीं लगाया। समझ गई, आज थोड़ी ढीली पड़ी तो छुटकी ससुराल में रच -बस नहीं पायेगी..। जी कड़ा कर अम्मा ने छुटकी को समझाया “तुम्हारी सास ठीक कह रही, वही

करो जो वो कहती है, कुछ दिनों में सब ठीक हो जायेगा, थोड़ा बहुत तो हर लड़की को बर्दाश्त करना पड़ता है “। और छुटकी की हँसी,शरारत सब कुछ अच्छी बहू बनने की भेंट चढ़ गई। एक मासूमियत…., जिम्मेदारी के कवच में खो गई।

एक अलसुबह छुटकी मायके की देहरी पर आ खड़ी हुई, सुमन दूध और अखबार लेने के लिये दरवाजा खोली तो सामने सूनी आँखों के साथ छुटकी खड़ी थी। छुटकी को असमय मायके आया देख कोहराम मच गया। बड़ी मुश्किल से छुटकी बता पाई, दामाद बाबू का किसी दूसरे के साथ प्रेम परवान चढ़ रहा था, उसके साथ विदेश चला गया..,

वहाँ आसानी से लिव इन में रह लेगा, और छुटकी जैसी जाहिल से छुटकारा मिल जायेगा…..।कुछ दिन तो सास -ससुर इज्जत बचाने के लिये छुटकी के संग अच्छा व्यवहार किये, पर घर में आय का स्रोत बंद होते ही सास -ससुर तिलमिला उठे… नतीजा छुटकी को भी घर से बाहर निकाल दिया।

सुकेश जी और अम्मा छुटकी के ससुराल वालों पर बहुत गुस्सा हुये पर छुटकी ने उन्हें ये कह शांत करा दिया “अब मै खुद ही वहाँ नहीं जाना चाहती हूँ, जहाँ मेरा कोई सम्मान न हो “अम्मा ने प्रतिवाद करना चाहा “तुम्हारा वही घर है, ऐसे कैसे छोड़ दोगी “

 सुकेश जी ही नहीं, सारे भाई छुटकी के साथ हो गये “छुटकी अब कहीं नहीं जायेगी, एक गलती हो चुकी अब दूसरी गलती नहीं करनी।
सुकेश जी नये विचारों के थे,छुटकी की पढ़ाई शुरु करा, उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिये कटिबद्ध थे।
छुटकी दूसरे शहर में दूसरे भाई के पास रह अपनी पढ़ाई पूरी कर, नौकरी करने लगी।

जोर की आवाज से रखें चाय के कप से सुकेश जी की तंद्रा टूटी। भूनभूनाती हुई मिन्नी में छुटकी का प्रतिबिम्ब देख सुकेश जी हँस पड़े।

समय बीता.. मिन्नी बड़ी हो गई, अम्मा ने रट लगा ली अब मिन्नी की शादी कर दो,

“अम्मा मिन्नी की पढ़ाई पूरी होने दो, फिर शादी कर देंगे “सुकेश जी ने अम्मा को समझाते हुये कहा।

“और कितना पढ़ेगी, ज्यादा पढ़ -लिख गई तो लड़का नहीं मिलेगा “अम्मा जी ने अपना तर्क दिया। मिन्नी ने सुना तो दौड़ते हुये आई,”मै नहीं करुँगी शादी -वादी, मेरा घर यही है मै इसे छोड़ कहीं नहीं जाऊँगी “।

“क्यों नहीं करेंगी, सभी लड़कियों की शादी होती है, तू क्या अनोखी है जो शादी नहीं करेंगी, और तुझसे किसने कहा है, बड़ो की बातों में टांग अड़ाने को “अम्मा ने मिन्नी को झिड़का।

सुमन भी मिन्नी का साथ दें रही थी। “अम्मा कुछ भी हो जाये जब तक मिन्नी कुछ बन नहीं जायेगी तब तक मिन्नी की शादी का मै सोचूंगी भी नहीं, हमारी पीढ़ी में जल्दी शादी कर हमें समय से पहले परिपक्व बना दिया, हम अपना जीवन कहाँ जी पाते, और हमारी छुटकी ने भी हमारी गलती क़ी वजह से कितना बड़ा दुख सहा…, न मै नहीं होने दूंगी मिन्नी क़ी शादी..।

 “अम्मा, बदलते समय में शिक्षा का बहुत महत्व है,मै छुटकी को इन बंधनों से नहीं बचा पाया…।असमय की जिम्मेदारियों ने उसकी मासूमियत छीन ली, अब असमय जिम्मेदारी डाल कर एक और छुटकी की जिंदगी खराब नहीं करना चाहता हूँ,

समय बदल गया, ये पीढ़ी अपनी मर्जी से चलती है, अच्छा है….।मिन्नी पढ़ाई पूरी कर जब आत्मनिर्भर हो जायेगी तब उसकी मर्जी से ही शादी करूँगा, क्या तुम मिन्नी को भी छुटकी का जीवन देना चाहती हो “सुकेश ने अम्मा को हाथ जोड़ते कहा।

छुटकी का नाम आते ही अम्मा की आँखों में आँसू आ गये…. काश इसी मजबूती के साथ वे छुटकी के साथ खड़ी होती, समाज के भय से वे हमेशा छुटकी को ससुराल जाने को विवश करती रही।

छुटकी और उनके बीच एक सहज सम्बन्ध न रहा..।भाइयों ने उसका साथ दिया तभी वो आज अपने पैरों पर खड़ी है। सही बात है जमाना बदल गया, मिन्नी को भी आत्मनिर्भर बनना होगा। अम्मा ने सोचा…।

और अगली सुबह छुटकी फिर खड़ी थी, अपनी भतीजी को बचाने के लिये…। मिन्नी अपनी पढ़ाई पूरी करेंगी, कोई शादी -वादी नहीं करेंगी, शांत छुटकी भतीजी के लिये, हर किसी से टक्कर लेने को तैयार थी।

“माफ़ करना छुटकी, मै गलत थी, कि जल्दी शादी कर देने से सब ठीक रहता है,, लड़कियों को अन्याय सहने क़ी शिक्षा देना नहीं, बल्कि अन्याय से लड़ने क़ी शिक्षा देनी चाहिए ….अब ये गलती न होगी दुबारा….,अम्मा ने बाहें फैला दी, बेटी और पोती अशक्त बांहों में समा गई जो उनके लिये सशक्त बन गई… तीन पीढ़ियां अपनी नई सोच के संग आगे बढ़ गई….।तीन पीढ़ियां अपना अगूंठा दिखा हँस पड़ी।

 —-संगीता त्रिपाठी

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