यादें तो मन में होती हैं – अर्चना कोहली “अर्चि”

Post View 318 शुभा की तेरहवीं का  कार्य  संपन्न हो जाने के बाद बेटे और बहू ने रमेश से कहा- “पिताजी आप हमारे साथ चलिए। अकेले कैसे रहेंगे! पहले भी आपसे और माँ से बहुत बार कहा, पर आपने हर बार इनकार कर दिया।” “नहीं बेटा। मैं नहीं चल पाऊँगा”। रमेश ने भरे गले से … Continue reading यादें तो मन में होती हैं – अर्चना कोहली “अर्चि”