यादें तो मन में होती हैं – अर्चना कोहली “अर्चि”

Post Views: 5 शुभा की तेरहवीं का  कार्य  संपन्न हो जाने के बाद बेटे और बहू ने रमेश से कहा- “पिताजी आप हमारे साथ चलिए। अकेले कैसे रहेंगे! पहले भी आपसे और माँ से बहुत बार कहा, पर आपने हर बार इनकार कर दिया।” “नहीं बेटा। मैं नहीं चल पाऊँगा”। रमेश ने भरे गले से … Continue reading यादें तो मन में होती हैं – अर्चना कोहली “अर्चि”