Post View 357 वो बच्चों के पास अहमदाबाद आई हुई थी…आयुष ने दिन रात एक कर दिया था,”आपको आना पड़ेगा… बहुत दिन हो गए हैं।”बहुत सोच कर वो दस दिन के लिए आ गई थीं। सुबह सुबह वो गुनगुनाते हुए सबकी चाय बना रही थीं…मैं सोलह बरस की…तू सत्रह बरस का…तभी पीछे से जोरदार धमाका … Continue reading वो सोलह बरस की – नीरजा कृष्णा
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