Post Views: 3 वो बच्चों के पास अहमदाबाद आई हुई थी…आयुष ने दिन रात एक कर दिया था,”आपको आना पड़ेगा… बहुत दिन हो गए हैं।”बहुत सोच कर वो दस दिन के लिए आ गई थीं। सुबह सुबह वो गुनगुनाते हुए सबकी चाय बना रही थीं…मैं सोलह बरस की…तू सत्रह बरस का…तभी पीछे से जोरदार धमाका … Continue reading वो सोलह बरस की – नीरजा कृष्णा
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed