“वो मेरी गलियाँ” – ललिता विम्मी : Moral Stories in Hindi

बहुत दिनों बाद,आज अपने शहर,अपनी गली,अपने घर की तरफ़ जाना हुआ था । हालांकि मेरा कुछ नहीं बचा था वहां,बहुत पहले ही सब के ठिकानें बदल गए थे। चिलचिलाती धूप, गर्म लूं के  थपेड़े,सिर पर ओढ़े हुए सूती  दुपट्टे ‌को एक बार फिर और खोल कर लपेट लिया था मैंने। वही गली थी ,बस अब … Continue reading “वो मेरी गलियाँ” – ललिता विम्मी : Moral Stories in Hindi