वक्त की लकीरें – भगवती सक्सेना

Post Views: 4 रिटायर्ड अफ़सर वर्माजी बहत्तर वर्ष की अवस्था मे बिस्तर पकड़ चुके थे, घुटने के कारण चलने से असमर्थ थे, फिर भी एक छड़ी के सहारे अपने सब काम कर लेते थे। आज बहू कामायनी सुबह से व्यस्त दिख रही थी, होटल मैनेजर घर आकर क्रिसमस पार्टी की डिनर की लिस्ट नोट कर … Continue reading वक्त की लकीरें – भगवती सक्सेना