वक्त – खुशी : Moral Stories in Hindi

मोहिनी 2 भाइयों की अकेली बहन थी।पिताजी रतन सिंह की अच्छी बल्ब बनाने की फैक्ट्री थी। भाई नरेश और सुरेश भी पिता के कारोबार से जुड़े थे।उनकी मेहनत से एक की दो फैक्ट्री हो गई थी।मोहिनी घर भर में सबकी लाडली थी हद से  ज्यादा लाड प्यार पर मा, पिताजी ,भाभिया भाई  सब नाज नखरे उठाते।

भाभिया तो कहती की लाडो रानी तुम तो राज करोगी राज।उस सभी के बीच भी उसकी पढ़ाई को दोनो भाई महत्व देते थे वो चाहते थे कि ये इतना पढ़ लिख जाए कि अपने लिए कुछ कर सके।मोहिनी का मन तो पढ़ाई में नहीं लगता है फिर भी भाइयों के कारण वो पढ़ लिख गई और ग्रेजुएट हो गई अब उसके लिए लड़का देखा जाने लगा।

उसके लिए कपिल का रिश्ता आया उनका  जूतों का कारखाना था घर का इकलौता वारिस एक बहन थी उसकी भी शादी हो गई थी। घर में सास ससुर कपिल ही थे।सब ठीक होने पर रतनसिंह ने घर पर सलाह मशवरा कर मोहिनी का रिश्ता पक्का कर दिया और 3 महीने बाद शादी तय हुई। दोनो तरफ पैसे की कोई कमी नहीं थी तो दिल खोल कर खर्च किया गया।

शादी अच्छे से निपट गई और मोहिनी अपने ससुराल आ गई लlड़ प्यार यहां भी बहुत मिलता पर धीरे धीरे सास ने रसोई की जिम्मेदारी मोहिनी को देना शुरू किया शुरू में तो मोहिनी को कुछ नहीं आता था पर सास के प्यार से और सबके बढ़ावे से वो खाना बनाना सीख गई ।सास अब उसे घर दारी सीखा रही थी

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पहले मोहिनी मायके जाती तो वहां से भर भर कर सामान लाती भाइयों से फरमाइश करती और वो पूरी भी करते ये सब ये सब मोहिनी के ससुर श्री राम जी को पसंद नहीं था।वो कपिल से कहते बहु को समझाओ अपने यहां किसी चीज की कमी नहीं है। कपिल भी कहता तुम्हे जो चाहिए मैं लाकर दूंगा मायके से मत लाया करो।

मोहिनी की इस तरह सामान ले जाने की आदत से अब भाभिया भी चिढ़ती थी उन्हें लगता कि ये जब आती हैं कुछ भी मांगने लगती हैं इतनी सम्पन्न ससुराल में ब्याहने का क्या फायदा।समय बीता मोहिनी एक बेटे की मां बन गई सब सही चल रहा था रतन सिंह का देहांत हो गया था तो भाई अब भाभियों के कहने पर जरा हाथ खींच कर रखते।

पर मोहिनी को कुछ कमी तो थी नहीं इसलिए उसे ऐसा कुछ कभी महसूस नहीं हुआ।फिर एक रात अचानक खबर आई कि शॉर्ट सर्किट से फैक्ट्री में आग लग गई और सब स्वाहा हो गया।  इस झटके को श्री राम जी सहन नहीं कर पाए और उनकी हृदयाघात से मौत हो गई।कपिल अकेला क्या करता उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

क्योंकि फैक्ट्री का सब काम  श्री राम जी देखते थे। ऑर्डर पूरा करने के लिए बाजार से पैसा उठाया था आग का सुनते ही लोग तकाजा करने लगे घर ,गहने गाड़ी सब बेच कर लोगो का उधार चुकाया। कपिल को यह पता नहीं था कि उसके पिता ने फैक्ट्री का इंश्योरेंस करवा रखा था इसलिए बेचारा कोई क्लेम भी करने ना गया।फांकों की नौबत आ गई

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एक दो कमरों के छोटे से घर में वो शिफ्ट हो गए मोहिनी ने भाइयों से मदद मांगनी चाही तो कपिल ने मना कर दिया फिर भी मोहिनी कपिल से छुप कर भाइयों के पास गई भाइयों ने टका सा जवाब दे दिया अभी तो हम ही घाटे में जा रहे है तुम्हे कैसे पैसे दे।तुम लोगो को अय्याशी से पहले कुछ बचाने का सोचना चाहिए था।

मोहिनी घर आ गई उसने और कपिल दोनों ने नौकरी ढूंढनी शुरू कर दी कपिल को एक जूते की दुकान पर सेल्स मेंन का काम मिल गया और मोहिनी घर पर ट्यूशन पढ़ाने लगी शुरू में उसे परेशानी हुई पर धीरे धीरे उसके पास बच्चे आने लगे दोनो मिल कर इतना कमा लेते की उनकी जरूरतें जैसे खाना कपड़ा और किराया निकल जाता।

बेटे को भी उन होने एक साधारण से स्कूल में डाल दिया।फिर वही से मोहिनी को पढ़ाने का ऑफर आ गया।अब वो स्कूल और ट्यूशन दोनो करती भाइयों ने पलट कर देखा भी नहीं फिर एक दिन बाजार में कपिल को उनका अकाउंटेंट मिलl बोला आप कहा चले गए थे में आपको ढूंढ रहा था कपिल बोले बताइए

एकाउंटेंट बोला श्री राम जी ने फैक्ट्री का इंश्योरेंस करवाया था पेपर्स रेडी है आप इंश्योरेंस ऑफिस चले क्लेम करने।घर आकर मोहिनी को कपिल ने बताया वो बहुत खुश हुई अगले दिन मां का आशीर्वाद लें कर वो अकाउंटेंट के साथ ले ऑफिस गया पेपर्स  जेनुइन थे और इंश्योरेंस कंपनी अपनी तरफ से पहले तहकीकात कर चुकी थी तो उन्होंने क्लेम एक हफ्ते बाद प्रोसेस कर दिया ।

कपिल ने मन ही मन अपने पिता को धन्यवाद दिया उस पैसे से उसने मार्केट में एक जूते का शोरूम खोला क्योंकि उसे इसी काम का तजुर्बा था।कुछ दिनों में उनका काम जम गया और मुनाफा आने लगा।मोहिनी और कपिल अपने नए घर में आ गए।सब ठीक हो गया पर मोहिनी ने इस बुरे वक्त से यह सबक सीखे कि 10 rs कमाई हो तो 4 rs बचाने चाहिए।

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उसे समझ आ गया था कि  हमारा बुरा वक्त हमारे जीवन को नई दिशा दे जाता है। पहले वो पैसे की कीमत नहीं समझती थीं पर अब उसे पैसे की कीमत पता थी। अब वो दोनों पैसा बचाना सीख गए थे बहुत दिन  बाद मोहिनी अपने मायके गई पर इस बार वो अपने भाई भाभियों के लिए तोहफे लेकर गई।भाइयों को धन्यवाद दिया कि आप लोगों ने मुझे पढ़ाया वही मेरे काम आया मेरे बुरे वक्त ने मुझे सबल बनाया और पढ़ाई जैसे हथियार ने मुझे दूसरो को शिक्षित करने का मौका दिया।

भाई बोले माफ करना हम  तुम्हारी सहायता नहीं कर सके।मोहिनी बोली अच्छा किया नहीं तो हमें मेहनत क्या होती है कैसे समझ आता।

आज मोहिनी की मां और सास दोनों खुश थे कि मोहिनी अब सच में समझदार हो गई है और मोहिनी ने अपने पति का और अपने मायके दोनो का सम्मान बचा लिया।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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