अरे यह तो मेरी कहानी है यहां कैसे छप गई इस पर तो किसी और ही लेखक का नाम लिखा है !! मतलब चुरा लिया कोई!!ऐसा भी होता है क्या..!!. आश्चर्य और गुस्से से उफनते हुए मैंने तुरंत मेरी रचना खुद के नाम से प्रकाशित करने वाले चोर प्रकाशक से संपर्क किया।
आपको शर्म नही आती किसी लेखक की रचना चुराते हुए.. खून खौल रहा था मेरा।
शर्म तो आपकी आनी चाहिए इस तरह का बेहूदा आरोप लगाते हुए चोर ने पलटवार किया।
हैरान हो गई मैं।
देखिए एक तो मेरी रचना चुरा कर अपने नाम से छाप रहे हैं ऊपर से क्षमा प्रार्थी भी नहीं हैं।
ओहो हो आप तो ऐसे नाराज हो रही हैं जैसे कोई नामचीन लेखिका शिवानी और अमृता प्रीतम हो गईं हों।देखिए मैं सब जानता हूं
आप सब जितने लेखक लेखिका बने इतराते फिरते हैं ना सब कहीं ना कहीं से चुरा कर ही लिखते हैं मैंने भी वही कर दिया इसमें इतना खून खौलाने की जरूरत नहीं है बेहद तसल्ली से जवाब आया।
हद है एक तो चोरी करते है ऊपर से सीना जोरी हमीं को चोर ठहराने लगे हैं आप तो बहुत बेशर्म किस्म के व्यक्ति है मेरा खून फिर खौल उठा।
माननीय लेखिका महोदय चोर तो बेशर्म भी होते हैं और पेशेवर भी ।हमारी रोजी रोटी यही है ना तो हम हर हथकंडा अपनाते हैं।
अरे भाई कृष्ण भगवान तो माखन की चोरी करते थे ।हम तो शिक्षा प्रद कहानियां चुरा रहे हैं ।भला हो इस मंच का जहां एक साथ हमें इतनी विविधता भरी रोचक और बेहतरीन रचनाएं प्रतिदिन एक साथ मिल जाती हैं…. ही ही करती उनकी हंसी ने आग में घी का काम किया।
ठीक है तो उसमे मेरा नाम लिख देते!! आपने अपने नाम से क्यों प्रकाशित की!! मैने उफनते हुए फिर प्रश्न दागा।
छोड़िए ना महोदया जी नाम में क्या रखा है।बताइए वो कछुए खरगोश की कहानी किसने लिखी थी?? नहीं मालूम ना! पर कहानी तो याद है ना.. बस आपकी कहानी भी अच्छी है तो याद रहेगी ।आपको तो आभारी होना चाहिए मेरा कि मैं आपकी कहानी का प्रचार कर अधिकाधिक पाठकों तक पहुंचा रहा हूं आप इसीलिए लिखती है ना…….
आपकी रिपोर्ट करनी पड़ेगी मुझे तभी आप सरीखे निहायत ढीठ सुधरेंगे मैंने उनकी बात काटते हुए उग्रता दिखाई।
किसकी किसकी रिपोर्ट करेंगी और कहां कहां करेंगी महोदया।दुनिया में बेटा अपने ही बाप का धन चुरा रहा है नेता जनता को ही चोर ठहराने में लगे हैं न्यूज चैनल दूसरे चैनल की न्यूज चुरा रहे हैं मोबाइल में वही मैसेज जो कॉपी पेस्ट हो रहे हैं क्या चुराए जा रहे हैं!?
आप टेंशन मत लीजिए देखिए आप भी साहित्य सृजन कर साहित्य सेवा कर रही हैं ऐसे ही बढ़िया लेखन कार्य करते रहिए आपकी कहानियां विशाल पाठकों तक पहुंचाने का जिम्मा मेरा है ।मैं भी साहित्य की सेवा ही कर रहा हूं मेरा भी फर्ज बनता है ना..!!आपका हृदय से धन्यवाद कहते हुए फोन काट दिया था।
मैं फोन पकड़े अभी तक उनकी इस साहित्य सेवा को समझने की कोशिश में हूं..!!क्या आपकी समझ में आया..!!
लतिका श्रीवास्तव