*विश्वास का हाथ* –  नम्रता सरन “सोना”

Post Views: 2 “आशी, बेटा ,ज़रा पापाजी को चाय बना दे बेटा, मेरे पैर मे बहुत दर्द है” राजेश्वरी जी ने बहू को पुकारा। “रहने दे बेटा, मुझे नहीं पीनी चाय” असीत जी जल्दी से बोले। “आप नही सुधरेंगे, आपको मेरे हाथ की चाय ही पीना है, है न” राजेश्वरी जी ने तिरछी नज़रों से … Continue reading *विश्वास का हाथ* –  नम्रता सरन “सोना”