समधी जी आप शादी मत तोडना मैं बहुत बड़ी मुसीबत फंस गया हूं।बारात वापस चली गई तो बेटी की बहुत बदनामी हो जाएगी ।मैं धीरे धीरे सब भरपाई कर दूंगा विनोद जी ने समधी सुभाष जी के पांव पकड़ लिए । अरे अरे विनोद जी ये आप क्या कह रहे हैं सबकुछ ठीक तो है न आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं । क्या बताएं समधी जी बिटिया पूजा के शादी के जेवर चोरी चले गए ,चोरी चले गए मगर कैसे , क्या बताऊं समधी जी बस हम लोगों की या पूजा और उसकी मम्मी की लापरवाही कह लीजिए। लेकिन जयमाल के समय तो पूजा ने गहने पहने थे ।
अरे वो नक़ली गहने थे लंहगे से मैच करते हुए गहने पहन लिए थे ।ये सुनते ही सुभाष जी की त्योरियां चढ़ गई । देखिए विनोद जी आप तो वैसे भी हमारी बराबरी के न थे लेकिन पूजा बिटिया हम लोगों को पसंद आ गई थी। पूजा संस्कारी , सुशील, सुंदर पढ़ी लिखी लड़की थी । इसलिए सबके दबाव में हमने हां कर दी थी । वैसे भी आप शादी में ज्यादा कुछ नहीं दे रहे थे फिर भी जो भी था ठीक था एक जेवर ही तो दे रहे थे । अपनी गुणवान बेटी भी तो दें रहे थे समधी जी ।आपको कभी कोई शिकायत न होगी पूजा से । बहुत गुणी और संस्कारी बेटी है हमारी ।
पढी लिखी है बीएड में भी उसका चयन हो गई है आगे दो साल पढ़ लेगी तों अच्छी सरकारी नौकरी मिल जाएगी । लेकिन बिना जेवर के हम बहू को घर कैसे ले जाएंगे।चार बिरादरी के लोग इकट्ठे है क्या कहेंगे वो लोग नाक कट जाएगी हमारी सुभाष जी बोले । लेकिन, लेकिन क्या हम कैसे शादी कर सकते हैं । विनोद जी ने समधी के फिर से पांव पकड़ लिए आप कहें तो मैं अपना मकान आपके नाम कर देता हूं ।
तभी पूजा बाहर आ गई और पापा को कंधे से पकड़ कर उठाया पापा उठो इस तरह की मिन्नतें न करों। शादी होगी या नहीं होगी लेकिन इस तरह से गिड़गिड़ाते हुए मैं आपको नहीं देख सकती ।उठो पापा और आंसू पोंछों लो ये पानी पीओ ।पर बेटा क्या पर बेटा जीवन में सिर्फ शादी ही तो मकसद नहीं रह जाता और भी बहुत कुछ है करने को ।चलिए अंदर चलिए आपने अपनी तरफ से बहुत कुछ कह लिया अब मर्जी उनकी है शादी करने या न करने की ।
विनोद जी एक सरकारी स्कूल में टीचर थे ।एक बेटी पूजा और एक बेटा संकेत था। पूजा बड़ी थी और संकेत छोटा था । पूजा ने बीए करके बीएड का फार्म भरा था जिसमें उसका चयन हो गया था बस कालेज मिलना बाकी था । संकेत इस साल इंटर की परीक्षा दे रहा था ।एक छोटा सा अपना मकान था जिसमें विनोद जी उनकी पत्नी कांता पूजा और संकेत हंसी खुशी रहते थे । कांता जी बहुत ही मृदुभाषी , गुणवान,और रूपवती भी थी । कांता और विनोद जी ने अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दिए थे । पूजा भी अपनी मां की ही तरह रूपवान , गुणवान और सौम्य और सुशील थी । बहुत पैसा तो नहीं था लेकिन जो भी था उसमें अच्छे से घर परिवार बच्चों की पढ़ाई लिखाई हो जाती थी ।
दूसरी तरफ सुभाष जी की किराने की दुकान थी बहुत बड़ी ।उनका किराने का सामान बड़ी बड़ी जगहों पर और स्कूलों में मिड डे मील के लिए सप्लाई होता था । उनके दो बेटे थे आदित्य और अपूर्व । अपूर्व इंजीनियरिंग कर रही था और आदित्य बी एस सी करके पापा का हाथ बंटाता था क्योंकि दुकान पर भी किसी सहायक की जरूरत थी और आदित्य को आगे कुछ करने की समझ नहीं आ रहा था तो वो पापा के ही साथ काम करने लगा। सुभाष जी के यहां से किराने का सामान विनोद जी के स्कूल में भी जाता था जिसके इंचार्ज विनोद जी है थे उनकी देख देख में सामान आता था और वही पेमेंट करते थे। सुभाष जी के पास पुश्तैनी बड़ा सा मकान था जिसमें उनकी पत्नी और दोनों बेटे रहते थे । मकान का एक हिस्सा उन्होंने किराए पर भी उठा रखा था ।सब मिलाकर अच्छी इनकम हो जाता करती थी।
किराने की सप्लाई का काम आदित्य ही देखता था वो विनोद जी से की बार मिल चुका था।आज जब स्कूल पेमेंट लेने गया तो वो वहां स्कूल में नहीं मिले कुछ तबियत खराब थी तो आज वो स्कूल नहीं आए थे । आदित्य ने फोन लगाया हलो अंकल मैं स्कूल में खड़ा हूं आप आए नहीं पेमेंट लेना था। विनोद जी बोले वो बेटा मैं जरा अस्वस्थ था ऐसा करो तुम घर आ जाओ।
आदित्य विनोद के घर गया विनोद जी ने उसे डाइंग रूम में बैठाया और बेटी पूजा को आवाज दी बेटा जरा दो कप चाय ले आना बात चीत के दौरान पूजा चाय और नाश्ता लेकर आ गई।ये क्या पूजा पर नजर पड़ते ही आदित्य जैसे उसकी मोहनी छवि पर सम्मोहित हो गया पहली नजर में ही। आदित्य मन ही मन न जाने कितने ख्वाब बुनने लगा ।घर आकर आदित्य ने अपनी मम्मी से बात की मम्मी आप कह रही थी न शादी कर लो तो मैं शादी के लिए तैयार हूं मुझे एक लड़की पंसद आ गई है ।कौन है मां ने पूछा बताऊंगा पहले आप पापा से बात कर लो ।
आदित्य आज पापा के साथ नाश्ते पर बैठा तो क्यों आदित्य तुम्हारी मम्मी कह रही है कि तुम्हें कोई लड़की पसंद आ गई है , हां पापा ,कौन है वो ,अरे पापा वो सरकारी स्कूल में जहां अपना सामान सप्लाई होता है उन्हीं की लड़की है ।एक मास्टर की लड़की तो क्या हो गया पापा , मास्टर की लड़की , लड़की नहीं होती क्या । ठीक है अच्छा देखेंगे बात आई गई हो गई । लेकिन आदित्य के दिमाग में पूजा की छवि बैठ गई थी दूसरी बार मिलने का कोई चांस नहीं दीख यह था। आदित्य ने एक तरकीब निकाली पेमेंट लेने के लिए शाम का वक्त चुना
जब विनोद जी घर पर होते हैं ।और फिर आदित्य ने विनोद जी को फोन किया हलो अंकल क्या मैं घर आकर पेमेंट ले सकता हूं विनोद जी ने हामी भर दी आदित्य को तो मुंहमांगी मुराद मिल गई ।घर पहुंच गया। विनोद जी ने फिर पूजा को आवाज लगाई चाय नाश्ता को वो आ गई लेकर अब तो आदित्य बात करना भूल कर एकटक पूजा को ही देखें जा रहा था । विनोद जी भी आदित्य की कुछ कुछ मंशा भांप रहे थे । उन्हें आदित्य भी अच्छा समझ आने लगा था । आखिर इतने दिनों की मुलाकात थी बात व्यवहार में अच्छा था।
फिर एक दिन स्कूल आकर आदित्य ने विनोद जी से कह दिया अंकल मैं आपकी बेटी से शादी करना चाहता हूं । मम्मी पापा आपके घर आना चाहते हैं । बताईए कब आए। विनोद जी आवाक रह गए बोले थोड़ा ठहरो घर पर राय मशवरा करके बताता हूं । विनोद जी ने किसी के द्वारा आदित्य के बारे में और उनके घर के बारे कुछ जानकारी इकट्ठी कर ली सब ठीक लगा तो उन्होंने आदित्य को और उनके मम्मी पापा को आने की इजाजत दे दी ।
सभी लोग घर आए नहीं करने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता था और हां हो गई ।पर विनोद जी ने कहा मैं बहुत दहेज नहीं दे पाऊंगा बाकी कुछ पैसे जोड़ कर पूजा की मां जेवर इकट्ठे किए हैं और आव भगत अच्छे से करूंगा , बाकी जो कुछ है मेरी बेटी है इससे आपको कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।
शादी की तारीख पक्की हो गई । विनोद जी की बहन के देवर का लड़का सुरेश जो उसी शहर में रहता था अक्सर विनोद जी के घर आता जाता था उसकी चोरी करने की आदत थी अक्सर वो घर में हाथ साफ कर देता था । विनोद जी ने उसको की बार डांटा भी था और घर न आने की हिदायत भी दी थी । लेकिन वो फिर भी आ जाता था बेटी पूजा पर भी वो ग़लत निगाह रखता था ।घर में शादी थी तो विनोद जी की बहन को आना था अकेली थी वो चलने फिरने में भी थोड़ी लाचार थी पति का देहांत हो चुका था तो वो सुरेश के साथ आ गई शादी में । इसी बहाने वो भी घर में रूक गया । विनोद जी घर में रखे रूपये पैसे और जेवर को अच्छे से संभालने की हिदायत वो पत्नी को और पूजा को पहले ही दे चुके थे। लेकिन चोरी करने वालों को मौके की कोई कमी नहीं होती ।
पूजा जयमाल के लिए तैयार हुई तो लहंगे के सेट के साथ के नकली जेवर पहना दिए गए थे और जयमाल पूरा हो गया ।जब शादी के मंडप में जाने का समय हुआ तो फिर से कपड़े बदले गए मामा के यहां के कपड़े पहन कर शादी के मंडप में बैठते हैं ।और जब जेवर निकालने को आलमारी खोली गई तो जेवर नदारद थे डिब्बे खाली रखें थे और सुरेश भी गायब था। बहुत खोजा गया पर वो न मिला ।जेवर पूरे घर में ढूंढ लिया गया पर वो न मिला ।सिर पीट लिया कांता और विनोद जी ने। इसी का नतीजा था विनोद जी का सुभाष जी के सामने मिन्नतें करने का ।
सुभाष जी को न मानता देखकर आदित्य आगे आया अंकल आप परेशान न हों हमलोग दो परिवार एक हो रहे हैं सुख दुख के हम साथी है । विपत्ति के समय साथ छोड़ देना कहां की समझदारी है।मैं पूजा से शादी करूंगा आप परेशान न हों ।जेवर का क्या जेवर फिर बन जाएंगे । आदित्य बोला मम्मी पापा मैं पूजा से ही शादी करूंगा चलिए मंडप में मेरे साथ ,उठाए पापा जेवर फिर से बन जाएंगे किसी की इज्जत उछालना हमारे संस्कार में नहीं है । क्यों मम्मी , हां बेटा चलों उठिए जी सुभाष जी को बोला आदित्य की मम्मी ने पूजा को अपनी बहू स्वीकार करिए नाराज़गी छोड़िए ।
फिर हंसी ख़ुशी शादी सम्पन्न हुई , पूजा के आते ही सुभाष जी के घर खुशियां आ गई। आदित्य और मम्मी पूजा जैसी संस्कारी बहू पाकर खुशी से फूली नहीं समा रही थी ।
दोस्तों विपत्ति के समय किसी का साथ देना सबसे बड़ी मानवता है ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
27 सितम्बर