विभीषिका – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi

Post Views: 6 दरकते स्त्री पुरुष सम्बन्धों की विभीषिका, जहां तहां अपने रक्तिम चिन्न्ह बिखेरकर एक दर्द भारी दास्तां लिख जाती है। जेल के बाहरी परिसर में एक चालीस साल का पुरुष, मैला सा पायजामा, कंधे पर लाल अंगोछे से बार बार चेहरे का पसीना पौंछते हुए बेताबी से चक्कर लगा रहा था। फिर उसने … Continue reading विभीषिका – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi