Post View 99,621 टेलीफोन की घंटी जैसेही बजी मैंने लगभग दौड़तेहुये रिसीवर उठाया – “हैळो! अरे कुसुम तुम! क्या हाल है? यहाँ सब ठीक है ना”| “हाँ, तुम बताओ तुम्हारा दिल्ली भ्रमण कैसा रहा ?” – कुसुम ने पूछा “ हाँ ! सब ठीक रहा| सब की सहमति से घर का बटवारा हो गया| पापा … Continue reading वसीयत – शम्मी श्रीवास्तव
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