वाग्दान – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

नीलिमा!! जल्दी करो कितनी देर लगेगी तैयार होने में वहां प्रकाश और भाभी जी हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे” देव ने अपनी पत्नी से कहा।
“आ रहीं हूं !!”तभी देव ने देखा नीलिमा अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करती हुई आ रही थी।
वहां पहुंचकर नीलिमा देव को घूरते हुए बोली ,” क्यों चिल्ला रहे थे?? औरतों को तैयार होने में थोड़ा समय लगता है” नीलिमा के चेहरे पर बनावटी गुस्सा था
देव प्यार से नीलिमा को निहार रहा था नीलिमा देव को अपनी तरफ  देखता पाकर शरमा गई उसने शरमाते हुए पूछा “अब देर नहीं हो रही है??”

“अरे भाई मैं अपनी पत्नी को देख रहा था आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो” देव ने मुस्कुराते जवाब दिया।

“अच्छा अब चलिए ” नीलिमा ने मुस्कुराते हुए कहा फिर दोनों बाहर निकल गए।

जैसे नीलिमा प्रकाश के घर पहुंची प्रकाश की पत्नी सीमा उससे लिपट गई फिर शिकायती लहजे में पूछा “अब तुम्हें समय मिला है यहां आने के लिए”
“मुझे माफ़ कर दो सीमा थोड़ी देर हो गई अच्छा ये बता मेरी बिटिया रानी कहां है जिसके जन्म दिन का उत्सव मनाया जा रहा है??”
“वहां पालने में सो रही है” सीमा ने जवाब दिया।

नीलिमा ने पालने से बच्ची को गोद में उठा लिया और उसके हाथ में चांदी का कड़ा पहना दिया।
कड़ा देखकर सीमा ने कहा “अरे इसकी क्या जरूरत थी?? तुम्हारा आशीर्वाद ही बहुत है”
तभी वहां सीमा की छोटी बहन रागिनी आ गई उसने चांदी का कड़ा देखकर व्यंग से कहा “अरे नीलिमा दीदी तनिक सीमा दीदी के स्टेटस का तो ख्याल कर लिया होता कहां यहां सब सोने और हीरे के गहने मेरी भांजी को दे रहें हैं और आप उसके लिए चांदी का मामूली सा कड़ा लाईं हैं अगर आप की हैसियत इससे ज्यादा की नहीं थी तो सबके सामने देने की क्या जरूरत थी??
चोरी से दें देती जिससे किसी को पता ना चलता। तो सीमा दीदी की सबके सामने बेइज्जती तो ना होती ,अब लोग यहीं कहेंगे कि उन्होंने कैसे भिखमंगो से दोस्ती की है “

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“रागिनी तुम्हारा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया है??” सीमा ने गुस्से में  कहा

रागिनी की बात सुनकर प्रकाश का चेहरा क्रोध से आग-बबूला हो गया उन्होंने जलती आंखों से रागिनी को देखा प्रकाश और सीमा का क्रोध देखकर रागिनी सकपका गई।

सबके सामने नीलिमा अपना यह अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकी उसकी आंखों में आसूं आ गए और वह तेजी से हाल से बाहर निकल गईं उसे बाहर जाता देखकर देव भी नीलिमा के पीछे बाहर आ गया उसने देखा कि नीलिमा बाइक के पास खड़ी होकर रो रही है।
जैसे ही उसने देव को देखा उसने देव से कहा “घर चलों अब मैं यहां नहीं रूक सकूंगी” देव ने कुछ नहीं कहा वो गाड़ी स्टार्ट कर नीलिमा को लेकर बंगले से बाहर निकल गया।

जब तक प्रकाश और सीमा वहां पहुंचते देव की बाइक बंगले से बाहर निकल गईं थीं।
प्रकाश ने सीमा की ओर देखा और गम्भीरता से बस इतना ही कहा “मैं कल सुबह तुम्हारी बहन को अपने घर में देखना नहीं चाहता” इतना कहकर वह मेहमानों के पास चलें गए।
सीमा भी अंदर आ गई फिर वो मेहमानों के खाने पीने की व्यवस्था देखने लगी।

थोड़ी देर बाद पार्टी समाप्त हुई  मेहमानों को विदा कर सीमा और प्रकाश हाल में आए सीमा ने गुस्से में रागिनी से कहा ” रागिनी तुम कल सुबह मेरे घर से चली जाना तुमने आज जो किया है उसके बाद मैं तुम्हारी शक्ल भी देखना पसंद नहीं करूंगी तुम में अहंकार तो है ये बात मैं जानती थी पर तुम इतनी बदतमीज भी हो हो इसका अहसास मुझे नहीं था तुम्हारे कारण मैं अपने घर की सुख-शांति बर्बाद नहीं कर सकती” इतना कहकर बिना रागिनी के उत्तर की प्रतीक्षा किए सीमा अपने कमरे में चली गई।

रागिनी को अपनी गलती का अहसास हो गया था पर अब बाज़ी उसके हाथ से निकल गईं थीं उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने दीदी और जीजू को कैसे मनाएं कुछ देर वह वहीं खड़ी रही और फिर थकें कदमों से अपने कमरे की ओर चलीं गईं।
सीमा जब अपने कमरे में पहुंची तो प्रकाश कमरे में बेचैनी से टहलते हुए दिखें सीमा को देखते ही उन्होंने गुस्से में कहा “जब तुम्हें पता है कि तुम्हारी बहन को बात करने की तमीज नहीं है तो मेरे घर के किसी भी प्रोग्राम में उसे तुम क्यों बुलाती हो??

आज रागिनी ने देव और नीलिमा भाभी का अपमान नहीं किया बल्कि उसने मेरा अपमान किया है। तुम्हारी बहन अब मेरे घर में कभी नहीं आएगी और ना ही तुम उससे कोई सम्बन्ध रखोगी अब तुम्हें अपने पति और बहन में से एक को चुनना है”

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इतना कहकर प्रकाश बिस्तर पर लेट गए सीमा प्रकाश के पास गई उसने गम्भीर लहज़े में कहा “मैंने कुछ फ़ैसला किया है मुझे उसमें आपके साथ की जरूरत है”
प्रकाश चुपचाप लेटे रहें कोई जवाब नहीं दिया। फिर सीमा ने प्रकाश के कान में जो कहा उसे सुनकर वह बिस्तर पर उठकर बैठ गए और सीमा का हाथ पकड़कर बोलें , “मुझे तुम्हारा फैसला मंजूर है जानती हो सीमा मैंने और देव ने कभी यही वादा एक दूसरे के साथ किया था पर मैं अफसर बन गया और वो क्लर्क के पद पर ही रह गया

उसके बाद उसने कभी भी इस वादे के विषय में चर्चा ही नहीं की पर अब वो वादा मैं निभाऊंगा वह भी परसों अपनी शादी की सालगिरह के मौके पर सभी मेहमानों के सामने ” प्रकाश ने उत्साहित होकर कहा उसके बाद वो दोनों निश्चित होकर सो गए।
सुबह जब सीमा सोकर उठी तो रागिनी जाने के लिए तैयार थी सीमा ने उसे निर्विकार भाव से देखा रागिनी ने कहा “दीदी मैं जा रहीं हूं हों सकें तो मुझे माफ़ कर दीजिए”
“मैं  तुम्हें माफ़ तो नहीं कर सकती पर तुम दो दिन और रुक जाओ फिर चलीं जाना दो दिन बाद मेरी शादी की सालगिरह के दिन तुम्हें तुम्हारे सवालों का जवाब भी मिल जाएगा कि,  नीलिमा और देव भैया हमारे लिए का महत्व रखतें हैं और हमारे नज़रों में उनकी क्या अहमियत है” इतना कहकर सीमा वहां से चलीं गईं।

उसी दिन शाम को सीमा और प्रकाश नीलिमा के घर गए नीलिमा का तीन साल का बेटा अंश अपनी नानी के घर से आ गया था। सीमा ने नीलिमा और देव से माफी मांगी फिर अपनी शादी की सालगिरह पर उन्हें अपने घर आने के लिए कहा पहले वो दोनों तैयार नहीं हुए पर जब प्रकाश और सीमा ने उन्हें अपनी सौगंध दिलाई तो वह लोग आने के लिए किसी प्रकार राजी हुए।

शादी की सालगिरह के दिन शाम को घर मेहमानों से गुलजार हो रहा था तभी देव और नीलिमा वहां पहुंचे उनके चेहरे पर कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा था फिर भी वह दोनों मुस्कुराते हुए मिलें कुछ देर बाद, सीमा और प्रकाश ने मिलकर केक काटा और सभी ने उन्हें शादी की सालगिरह की बधाई दी तभी सीमा और प्रकाश ने एक साथ कहा “अटैंशन प्लीज़ !!”
सभी मेहमान उन दोनों की ओर देखने लग

प्रकाश ने मुस्कुराते हुए कहा” मैं आज आप लोगों के सामने अपने मन की सबसे खुबसूरत इच्छा को  आप लोगों से सांझा करने जा रहा हूं
” मैं मेरी पत्नी आज और इसी पल से अपनी बेटी पलक का वाग्दान अपने सबसे अजीज दोस्त के बेटे अंश के साथ कर रहे हैं। आज से पलक नीलिमा भाभी की बहू और बेटी दोनों है जब यह बच्चे शादी की उम्र के हो जाएंगे तो हम इन्हें परिणय सूत्र में बांध देंगे ” प्रकाश ने अपना फैसला सुनाया।

हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा प्रकाश की बात सुनकर नीलिमा और देव ने एक-दूसरे को देखा देव ने नीलिमा को कुछ इशारे से समझाया तभी नीलिमा उठकर प्रकाश के पास पहुंच गई उसने गम्भीर लहज़े में कहा,” प्रकाश भैया मुझे ये रिश्ता मंजूर नहीं है रिश्ते हमेशा बराबरी वालों से किए जाते हैं हम आपके सामने कहीं नहीं ठहरते इसलिए ये रिश्ता नहीं हो सकता “

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  नीलिमा की बात सुनकर प्रकाश और सीमा के चेहरे उतर गए सीमा ने दुखी मन से कहा,” नीलू तुम ये कैसी बातें कर रही हो हमारे बीच ये दूरी कहां से आ गई आज से पहले तो तुमने ऐसा कुछ नहीं कहा “!?

  सीमा की बात सुनकर नीलिमा ने दर्द भरी मुस्कराहट के साथ कहा,” सीमा आज से पहले  कभी तुम्हारे घर में हमारा अपमान भी नहीं हुआ था मैं मानती हूं हम तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकते और हम करना चाहते भी नहीं हैं तुम अफसर की पत्नी हो मैं एक क्लर्क की पत्नी हूं ये बात मैं अच्छी तरह जानती हूं  हमारे पास जितना है हम उसी हैसियत से उपहार देंगे अगर हमारे दिए उपहार से तुम्हारे सम्मान में फर्क पड़ता है तो तुम्हें हमें यहां नहीं बुलाना चाहिए था अगर अपना समझकर बुलाया था तो  भरी महफिल में तुम्हारी बहन को हमारा अपमान  नहीं करना चाहिए था “

” नीलिमा मैं अपनी बहन की तरफ़ से माफी मांगती हूं वो तुम्हारा अपमान करेगी ऐसा मैंने सोचा भी ही नहीं था वरना मैं उसे यहां कभी भी  नहीं बुलाती मेरा विश्वास करो अगर तुम लोग हमसे इस तरह मुंह फेर लोगे तो मैं और प्रकाश टूटकर बिखर जाएंगे मैं प्रकाश की नजरों में गिर जाऊंगी देव भैया प्रकाश के लिए क्या अहमियत रखते हैं ये हम दोनों से छुपा नहीं है” सीमा ने नीलिमा का हाथ पकड़कर कहा
दूसरी तरफ़ प्रकाश  देव को देखकर समझ गया

की देव भी उस दिन के अपमान को भूल नहीं पाया है फिर कुछ सोचते हुए प्रकाश ने गम्भीर लहज़े में कहा,” देव क्या तुम्हें भी ऐसा लगता है की हमने जानबूझकर तुम्हारा और भाभी का अपमान किया है क्या तू अपने दोस्त को इतना गिरा हुआ समझता है क्या हमारी दोस्ती की नींव इतनी खोखली है की हल्की सी शक की आंधी से बिखर जाए!!?”
प्रकाश की बात सुनकर देव ने मुस्कुराते हुए कहा,”  चल मैं सब भूल गया तू भी क्या याद रखेगा

किस रईस से पाला पड़ा था ” देव की बात सुनकर नीलिमा और प्रकाश के चेहरे खिल उठे उन दोनों की आंखों में ख़ुशी के आंसू आ गए सीमा  नीलिमा के गले लगकर रो पड़ी  प्रकाश देव के गले से लग गया।
ये दृश्य देखकर रागिनी का अपराधबोध भी कुछ कम हो गया ।
तभी नीलिमा ने सीमा से अलग होते हुए कहा, “सीमा  मुझे ये रिश्ता मंजूर है लेकिन मेरी एक शर्त है!!?”

  नीलिमा की बात सुनकर सीमा के चेहरे पर बेचैनी दिखाई दी जबकि देव और प्रकाश आश्चर्य से नीलिमा को देखने लगे
सीमा ने घबराकर पूछा ” कैसी शर्त!!?”
” मैं जो मांगूंगी वो तुम्हें दहेज में देना होगा!!? नीलिमा ने गम्भीर लहज़े में कहा

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” मेरा जो कुछ भी है वो मेरी बेटी का ही है इसमें कहने वाली क्या बात है मैं तो तुम्हारी बात सुनकर घबरा ही गई!!?” सीमा ने हंसते हुए कहा

  ” सीमा मुझे दहेज में तुम्हारी दौलत नहीं एक वचन चाहिए “, नीलिमा ने कहा
” वचन कैसा वचन भाभी!!?” प्रकाश ने पूछा

“शादी में आप लोग एक पैसे का दहेज नहीं देंगे वरना मैं इस शादी को मंजूरी नहीं दूंगी! नीलिमा ने अपना फैसला सुनाया

  नीलिमा की बात सुनकर सीमा और प्रकाश के चेहरे पर मुस्कान फैल गई उन दोनों ने सिर झुकाकर अदब से कहा,” जो हुकुम समधन जी आपकी आज्ञा सर आंखों पर”
सीमा और प्रकाश के कहने के अंदाज को देखकर सभी ठहाका मारकर हंसने लगे पूरी महफिल में खुशियों के फूल खिल उठे।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर

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