“उस रात का राज़” – कविता भड़ाना

Post View 431 राधा काकी आज बहुत खुश हैं,और हो भी क्यों नहीं,अभी थोड़ी देर पहले पड़ोस के गांव से वहा के जमींदार “राजबहादुर”के एकलौते बेटे के विवाह में विशेष रूप से ढोलक बजाने और मंगलगीत गाने का न्यौता जो मिला है, राधा काकी बेचारी बेऔलाद है और अभी कुछ सालो पहले पति के गुजर … Continue reading “उस रात का राज़” – कविता भड़ाना