Moral stories in hindi: मानसी से समय काटे नहीं कट रहा, बार- बार आदित्य का कमरा देख आती, कुछ सजावट में कमी तो नहीं रह गई, सब कुछ यथा स्थान देख़ तसल्ली से फिर घर के बाहर आ बरामदे में बैठ गई, प्रतीक्षा में समय लंबा लगने लगा, विकास को कॉल किया, उसकी उतवाली देख विकास बोले, “सब्र का फल मीठा होता है मानसी, थोड़ा धैर्य रखों, कुछ देर में ही आदित्य घर पर होगा, तुम्हारे पास…!!”किसी ने सच कहा “प्रतीक्षा की घड़ियाँ लम्बी होती है “..।
प्रतीक्षा से ऊब कर मानसी बरामदे में रखी बेंत की कुर्सी पर बैठ गई,आज पूरे पांच साल बाद आदित्य घर आ रहा,..। चलचित्र सा विगत आँखों के सामने घूमने लगा..।
विकास घर के सबसे बड़े बेटे थे,असमय पिता के चले जाने से, परिवार का उत्तरादायित्व विकास के कमजोर कंधों पर आ गया, बीस वार्षिय तेज बुद्धि के विकास ने पढ़ाई छोड़ कर एक दुकान में अकाउंट का काम संभाल लिया… दो छोटे भाई -बहन की जिंदगी को सही दिशा देने में अपने सपनों की आहुति दे दी, दुकान के मालिक राघव जी विकास की तेज बुद्धि देख आगे पढ़ने को प्रेरित किया, कुछ सहूलियत मालिक ने दी, कुछ अतरिक्त मेहनत विकास ने की, फलस्वरूप, विकास ने पढ़ाई पूरी कर बैंक में जॉब पा लिया…., अब जीवन पटरी पर आ गया,।
राघव जी सज्जन थे, विकास को आगे बढ़ता देख खुश हुये, विकास भी उनका अहसान नहीं भूला, और एक दिन जब राघव जी ने अपनी बेटी से विवाह का प्रस्ताव रखा तो विकास और उनकी माँ ने बिना समय गँवाये हाँ कर दी।
मानसी की ये दूसरी शादी थी, पहली शादी में मात्र चार महीने में उसने अपना पति खो दिया था, पति के जाते ही ससुराल वालों की नजरें बदल गई, ये देख राघव जी बेटी को अपने घर ले आये। अवसाद से ग्रस्त मानसी को देख माता -पिता बहुत दुखी होते,पर क्या कर सकते थे… “खुशियाँ अगर खरीदी जा सकती तो हर माता -पिता अपने औलाद के लिये खरीद लेती “.।
कहते ना सुख के बाद दुख आता है तो दुख की अँधेरी रात के बाद सुनहरी सुबह भी आती है, मानसी के जीवन में भी विकास का आना इसी तरह था।
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मानसी के पिता शादी में विकास को बहुत कुछ देना चाहते थे, पर विकास ने कहा “पिता जी, मुझे सिर्फ आपका आशीर्वाद चाहिए, आज मै जो कुछ हूँ आपके सहयोग से हूँ, अब मानसी मेरे परिवार की सदस्य है, उसकी आवश्यकतायें पूरी करना मेरा फ़र्ज है..”।
राघव जी समझ गये, मानसी सुरक्षित हाथों में है..
विकास से शादी कर जब मानसी उनके घर आई तो बहुत सहमी रहती, विकास और उसकी माँ, भाई -बहन के सरल व्यवहार से, मानसी अवसाद से निकलने लगी, छोटी ननद दिनभर भाभी -भाभी करते साये की भांति रहती, जब विकास वापस आता तभी वहाँ से हटती।विकास ने मानसी को. समझा दिया था, अपनी जिम्मेदारी पूरी होने के बाद ही वो बच्चे के लिये सोचेगा..।
धीरे -धीरे मानसी भी विकास की जिम्मेदारियों में साथ देने लगी, छोटा देवर विजय भी पढ़ -लिख कर जॉब में आ गया, परिवार अब आर्थिक रूप से सक्षम हो गया।दोनों भाइयों ने लाड़ली बहन की धूम धाम से अच्छे घर में शादी कर दी,।
कुछ दिन बाद एक दिन मानसी चक्कर खा कर गिर गई, डॉ. को दिखाया तो डॉ. बोली “बधाई हो मानसी माँ बनने वाली है .”ये सुनते ही विकास तो खुशी से बिलख पड़े, ये आँसू भी ना, कितने अजीब होते, दुख में तो छलकते है सुख में भी छलक जाते है…। नियत समय पर मानसी एक बेटे आदित्य की माँ बन गई, परिवार में खुशियाँ छा गई..।
कुछ समय बाद देवर विजय साथ काम करने वाली लड़की कामनी से शादी की इच्छा व्यक्त की।शादी होने कर बाद विजय, कामनी के साथ विदेश चला गया और फिर वही का होकर रह गया ..।विजय के इस तरह जाने से विकास और मानसी को बहुत धक्का लगा।
जब पांच साल पहले आदित्य विदेश पढ़ाई करने गया, तो मानसी ने वादा करवा लिया था, पढ़ाई खत्म कर वो वापस आ जायेगा…, लेकिन पढ़ाई खत्म कर आदित्य ने वही जॉब करना शुरु कर दिया… साथ ही अपने साथ पढ़ने वाली विदेशी लड़की रोजलीना से शादी की इच्छा जताई।
मानसी ने मना कर दिया, विकास ने समझाया भी,” वो विदेशी है तो क्या हुआ, रिश्ते तो निभाना जानती है, तभी तो शादी कर रही रही..”।
पर मानसी तैयार नहीं हुई, एक दिन आदित्य ने खबर दी, उसने रोजलीना से कोर्ट में शादी कर ली। इकलौते बेटे के इस तरह शादी कर लेने से मानसी टूट गई, बेटे से बात करना बंद कर दी।उसे लगा अपने चाचा की तरह आदित्य भी घर से विमुख हो जायेगा।
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पिछले हफ्ते आदित्य ने विकास को कॉल करके बताया वो घर आ रहा…, मानसी बेटे से नाराज होने के बावजूद बहुत उत्साहित थी, इससे पहले जब भी आदित्य रोजलीना के साथ घर आने की बात करता, मानसी मना कर देती,..।कहते है ना, समय सब घाव भर देता…. मानसी के घाव भी भरने लगे…।
गेट पर गाड़ी की तेज हार्न से मानसी की तंद्रा टूटी, दौड़ कर आते आदित्य को वही रोका, भाग कर आरती की थाली ले आई, बेटे -बहू की आरती उतार अंदर ले आई, आँसू भरी धुंधली ऑंखें आदित्य को निहार रही थी, माँ के गले लग आदित्य भी रो पड़ा, “तुम इतनी कठोर क्यों हो गई थी माँ, जो अपने बेटे से दूर हो गई थी..”…।साड़ी में लिपटी बहू के भोले चेहरे को देख मानसी बोल पड़ी,”साड़ी पहनने की क्या जरूरत थी “
. “मै बहू हूँ माँ, बहुयें साड़ी पहनती है ना…”रोजलीना को हिंदी में बात करते देख मानसी हँस पड़ी, उसका चेहरा ऊपर उठाते बोली,”हट पगली तू तो मेरी बेटी है “..।
रोजलीना ने पैर छू कर मानसी को एक फाइल पकड़ा दी,”माँ हमारी तरफ से आपको उपहार..”
फाइल में आदित्य और रोजलीना का यही के कंपनी के अपॉइंटमेंट लेटर था।
“आपको छोड़ कर कहीं नहीं जायेंगे कहते,जो भी सुख -दुख होगा वो साथ झेलेंगे ..”कहते आदित्य -रोजलीना, मानसी और विकास के गले लग गये ..।
बाद में आदित्य ने बताया, रोजलीना उसके प्रोफेसर की बेटी है, जिनकी एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई,मृत्यु से पहले रोजलीना के पिता ने आदित्य को देख कर, उसे रोजलीना से शादी कर अपने साथ रखने का आग्रह कर गये थे…।माता -पिता को एक साथ खो देने से रोजलीना अपना आत्मविश्वास खो बैठी, डिप्रेशन में आ गई, इसलिये उसने वहाँ कोर्ट मैरिज की.., सच्चाई सुन मानसी रो पड़ी..।उस मातृ -पितृ विहीन लड़की को अपने आगोश में ले बुदबुदा..”मेरी बच्ची तेरे माता -पिता हम ही है…”।
धूमधाम से भारतीय विधि -विधान से मानसी और विकास ने आदित्य और रोजलीना की शादी कर इस रिश्ते पर अपनी रजामंदी की मुहर लगा दी…।
….संगीता त्रिपाठी
#सुख -दुख